Gorakhnath Chalisa: कौन है गुरु गोरखनाथ एवं क्या है गोरखनाथ चालीसा के फायदे
BY : STARZSPEAK
Gorakhnath Chalisa: गुरु गोरखनाथ जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है और वे एक महान योग सिद्ध योगी थे। उनकी पूजा से भक्तों को कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ मिलते हैं। आइए जानते है कि गोरखनाथ की पूजा अर्चना करने एवं चालीसा पढ़ने से क्या लाभ होता है:
- आध्यात्मिक शांति: गुरु गोरखनाथ की पूजा से मन को गहरी शांति और स्थिरता मिलती है। उनकी उपासना से मानसिक तनाव और चिंता कम होती है, जिससे व्यक्ति का मानसिक संतुलन बेहतर होता है।
- आध्यात्मिक शक्ति का विकास: गुरु गोरखनाथ जी के अनुयायी अपनी आध्यात्मिक क्षमता को बढ़ाने में सक्षम होते हैं। उनकी साधना से साधक का योग और ध्यान में गहन विकास होता है, जिससे अंतर्मन में चेतना का विस्तार होता है।
- संकटों से मुक्ति: गुरु गोरखनाथ की पूजा को संकट और विपत्तियों से मुक्ति का साधन माना गया है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति जीवन के कठिनाइयों और समस्याओं से लड़ने की शक्ति प्राप्त करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: गुरु गोरखनाथ जी योग के प्रणेता माने जाते हैं, और उनकी पूजा से स्वास्थ्य में सुधार देखा जाता है। उनकी साधना में शक्ति और स्वास्थ्य के लिए योग का विशेष महत्व है, जिससे अनुयायियों को शारीरिक शक्ति और आरोग्य मिलता है।
- सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास में वृद्धि: गुरु गोरखनाथ की उपासना (Gorakhnath Chalisa) से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। उनके भक्तों का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे नकारात्मक विचारों से मुक्ति पाते हैं।
- योग और ध्यान में प्रगति: गोरखनाथ जी योग सिद्ध योगी थे, और उनके द्वारा सिखाए गए योग मार्ग पर चलने से साधक ध्यान और योग में निपुणता प्राप्त करता है। इस मार्ग पर चलने से व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा में गहरी प्रगति होती है।
गुरु गोरखनाथ की भक्ति और साधना से व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन, सुख, समृद्धि, और आध्यात्मिक ऊँचाइयों को प्राप्त कर सकता है। उनकी पूजा साधक को भगवान शिव की कृपा और आत्मिक उत्थान के मार्ग पर ले जाती है। आइए पढ़ते है गुरु गोरखनाथ चालीसा (Gorakhnath Chalisa) का सम्पूर्ण पाठ :
॥ श्री गोरखनाथ चालीसा ॥
॥ Shree Gorakhnath Chalisa ॥
॥ दोहा ॥
गणपति गिरजा पुत्र को । सुमिरूँ बारम्बार ।
हाथ जोड़ बिनती करूँ । शारद नाम आधार ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय गोरख नाथ अविनासी । कृपा करो गुरु देव प्रकाशी ॥१॥
जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी । इच्छा रुप योगी वरदानी ॥२॥
अलख निरंजन तुम्हरो नामा । सदा करो भक्तन हित कामा ॥३॥
नाम तुम्हारा जो कोई गावे । जन्म जन्म के दुःख मिट जावे ॥४॥
जो कोई गोरख नाम सुनावे । भूत पिसाच निकट नहीं आवे ॥५॥
ज्ञान तुम्हारा योग से पावे । रुप तुम्हारा लख्या न जावे ॥६॥
निराकर तुम हो निर्वाणी । महिमा तुम्हारी वेद न जानी ॥७॥
घट घट के तुम अन्तर्यामी । सिद्ध चौरासी करे प्रणामी ॥८॥
भस्म अंग गल नाद विराजे । जटा शीश अति सुन्दर साजे ॥९॥
