June 7, 2025 Blog

Ayodhya Ram Darbar ki pahli Jhalak: राम दरबार प्राण प्रतिष्ठा की तस्वीरें आयी सामने

BY : STARZSPEAK

Ayodhya Ram Darbar Pran Pratishtha: अयोध्या के प्रमुख राम मंदिर में आज गंगा दशहरा जैसी पुण्य तिथि पर भगवान  राम दरबार सहित 8 देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ आयोजन संपन्न हुआ। इस पावन अनुष्ठान के लिए खास तौर पर गंगा दशहरा का दिन इसलिए चुना गया, क्योंकि इस दिन न केवल सिद्ध योग बना था, बल्कि शुभ और दुर्लभ 'अभीजीत मुहूर्त' भी उपलब्ध था। प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सुबह 11 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर  से 11 बजकर 40 मिनट तक पुरे विधिः-विधान से किया गया।

इस आयोजन की तैयारियां पहले ही 3 जून से शुरू हो गई थीं। आज सुबह 6 बजे से यज्ञ मंडप में देवताओं का विधिवत पूजन करके प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया शुरू की गई। इससे पहले बुधवार को विभिन्न अधिवासों की रस्में निभाई गईं और मंदिर परिसर में उत्सव विग्रहों को भव्य शोभायात्रा के रूप में भ्रमण कराया गया। साथ ही, भारत की 21 पवित्र नदियों के जल से सभी देव विग्रहों का अभिषेक किया गया, जिससे यह पूरा आयोजन और भी दिव्य और पवित्र बन गया।

इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीराम और अन्य देवताओं के लिए विशेष आभूषण भी सजाए गए। इनमें किरीट, कुंडल, मुकुट, कंठहार, बाजूबंद, करधनी, कंगन और ब्रेसलेट के साथ माता सीता के लिए विशिष्ट आभूषण भी शामिल रहे। इसके अलावा, स्वर्ण निर्मित तीर-धनुष, गदा, कृपाण और कटार जैसे आयुध भी साथ लाए गए, जो इस दिव्य अनुष्ठान की भव्यता को और बढ़ा गए। इस खास अवसर पर पूरे मंदिर परिसर को सुंदर फूलों और मालाओं से सजाकर भव्य रूप दिया गया था।

Ram Darbar

प्रथम तल पर स्थित मूर्तियों का भी पूजन

अयोध्या के भव्य राम मंदिर में गुरुवार की सुबह राम दरबार की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर वैदिक ऋषियों द्वारा मंत्रोच्चार, विशेष पूजा और हवन की रस्मों के साथ देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विधिवत स्थापित की गईं। पूरा वातावरण भक्तिमय ऊर्जा से भर गया, जहां श्रद्धा और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला।


हीरे-मोती जड़े जेवर से हुआ श्रृंगार

बुधवार को राम मंदिर में राजा राम, माता सीता और अन्य सभी देव विग्रहों के श्रृंगार के लिए हीरे-मोती जड़े भव्य स्वर्ण आभूषण लाए गए। ये कीमती आभूषण गुजरात के श्रद्धालु दिलीप भाई द्वारा श्रद्धापूर्वक तैयार कराए गए हैं। उन्होंने इन्हें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की अनुमति के बाद प्रभु रामलला को अर्पित किया। यह समर्पण आस्था, भक्ति और सेवा भाव का एक अद्भुत उदाहरण है।

Ayodhya Ram Darbar photo


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1 दिन पहले किया गया था अभिषेक और यज्ञमंडप

बुधवार की सुबह पूरे राम मंदिर परिसर में श्रद्धा और वैदिक परंपरा के अनुसार अनुष्ठानिक गतिविधियाँ शुरू हुईं। प्रातः के लगभग 6:30 बजे से यज्ञमंडप में सभी देवताओं का पुरे विधिविधान से पूजन हुआ, जो लहभग दो घंटे तक चला। तत्पश्चात सुबह 9 बजे से 9:30 बजे के बीच अन्नाधिवास की प्रक्रिया पूरी की गई। उसके बाद यज्ञमंडप में 9 बजकर 35 मिनट से 10 बजकर 35 तक विशेष हवन समारोह संपन्न हुआ।

फिर सुबह 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट बजे तक राम दरबार के साथ साथ सभी देव विग्रहों का अभिषेक किया गया। और इसके साथ जिस मंदिरों में इन विग्रहों की स्थापना होनी थी, वहाँ भी शुद्धिकरण और अभिषेक की रस्म निभाई गई। दोपहर 2 बजे से 3 बजे तक उत्सव विग्रहों का मंदिर परिसर में भव्य भ्रमण कराया गया। इसके लिए राम दरबार और अन्य छह मंदिरों की उत्सव मूर्तियों को चांदी की सजी-धजी पालकियों में विराजमान कर पूरे परकोटे में भक्तिपूर्वक घुमाया गया।


