मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम के जन्मस्थली - Ayodhya Ram Mandir अयोध्या भारत की पवित्र सप्त पुरियों अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, (वाराणसी) कांची,(कांचीपुरम, तमिलनाडु) अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारिकाधाम(गुजरात) में प्रथम स्थान पर है। जब महाराज मनु के लिए एक नगर का निर्माण होना था, तब महर्षि वशिष्ठ ने सरयू नदी के किनारे एक भूमि का चयन किया, इसी भूमि पर देवशिल्पी विश्वकर्मा जी ने अयोध्या नगरी की स्थापना की। अर्थवेद में अयोध्या को भगवान का नगर कहा गया है। स्कंद्पुरण में दिया है कि अयोध्या नगर भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर स्थित है। दशरथ नंदन श्री राम के जन्म के लिए प्रसिद्ध अयोध्या में अन्य कई ऋषि-मुनि, तीर्थकरों, महान योध्या एवं कई चक्रवर्ती सम्राट भी जन्म ले चुके है। बौद्ध धर्मियों के अनुसार भगवान बुद्ध ने अयोध्या (साकेत) में लगभग 16 वर्ष तक निवास किया था। आज हम आपको बताते है कि कैसे आप भगवान श्री राम के दर्शन मंदिर में कर सकते है और अयोध्या के अन्य प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करके अपनी सम्पूर्ण यात्रा का आनंद ले सकते है।
जो लोग उत्तरप्रदेश से दूर के राज्यों में रहते है, वे फैजाबाद और अयोध्या को एक ही शहर मानते है पर ऐसा नहीं है, फैजाबाद और अयोध्या अलग अलग शहर है। फैजाबाद से अयोध्या 7 किमी की दूरी पर स्थित है। उत्तरप्रदेश के मुख्मंत्री योगी जी ने फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया।
अयोध्या पहुचने के लिए सबसे निकट 130 किमी की दूरी पर चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट लखनऊ में स्थित है। यहाँ पहुचने के बाद आप एयरपोर्ट से टैक्सी लेकर या ट्रेन या बस के द्वारा सफर करके अयोध्या पहुँच सकते है। आप अन्य गोरखपुर , इलाहाबाद और वाराणसी एयरपोर्ट के माध्यम से भी अयोध्या आ-जा सकते है।
अयोध्या पहुचने के लिए रेलवे सबसे अच्छा साधन है। फैजाबाद और अयोध्या रेलवे स्टेशन के किये लगभग सभी प्रमुख महानगरों एवं नगरों से ट्रेन चलती हैं। अगर अयोध्या या फैजाबाद पहुचने के लिए आपके शहर से कोई सीधी ट्रेन नहीं है तो आप मनकापुर या लखनऊ रेलवे स्टेशन आ सकते है। मनकापुर से अयोध्या 35 किमी और लखनऊ से 130 किमी दूर है। यहाँ से आप बस, टैक्सी या कार से अयोध्या पहुँच सकते हैं।
अयोध्या के लिए सरकारी और निजी बस सेवाओं का बड़ा नेटवर्क है, जो अयोध्या को देश के कई शहरों से जोड़ कर रखता है। उत्तरप्रदेश और आस पास के राज्यों से अयोध्या के लिए कई एसी और नॉन एसी बस चलती है। अयोध्या से लखनऊ 130 किलोमीटर, वाराणसी 200 किलोमीटर, इलाहाबाद 160 किलोमीटर, गोरखपुर 140 किलोमीटर और दिल्ली लगभग 636 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। जिनसे आप बस, टैक्सी या कार के माध्यम से अयोध्या तक का सफ़र कर सकतें है।
अयोध्या भगवान राम - Ayodhya Ram Mandir का धाम है और भगवान राम के दर्शन के लिए हर मौसम सुहाना होता है परन्तु बच्चों और परिवार को ध्यान को में रखते हुए बारिश का मौसम जाने बाद अक्टूबर से मार्च का समय अयोध्या जाने के सबसे अच्छा होता है। अयोध्या में अप्रैल मई और जून में बहुत गर्मी पड़ती है।
