August 14, 2024 Blog

Jaleshwar Mahadev: इस स्थान पर शिव जी ने नर्मदा जी को सौंपे थे अपने शस्त्र

BY : STARZSPEAK

सावन माह में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। इस पूरे माह को भगवान शिव की आराधना के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। ऐसे में हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे लेकर एक पौराणिक मान्यता प्रचलित है। साथ ही सावन माह में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

Jaleshwar Mahadev: भारत में भगवान शिव के कई ऐसे मंदिर स्थापित हैं, जो अपनी-अपनी मान्यताओं को लेकर प्रचलित हैं। ऐसे कई मंदिर हैं जिनका वर्णन पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है। आज हम आपको मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के महेश्वर में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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Jaleshwar Mahadev
सावन में उमड़ती है भारी भीड़

जलेश्वर महादेव मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जो एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। इसे ज्वालेश्वर महादेव (Jaleshwar Mahadev) के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि नर्मदा नदी से निकलने वाला हर कंकड़ भगवान शंकर का रूप है। दरअसल, यहां हर समय भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन श्रावण, कार्तिक और मार्गशीर्ष के दौरान यहां भक्तों की विशेष भीड़ देखने को मिलती है। सावन के महीने में बहुत से श्रद्धालु पैदल चलकर ज्वालेश्वर महादेव पर नर्मदा जल चढ़ाते हैं।

ये भी है खासियत

इस स्थान पर महेश्वर नदी और नर्मदा नदी का संगम भी देखा जा सकता है। आज यह मंदिर जिस रूप में दिखाई देता है उसका श्रेय मराठों को जाता है। उन्होंने 17वीं शताब्दी में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। यह मंदिर (Jaleshwar Mahadev) प्राचीन काल से ऋषियों और वनवासियों के लिए पूजनीय स्थान रहा है।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
इस मंदिर के बारे में पुराणों में एक कहानी है, जिसके अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अपने धनुष के एक ही बाण से किलेबंद शहर त्रिपुरा को नष्ट कर दिया था। तब उन्होंने इसी स्थान पर अपने हथियार नर्मदा देवी को सौंप दिये थे। यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव जलेश्वर महादेव (Jaleshwar Mahadev) के रूप में प्रकट हुए और गंगा को अपनी जटाओं से बचाया। 

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