हमारे धर्म में अनेक विद्याएँ है, ज्योतिष भी उनमे से एक है । ज्योतिष के माध्यम से हम अपना भाग्य तो नहीं बदल सकते लेकिन हमारे जीवन में घटित होने वाली घटनाओं, सुख - दुःख, रोग, धन, इत्यादि की जानकारी हासिल हो जाती है, प्रयत्न तो हमे ही करना पड़ता है । जब कोई व्यक्ति पैदा होता है और वह बड़ा होता है तो उसका रुझान किसी एक ओर ज़्यादा होता है क्योकि हमारी कुंडली में कुछ योग होते है जो हमे इस व्यवसाय की ओर आकर्षित करते है ।
ज्योतिषी बनने के लिए लग्न व लग्नेश का बली होना आवशयक है । लग्नेश स्वग्रही हो या केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तो शुभ होता है, इसी प्रकार द्वितीय भाव वाणी का कारक होने से शुभ होना चाहिए तथा बुध व शुक्र ग्रह भी शुभ व बली होने चाहिए ।
यदि किसी कुंडली में पंचम भाव या नवम भाव में गुरु व चन्द्रमा की युति हो तो ऐसा व्यक्ति ज्योतिषी बन सकता है, इसी प्रकार द्वितीय भाव में उच्च का गुरु स्थित हो या उच्च का शुक्र हो तो व्यक्ति ज्योतिषी बनता है ।
यदि कुंडली में बुध स्वराशि में या मित्र राशि में स्थित हो या दूसरे भाव, तीसरे भाव, पंचम भाव या सातवे भाव में बुध और शुक्र की युति हो तो व्यक्ति की रूचि ज्योतिष विद्या में होती है ।
किसी कुंडली में पंचम भाव या दशम भाव में मंगल, गुरु और शनि की युति हो तथा उस भाव पर बुध की दृष्टि हो तो वह व्यक्ति ज्योतिष में उच्चाईंयो को छूता है ।
Ankit Verma, an astrologer with 9+ years’ expertise, explains remedies like Ravivar ka Upay and grah shanti, empowering readers to overcome challenges and attract positivity, success, and balance.