हिन्दू धर्म में हर क्रिया का अपना अलग ही महत्व हैं, हमारे ऋषियों ने हमारे जीवन को धर्म से जोड़कर कुछ खास दिनों में कुछ चीज़ो को खाने की मनाही की हैं, वह हमारे स्वास्थ के प्रति बहुत सजक थे।
- ऐसा माना जाता हैं की प्रतिप्रदा तिथि को पेठा खाने से धन का नाश होता हैं, द्वितीया को कटहल खाने की मनाही हैं ।
- तृतीया तिथि को परवल खाने से शत्रु हावी रहते हैं तथा उनकी संख्या भी बढ़ जाती हैं, चतुर्थी तिथि को मूली खाने से धन की हानि मानी जाती हैं ।
- यदि पंचमी तिथि को बेल खाया जाए या बेल का शरबत पीया जाए तो व्यक्ति की मान - हानि हो सकती हैं और उस पर कोई कलंक भी लग सकता हैं ।
- षष्ठी तिथि को न तो नीम के पत्ते चबाने चाहिए और ना ही नीम की दातुन करनी चाहिए, इससे व्यक्ति को नीच गोत्र या नीच कुल मिलता हैं ।
- सप्तमी तिथि को ताड़ के फल का सेवन करने से शरीर को नुकसान होता हैं तथा शरीर में व्याप्त रोगों में वृद्धि होती हैं ।
- अष्टमी तिथि को नारियल खाने से बुद्धि कम होती हैं, इसी प्रकार एकादशी तिथि को सेम की सब्जी, द्वादशी तिथि को साग तथा त्रयोदशी तिथि को बैगन नहीं खाना चाहिए ।
- अमावस्या, पूर्णिमा, सक्रांति, चतुर्दशी, अष्टमी तथा श्राद के दिनों में तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए ।
- इसी प्रकार सोमवार को चीनी का त्याग, मंगलवार को घी का परहेज, बुधवार को हरी सब्जियाँ, गुरुवार को दूध व केला, शुक्रवार को खट्टे का त्याग, शनिवार को तेल से बने पदार्थ तथा रविवार को नमक का निषेध करना चाहिए ।