Jai Ambe Gauri - Durga Aarti

Jai Ambe Gauri - Durga Aarti

दुर्गा मां की आरती करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। पूजा के बर्तन में कपूर या गाय के घी का दीपक जलाएं। इसके बाद मां की पूजा करते हुए आरती करें साथ ही आरती के साथ शंख और घंटी जरूर बजानी चाहिए। यदि आरती के दौरान शंख और घंटियाँ बजायी जाती हैं, तो उनकी ध्वनि घर के भीतर की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देती है। 

मां दुर्गा जी की आरती: 

जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥

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