सावन माह में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। इस पूरे माह को भगवान शिव की आराधना के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। ऐसे में हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे लेकर एक पौराणिक मान्यता प्रचलित है। साथ ही सावन माह में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

जलेश्वर महादेव मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जो एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। इसे ज्वालेश्वर महादेव (Jaleshwar Mahadev) के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि नर्मदा नदी से निकलने वाला हर कंकड़ भगवान शंकर का रूप है। दरअसल, यहां हर समय भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन श्रावण, कार्तिक और मार्गशीर्ष के दौरान यहां भक्तों की विशेष भीड़ देखने को मिलती है। सावन के महीने में बहुत से श्रद्धालु पैदल चलकर ज्वालेश्वर महादेव पर नर्मदा जल चढ़ाते हैं।
इस स्थान पर महेश्वर नदी और नर्मदा नदी का संगम भी देखा जा सकता है। आज यह मंदिर जिस रूप में दिखाई देता है उसका श्रेय मराठों को जाता है। उन्होंने 17वीं शताब्दी में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। यह मंदिर (Jaleshwar Mahadev) प्राचीन काल से ऋषियों और वनवासियों के लिए पूजनीय स्थान रहा है।
Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.