September 9, 2024 Blog

Ganesh Visarjan 2024: गणेश विसर्जन,अनंत चतुर्दशी से पहले कब कर सकते है और क्या है विसर्जन के नियम ?

BY : STARZSPEAK

गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद माह (Bhadrapad Month) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है और इसे गणेश जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। 2024 में  इस पावन पर्व की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है। इस उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन होता है। 

अनंत चतुर्दशी के दिन भक्त गणपति बप्पा (Bappa) को बड़े ही श्रद्धा और धूमधाम के साथ विदाई देते हैं और अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं। इस अवसर पर भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन सरोवर, झील, या नदी आदि में किया जाता है।

Ganesh Chaturthi 2024 Visarjan date 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी को आमतौर पर 10 दिनों के लिए घर में स्थापित करना चाहिए। लेकिन यदि आप 10 दिन तक गणेश जी की स्थापना नहीं कर सकते हैं, तो आप उन्हें 1.5 , 3, 5 या 7 दिन के लिए भी स्थापित कर सकते है। गणेश जी की स्थापना के बाद कुछ कड़े नियमों का पालन करना होता है।

गणेश जी की स्थापना के दौरान घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए, यानि घर में हमेशा कोई न कोई अवश्य मौजूद होना चाहिए। साथ ही, जितने दिन गणेश जी घर में विराजमान रहें, उन दिनों केवल सात्विक भोजन का ही सेवन करें। इसके अलावा, प्रतिदिन गणेश जी की पूजा करनी होती है और उन्हें मोदक का भोग लगाना होता है। कई अन्य नियम भी होते हैं जिनका भक्तों को पालन करना पड़ता है, इसी कारण कुछ लोग गणेश जी को कम दिनों के लिए घर में स्थापित करना पसंद करते हैं।

ganesh visarjan 2024

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डेढ़ दिन के गणपति का विसर्जन

यदि आप अपने घर पर गणपति की स्थापना कर रहे हैं और डेढ़ दिन के बाद विसर्जन करना चाहते हैं, तो गणेश विसर्जन चतुर्थी तिथि के अगले दिन (डेढ़ दिन बाद) किया जा सकता है। गणेश स्थापना चतुर्थी तिथि के दिन मध्याह्न में होती है और विसर्जन दोपहर के बाद, इसी कारण इसे डेढ़ दिन का गणेश विसर्जन कहा जाता है। 2024 में डेढ़ दिन के बाद गणेश विसर्जन बुधवार, 8 सितंबर को होगा।

Rules Of Ganesh Visarjan 2024 (गणेश विसर्जन के नियम )
  • विसर्जन हमेशा शुभ मुहूर्त देखकर ही करें।
  • गणपति की पूजा में चढ़ाई गई सामग्री को विसर्जन के साथ ही जल में प्रवाहित करें।
  • गणेश जी को चढ़ाया नारियल न तोड़ें, उसे भी साथ में विसर्जित कर दें।
  • पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की प्रतिमा का जल में विसर्जन करें।
  • बप्पा को धूमधाम से विदा करें और अगले वर्ष पुनः आने का आग्रह करें।
अग्नि पुराण के अनुसार मूर्ति विसर्जन की सही विधि

अग्नि पुराण में मूर्ति विसर्जन की विशेष विधि बताई गई है। पत्थर और मिट्टी से बनी मूर्तियों को नदी में विसर्जित करना चाहिए, जबकि रत्न और धातुओं से बनी मूर्तियों को समुद्र में बहाना उचित माना जाता है। यदि आप अपने घर में मिट्टी या पत्थर की गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं, तो इसे नदी के जल में प्रवाहित करना चाहिए। मूर्ति विसर्जन वाले दिन पहले गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए और फिर मंत्रों के साथ मूर्ति का विसर्जन करना चाहिए।

यदि आप मिट्टी और बालू से घर पर ही गणेश जी की प्रतिमा बनाते हैं, तो यह और भी बेहतर होता है, क्योंकि इससे नदियों में गंदगी नहीं फैलती। बाजार में मिलने वाली मूर्तियों में अक्सर केमिकल होते हैं, जो जलीय जीवों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए गणेश जी की प्रतिमा का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए। अगर आप सही विधि-विधान से गणेश जी की मूर्ति की स्थापना और विसर्जन करते हैं, तो आपके जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं दूर हो सकती हैं।

गणेश जी का विसर्जन मंत्र 

गणेश जी की प्रतिमा विसर्जित करते समय अगर आप इस मंत्र का जाप करते है तो भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है जिससे भक्त की पूजा सफल होती है और सुख समृद्धि आती है। 

ॐ यन्तु देवगण: सर्वे पूजामादाय मामकीम। 
इष्टकामस्मृद्धयर्था पुनरापि पुनरागम्नाय च।

इस प्रकार अगर विधिविधान से पूजा करते है और मूर्ति विसर्जित करते है तो गणपति देव अवश्य ही प्रशन्न होते है और हमे वरदान देते है। 

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