September 21, 2020 Blog

नवरात्रि शुभरात्रि का प्रथम दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित

BY : STARZSPEAK

लेखिका : रजनीशा शर्मा

नवरात्रि के दिनों में मन का उल्लास स्पष्ट ही दिखाई देता है | आज का प्रथम दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित रहता है | यह व्रत हिन्दू धर्म की  सबसे प्राचीन सनातन काल से चली आ रही पूजा पद्धति है | इन नव दिनों में माँ के नव स्वरूपों का पूजन और ध्यान किया जाता है | यह प्रथम दिन पिता और पुत्री को समर्पित है | हिन्दू धर्म में माता पिता का स्थान ईश्वर तुल्य माना जाता है | हिमालय राज की पुत्री होने के कारण माँ भगवती का नाम शैलपुत्री अर्थात पर्वत की बेटी पड़ा |   नवरात्रि के व्रत साल में दो बार आते है | इसे मौसम परिवर्तन से भी जोड कर देखा जा सकता है | जब आपके शरीर को नए परिवर्तित मौसम के लिए तैयार होना होता है तब विशेष भोजन और दैनिक क्रिया से आप मौसम परिवर्तन के दुष्प्रभाव से बच सकते है| हिन्दू समाज का यह त्यौहार धार्मिक , नैतिक , आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सभी दृष्टि से महत्वपूर्ण है |

नवरात्रि के प्रथम दिन का महत्व -

        नवरात्रि का प्रारम्भ आश्विन माह की शुक्ल प्रतिप्रदा से होकर नवमी तक रहता है | नवरात्रि का प्रथम दिन का प्रथम स्वरूप  माँ शैलपुत्री का है जो दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाए हाथ में कमल पुष्प धारण किये हुए है | माँ शैलपुत्री का वाहन वृषभ अर्थात बैल है | प्रथम दिन में माँ के उपासक स्वयं को मूलाधार चक्र में स्थित करते है | माँ शैलपुत्री की उपासना से मूलाधार चक्र जाग्रत होता है | योग साधना का यह प्रथम पड़ाव है यही से शक्तियों की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त्र होता है |

 

पूजन विधि -

शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ कलश स्थापना के साथ शुरू होता हो | कलश को भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है प्रथम पूज्य गणपति की स्थापना से पूजन का आरम्भ होता है | भूमि पर आटे से चौक पूर कर कलश रखे और उस पर नारिल को कलावे और चुन्नी से लपेट कर रखे | गंगा जल से पवित्र करे | कलश में मिटटी , सुपारी , धन , आम्र पत्र , और जौ से कलश को सुशोभित किया जाता है जौ मिटटी में बोये जाते है और नवमी को काट कर उससे देवी देवताओ का पूजन किया जाता है | यथा शक्ति मिठाई , फूल , धुप , कपूर , फल, रोली चंदन , अक्षत  आदि से माँ की आरती सुबह शाम की जाती है |  सभी देवी देवताओ का आवाहन कर कलश की स्थापना पूर्ण होती है | इन नव दिनों  में माँ के स्वरूपों का वर्णन करने वाली दुर्गा सप्तसती का पाठ भी किया जाता है |

            माँ शैलपुत्री सभी इच्छाओ और कामनाओ की पूर्ति करने वाली है |