April 25, 2024 Blog

Guruvar Aarti: भगवान विष्णु के साथ करें बृहस्पति देव की आरती, मिलेगा मनचाहा फल

BY : STARZSPEAK

Aarti Lyrics: हिंदू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है। दिन की शुरुआत पूजा करने से की जाए, तो इसे बेहद शुभ माना जाता है। इससे मानसिक तनाव में कमी आती है।

Vishnu Ji And Brihaspati Dev Aarti Lyrics: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। अगर दिन की शुरुआत पूजा-पाठ से की जाए तो यह बहुत शुभ माना जाता है। इससे मानसिक तनाव कम होता है। इसके अलावा विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के रुके हुए काम भी पूरे हो जाते हैं। सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। इसलिए प्रतिदिन पूजा करने से देवी-देवता प्रसन्न रहते हैं। इसके अलावा गुरुवार का भी अपना महत्व है। यह दिन श्री हरि और भगवान बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है। इस दौरान मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए इस दिन व्रत रखना चाहिए। गुरुवार के दिन पूजा विधि के साथ-साथ आरती का भी विशेष ध्यान रखें। मान्यता है कि इस दिन श्री हरि विष्णु की आरती के बाद भगवान बृहस्पति की आरती करना शुभ होता है। इससे कुंडली में ग्रहों की स्थिति में सुधार होता है।

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guruwar aarti

भगवान विष्णु की आरती / Vishnu Ji Ki Aarti 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
 
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
 
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
 
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
 
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
 
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
 
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
 
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
 
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
 
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
 
बृहस्पति देव की आरती

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा। 
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी। 
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
श्री बृहस्पतिवार की आरती- ॐ जय बृहस्पति देवा-
 
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
 

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।