तुम बिन देव और नहीं दूजा । देव मुनि जन करते पूजा ॥१०॥
चिदानन्द सन्तन हितकारी । मंगल करुण अमंगल हारी ॥११॥
पूर्ण ब्रह्म सकल घट वासी । गोरख नाथ सकल प्रकाशी ॥१२॥
गोरख गोरख जो कोई ध्यावे । ब्रह्म रुप के दर्शन पावे ॥१३॥
शंकर रुप धर डमरु बाजे । कानन कुण्डल सुन्दर साजे ॥१४॥
नित्यानन्द है नाम तुम्हारा । असुर मार भक्तन रखवारा ॥१५॥
अति विशाल है रुप तुम्हारा । सुर नर मुनि पावै न पारा ॥१६॥
दीन बन्धु दीनन हितकारी । हरो पाप हम शरण तुम्हारी ॥१७॥
योग युक्ति में हो प्रकाशा । सदा करो संतन तन वासा ॥१८॥
प्रातःकाल ले नाम तुम्हारा । सिद्धि बढ़ै अरु योग प्रचारा ॥१९॥
हठ हठ हठ गोरक्ष हठीले । मार मार वैरी के कीले ॥२०॥
चल चल चल गोरख विकराला । दुश्मन मार करो बेहाला ॥२१॥
जय जय जय गोरख अविनासी । अपने जन की हरो चौरासी॥२२॥
अचल अगम है गोरख योगी । सिद्धि देवो हरो रस भोगी ॥२३॥
काटो मार्ग यम को तुम आई । तुम बिन मेरा कौन सहाई ॥२४॥
अजर-अमर है तुम्हारी देहा । सनकादिक सब जोरहिं नेहा ॥२५॥
कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा । है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥२६॥
योगी लखे तुम्हारी माया । पार ब्रह्मा से ध्यान लगाया ॥२७॥
ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे । अष्टसिद्धि नव निधि घर पावे ॥२८॥
शिव गोरख है नाम तुम्हारा । पापी दुष्ट अधम को तारा ॥२९॥
अगम अगोचर निर्भय नाथा । सदा रहो सन्तन के साथा ॥३०॥
शंकर रूप अवतार तुम्हारा । गोपीचन्द्र भरथरी को तारा ॥३१॥
सुन लीजो प्रभु अरज हमारी । कृपासिन्धु योगी ब्रह्मचारी ॥३२॥
पूर्ण आस दास की कीजे । सेवक जान ज्ञान को दीजे ॥३३॥
पतित पावन अधम अधारा । तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ॥३४॥
अलख निरंजन नाम तुम्हारा । अगम पन्थ जिन योग प्रचारा ॥३५॥
जय जय जय गोरख भगवाना । सदा करो भक्तन कल्याना ॥३६॥
जय जय जय गोरख अविनासी । सेवा करै सिद्ध चौरासी ॥३७॥
जो ये पढ़हि गोरख चालीसा । होय सिद्ध साक्षी जगदीशा ॥३८॥
हाथ जोड़कर ध्यान लगावे । और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे ॥३९॥
बारह पाठ पढ़ै नित जोई । मनोकामना पूर्ण होइ ॥४०॥
॥ दोहा ॥
सुने सुनावे प्रेम वश । पूजे अपने हाथ ।
मन इच्छा सब कामना । पूरे गोरखनाथ ॥
अगम अगोचर नाथ तुम । पारब्रह्म अवतार ।
कानन कुण्डल सिर जटा । अंग विभूति अपार ॥
सिद्ध पुरुष योगेश्वरो । दो मुझको उपदेश ।
हर समय सेवा करुँ । सुबह शाम आदेश ॥
॥ इति श्री गोरखनाथ चालीसा ॥
॥ श्रीगुरुदत्तात्रेयार्पणमस्तु ॥
|| श्री स्वामी समर्थापर्ण मस्तु||
गोरखनाथ चालीसा पढ़ने के फायदे (Benefits Of Reading Gorakhnath Chalisa )
गुरु गोरखनाथ जी की चालीसा (Gorakhnath Chalisa) का पाठ या श्रवण उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी है जो अपने जीवन में संपूर्ण सुख और शांति की कामना करते हैं। इस चालीसा के माध्यम से बाबा गोरखनाथ अपने भक्तों को दिव्य सुरक्षा प्रदान करते हैं और उन्हें स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, सौभाग्य, और जीवन की हर मनोकामना पूरी करने का आशीर्वाद देते हैं। जो भी अपने जीवन में सच्ची शांति और संतोष चाहता है, उसे नियमित रूप से गोरखनाथ जी की चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।