राम दरबार मूर्ति की मुख्यता

रामनगरी अयोध्या की पवित्र धरती पर इन दिनों एक ऐसा इतिहास लिखा जा रहा है, जिसकी गूंज आने वाली पीढ़ियाँ भी महसूस करेंगी। श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहा भव्य मंदिर न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय वास्तुकला और वैज्ञानिक सोच का भी अद्वितीय उदाहरण बनता जा रहा है। राम मंदिर के प्रथम तल पर विराजमान होने वाला राम दरबार केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि कलात्मक और स्थापत्य शिल्प की दृष्टि से भी बेजोड़ बनने जा रहा है।

इस राम दरबार को जिस विशेष संगमरमर से गढ़ा गया है, वह न केवल बेहद मजबूत है बल्कि उसमें एक ऐसी प्राकृतिक चमक और गहराई है, जो समय के साथ फीकी नहीं पड़ती। इसे बनाने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकार सत्य नारायण पांडेय बताते हैं कि इस काम के लिए पत्थरों की बहुत बड़ी खेप खरीदी गई, लेकिन राम दरबार की मूर्ति के लिए जिस विशेष शिला का चयन हुआ, वह लगभग 40 साल पुरानी है। उनका कहना है कि आजकल वैसी गुणवत्ता वाला नया संगमरमर मिलना बहुत मुश्किल हो गया है। वे दावा करते हैं कि राम दरबार की यह मूर्ति आने वाले हजार वर्षों तक बिना किसी नुकसान के सुरक्षित रह सकती है।

इस खास पत्थर की खूबी यह है कि जितना उसे धोया जाएगा या स्नान कराया जाएगा, उसकी चमक उतनी ही निखरती जाएगी। पत्थर के चयन की प्रक्रिया भी आसान नहीं थी—इसमें छह महीने का समय लगा। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि सबसे उत्तम और टिकाऊ पत्थर ही चुना जाए। इसके बाद जब यह पत्थर चुना गया, तो IIT हैदराबाद की वैज्ञानिक टीम ने इसकी बारीकी से वैज्ञानिक जांच की।

इस जांच में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया कि यह पत्थर मौसम, समय और वातावरण के प्रभावों को कितनी अच्छी तरह सहन कर सकता है। इसकी ताकत, नमी सोखने की क्षमता, घर्षण सहनशीलता और तापमान झेलने की क्षमता जैसी खूबियों की अलग-अलग प्रयोगशालाओं में जांच हुई। जब विशेषज्ञों ने सभी कसौटियों पर इसे खरा पाया, तब जाकर ट्रस्ट ने इसके इस्तेमाल को अंतिम स्वीकृति दी।

यह राम दरबार न केवल हमारी आस्था को साकार करता है, बल्कि यह आने वाले समय में भारतीय स्थापत्य और वैज्ञानिक सोच की गौरवगाथा भी बनकर उभरेगा।

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ram darbar pran pratishtha


सिंघासन समेत 7 फ़ीट ऊँची है राम दरबार की प्रतिमा

मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने बताया कि राम दरबार की मूर्ति का आकार बेहद भव्य होगा। सिंहासन सहित इसकी कुल ऊंचाई लगभग सात फीट तक होगी। दरअसल, मूर्ति का सिंहासन करीब साढ़े तीन फीट ऊंचा है, जबकि भगवान राम और माता सीता के विग्रह की ऊंचाई साढ़े चार फीट है। मूर्ति को जब सिंहासन पर स्थापित किया गया, तो उसकी कुल ऊंचाई थोड़ी कम होकर लगभग सात फीट रह गई।

राम दरबार में शामिल अन्य मूर्तियों की बनावट भी खास है। श्रीहनुमान और भरत की मूर्तियाँ बैठी मुद्रा में बनाई गई हैं, जिनकी ऊंचाई करीब ढाई फीट है। वहीं, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की प्रतिमाएं खड़े हुए स्वरूप में हैं, जिनकी ऊंचाई तीन-तीन फीट के आसपास है। इस तरह राम दरबार का पूरा दृश्य न केवल दर्शनीय होगा, बल्कि श्रद्धा और कलाकारी का सुंदर मेल भी प्रस्तुत करेगा।

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