September 16, 2025 Blog

Labh Panchami 2025: लाभ पंचमी कब और क्यों मनाते है एवं इसका क्या महत्व है ?

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Labh Panchami 2025: लाभ पंचमी दिवाली उत्सव का अंतिम दिन माना जाता है। यह पर्व पारंपरिक गुजराती पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

लाभ पंचमी को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे – सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी, लाभ पंचम और लाखेनी पंचमी। विशेषकर गुजरात में यह त्योहार बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करके अपने जीवन और व्यापार में सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं।

लाभ पंचमी 2025 कब है? (When is Labh Panchami 2025)

साल 2025 में लाभ पंचमी का पर्व रविवार, 26 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।

पंचमी तिथि की शुरुआत: 26 अक्टूबर 2025, सुबह 03:48 बजे से

पंचमी तिथि का समापन: 27 अक्टूबर 2025, सुबह 06:04 बजे तक


लाभ पंचमी 2025 का शुभ मुहूर्त (Auspicious Time Of Labh Panchami 2025)

यद्यपि इस पूरे दिन को ही शुभ और लाभदायक माना जाता है, फिर भी व्यापारी और दुकानदार विशेष रूप से शुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हैं।

  • लाभ पंचमी पूजा मुहूर्त (प्रातःकाल) – सुबह 06:41 बजे से 10:29 बजे तक

लाभ पंचमी का महत्व (Importance Of Labh Panchami)

दीपावली का उत्सव धनतेरस से शुरू होता है और इसका समापन लाभ पंचमी पर होता है। परंपरा के अनुसार, इस दिन को बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है। व्यापारी वर्ग दीपावली की छुट्टियों के बाद अपने व्यवसाय और दुकानों की शुरुआत इसी दिन करते हैं। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से घर-परिवार और व्यापार में लाभ, उन्नति और सौभाग्य प्राप्त होता है।

labh panchami


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इस दिन क्या करते हैं (What do you do on this day)

गुजरात में लाभ पंचमी का विशेष महत्व है। वहाँ व्यापारी इस दिन को नए कार्य की शुरुआत और नए खातों की बही खोलने के रूप में मानते हैं। नए खाता-बही (जिसे खाटू कहते हैं) में बाईं ओर शुभ, दाईं ओर लाभ लिखा जाता है और बीच में स्वस्तिक का चिन्ह बनाकर शुभारंभ किया जाता है। यही कारण है कि इसे गुजराती नववर्ष का पहला कार्यदिवस भी कहा जाता है।

साल 2025 एक अधिवर्ष (लीप ईयर) है, जिसकी वजह से इस साल कई बड़े त्योहार जैसे नवरात्रि, दशहरा, दीपावली और लाभ पंचमी सामान्य से एक माह बाद मनाए जाएंगे।

लाभ पंचमी के प्रमुख अनुष्ठान और परंपराएँ (Major Rituals and Traditions of Labh Panchami)

लाभ पंचमी के दिन वे लोग शारदा पूजन करते हैं, जो दीपावली के समय इसे करने से रह गए थे। खासतौर पर व्यापारी वर्ग इस दिन अपनी दुकानें खोलते हैं और नए बहीखातों की पूजा करते हैं। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए उनका विशेष पूजन करना भी इस अवसर की मुख्य परंपरा है।

इस दिन रिश्तों में मिठास घोलने की परंपरा भी निभाई जाती है। लोग अपने मित्रों और परिजनों के घर जाकर मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं, जो आपसी प्रेम और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है।

कई स्थानों पर लाभ पंचमी (labh panchami ) को ज्ञान से जुड़ा पर्व भी माना जाता है। इसलिए विद्यार्थी और विद्वान अपनी पुस्तकों की पूजा करते हैं ताकि बुद्धि और विद्या में वृद्धि हो।

इसके अलावा, इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। गरीब और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, धन अथवा अन्य आवश्यक वस्तुएँ दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में समृद्धि आती है।


लाभ पंचमी और उसका आध्यात्मिक संदेश (Labh Panchami and its Spiritual Message)

जैन समाज में लाभ पंचमी के दिन पुस्तकों की पूजा करने की परंपरा है। वे मिठाई, फल और अन्य सामग्रियों के साथ यह प्रार्थना करते हैं कि उनका ज्ञान और बुद्धि में विस्तार हो। वहीं, हिंदू व्यापारी इस दिन मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं और अपने नए बहीखाते की शुरुआत करते हैं, ताकि व्यापार में उन्नति और सौभाग्य प्राप्त हो।

शास्त्रों में 'लाभ' की परिभाषा बेहद सुंदर ढंग से दी गई है:
“वही सच्चा लाभ है, वही सच्ची जीत है, जब हृदय में भगवान जनार्दन और देवी लक्ष्मी का वास हो। वहां पराजय का कोई स्थान नहीं होता।”

इस पर्व का गहरा संदेश यही है कि सच्चा लाभ केवल आर्थिक समृद्धि में नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संतुलन और हृदय में ईश्वर की उपस्थिति में है। इसलिए इस लाभ पंचमी पर केवल धन की वृद्धि ही नहीं, बल्कि जीवन में शांति, संतुलन और सकारात्मकता की कामना भी करनी चाहिए।

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निष्कर्ष

लाभ पंचमी दिवाली उत्सव का समापन करने वाला महत्वपूर्ण दिन है, जिसे विशेषकर व्यापारी वर्ग और परिवार बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं। यह दिन न केवल व्यापार और नए कार्यों की शुभ शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि रिश्तों में मधुरता, ज्ञान की वृद्धि और दान-पुण्य की भावना को भी बढ़ावा देता है। मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन की गई पूजा, दान और शुभ कार्य जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लेकर आते हैं।

Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.