प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव (Lord Shiv) और माता पार्वती की पूजा करने की परंपरा है। व्रत के दौरान महादेव की पूजा के बाद भगवान की आरती जरूर करें। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) के दौरान आरती न करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है। आइये पढ़ते हैं शिव आरती.

पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 03 जुलाई को सुबह 07:10 बजे शुरू होगी. वहीं, इसका समापन 04 जुलाई को सुबह 05:54 बजे होगा. ऐसे में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) 3 जुलाई को रखा जाएगा.
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥
।। Lord Shiva Aarti।।
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Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.