January 23, 2024 Blog

Ram Ji Ki Aarti: इन आरती को गाकर रामलला की पूजा करें संपन्न, यहां पढ़ें प्रभु श्रीराम जी की पूरी आरती

BY : STARZSPEAK

Ram Ji ki Aarti: अयोध्या में आज भगवान श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का पूजन किया जा रहा है अयोध्या में हवन पूजन के साथ-साथ राम भक्त अपने घरों में भी हवन और कीर्तन कर रहे हैं आरती (Ram Ji Ki Aarti) के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। इस आरती से पूजा संपन्न करें। अयोध्या के विशाल राम मंदिर में प्रतिदिन तीन बार आरती की जाएगी। सुबह 6:30 बजे शृंगार या जागरण आरती के साथ दिन का आरंभ होगा। दोपहर 12 बजे भोग आरती के समय भगवान को नैवेद्य अर्पित किया जाएगा, और शाम 7:30 बजे संध्या आरती के साथ दिन का समापन होगा। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आरती (Ram Ji Ki Aarti) के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आरती को पूजा-पाठ का अनिवार्य हिस्सा माना गया है क्योंकि यह भक्त और भगवान के बीच एक गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करती है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम की आरती (Ram Ji Ki Aarti) करने से जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान संभव हो जाता है और सुख-शांति का वास होता है। आरती के इन पवित्र क्षणों में भक्ति का माहौल और गहरा हो जाता है, जिससे हर भक्त भगवान के सान्निध्य का अनुभव कर सकता है। अगर आप भी राम मंदिर में होने वाली आरती में शामिल होना चाहते हैं या घर पर आरती करना चाहते हैं, तो यहां आपको अयोध्या राम मंदिर आरती के शब्द मिल सकते हैं।


राम जी की पहली आरती

(Ram Ji Ki Aarti) 

 श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
नव कंजलोचन, कंज – मुख, कर – कंज, पद कंजारुणं।।
कंन्दर्प अगणित अमित छबि नवनील – नीरद सुन्दरं।
पटपीत मानहु तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतवरं।।

भजु दीनबंधु दिनेश दानव – दैत्यवंश – निकन्दंन।
रधुनन्द आनंदकंद कौशलचन्द दशरथ – नन्दनं।।
सिरा मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषां।
आजानुभुज शर – चाप – धर सग्राम – जित – खरदूषणमं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर – शेष – मुनि – मन रंजनं।
मम हृदय – कंच निवास कुरु कामादि खलदल – गंजनं।।
मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो।।

एही भाँति गौरि असीस सुनि सिया सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनिपुनि मुदित मन मन्दिरचली।।

दोहा

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

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राम जी की दूसरी आरती

(Ram Ji Ki Aarti)

आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ।।
धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ।।
सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भाग वैदेही राजैं ।।
कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ।।

शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न पावैं ।।
नाम प्रभाव सकल जग जानैं । शेष महेश गनेस बखानैं
भगत कामतरु पूरणकामा । दया क्षमा करुना गुन धामा ।।
सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा । राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ।।

खेल खेल महु सिंधु बधाये । लोक सकल अनुपम यश छाये ।।
दुर्गम गढ़ लंका पति मारे । सुर नर मुनि सबके भय टारे ।।
देवन थापि सुजस विस्तारे । कोटिक दीन मलीन उधारे ।।
कपि केवट खग निसचर केरे । करि करुना दुःख दोष निवेरे ।।

देत सदा दासन्ह को माना । जगतपूज भे कपि हनुमाना ।।
आरत दीन सदा सत्कारे । तिहुपुर होत राम जयकारे ।।
कौसल्यादि सकल महतारी । दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ।।
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई । आरति करत बहुत सुख पाई ।।

धूप दीप चन्दन नैवेदा । मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ।।
राम लला की आरती गावै । राम कृपा अभिमत फल पावै ।।

राम जी की तीसरी आरती

(Ram Ji Ki Aarti)

आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥

दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥

चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥


श्री राम जी की आरती का महत्व (Importance Of Ram Ji Ki Aarti)

श्रीराम जी की आरती (ram ji ki Aarti) हिंदू धर्म में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। यह आरती भगवान श्रीराम के प्रति आस्था प्रकट करने और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का एक माध्यम है। श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में धर्म, सत्य, और मर्यादा का पालन करते हुए समाज के लिए आदर्श स्थापित किए। आरती के दौरान भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और भक्त हनुमान की भी वंदना की जाती है, जो भगवान राम के जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।

आरती की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर और घंटा-घड़ियाल बजाकर होती है। भक्तजन आरती गाते हुए भगवान राम की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक घुमाते हैं। इस समय वातावरण भक्तिमय हो उठता है, और मन में शांति व सुकून का अनुभव होता है।

इस आरती (Ram ji ki Aarti) के माध्यम से भक्त भगवान राम से अपनी सभी समस्याओं का समाधान और जीवन में शांति की कामना करते हैं। यह आरती न केवल मंदिरों में, बल्कि घरों में भी परिवार के सदस्यों के साथ सामूहिक रूप से गाई जाती है, जिससे परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

श्रीराम जी की आरती (Ram Ji Ki Aarti) के अंत में भगवान से प्रार्थना की जाती है कि वे सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहे।

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