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अयोध्या में कई प्रकार के प्रायवेट होटल और धर्मशालाएं उपलब्ध है। यहाँ पर श्री जानकी महल ट्रस्ट और बिड़ला धर्मशाला रुकने के लिए उत्तम है। यहाँ रुकने से आप अयोध्या की धर्म और संस्कृति से भी परिचित हो जायेंगे। यहाँ नॉन AC कमरा 200 रु में और AC रूम 800-1000 रु में मिल जायेंगे। आप ऑनलाइन वेबसाइट से होटल के AC और NON AC रूम बुक कर सकते है। अयोध्या में धर्मशालाओं की जानकारी का लिंक नीचे दिया गया है।
अयोध्या में कई AC और NON AC रेस्टोरेंट और भोजनायल है। जहाँ पर आप अपना मनपसंद भोजन कर सकते है। श्री राम जन्म भूमि के पास अमावा राम मंदिर के बाहर पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर के द्वारा राम की रसोई का संचालन किया जाता है, जहाँ भक्तों को निशुल्क भोजन प्रसाद दिया जाता है। इसके अलावा कनक भवन ट्रस्ट द्वारा संचालित कनक रसोई में बिना लहसुन प्याज का भोजन प्रसाद और नाश्ता अत्यंत कम दामों में मिल जाता है। कुछ धर्मशालाओं में रुकने वाले वाले यात्रियों को निशुल्क या नाममात्र शुल्क में चाय, नाश्ता और भोजन आदि दिया जाता है।
अयोध्या के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण उत्तर प्रदेश पयर्टन ने - Ayodhya Ram Mandir धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना आरम्भ कर दिया है। अयोध्या में 5000 से ज्यादा मंदिर है। अयोध्या के लगभग सभी दर्शनीय स्थल और मंदिरों के मध्य ज्यादा दूरी नहीं है। आप पैदल या रिक्शे से अयोध्या के प्रमुख स्थानों का भ्रमण कर सकते है। अब हम आपको ले चलते है अयोध्या दर्शन के लिए।
अयोध्या दर्शन- Ram Mandir की शुरुवात सरयू नदी के किनारे स्नान करने से होती है। सरयू तट पर कई घाट जैसे नया घाट, राम घाट, लक्ष्मण घाट, गुप्तार घाट आदि बने हुए है। आप किसी भी घाट पर स्नान कर सकते है। सरयू में स्नान करने से जाने अनजाने में किये सारे पाप धुल जाते है। घाट पर कई नाव वाले अपनी नाव को सजा कर नौका विहार के लिए तैयार रखते है जिसमे बैठकर आप सरयू नदी के सभी घाटों का सौन्दर्य देख सकते है। यहाँ सायंकल में होने वाली आरती का द्रश्य अति सुंदर होता है।
सरयू घाट के पास स्थित है राम की पैडी, जिसके बारे के एक पौराणिक कथा प्रचलित है। एक बार लक्ष्मण जी ने सभी तीर्थ स्थलों के दर्शन करने के लिए जाने का निश्चय किया। तब श्री राम जी ने यहाँ इस पैडी की स्थापना की और कहा कि सायंकाल के समय सभी तीर्थ यहाँ स्नान के लिए उपस्थित होंगे। जो भी व्यक्ति इस समयअवधि में यहाँ स्नान करेगा, उसे सभी तीर्थ का पुण्य प्राप्त होगा। श्री राम - Ayodhya Ram Mandir के जाने बाद यहाँ का जल सूख गया। इस समय मोटर पम्प से सरयू नदी का जल इसमें भरा जाता है। इस पुण्य स्थल पर स्नान अवश्य करें। यहाँ विश्व का सबसे बड़ा दीपोस्तव मनाया गया था, जिसे देखने पूरे विश्व से लोग अयोध्या आये थे।
घाट के पास भोलेनाथ का श्री नागेश्वरनाथ मंदिर स्थित है। इसका निर्माण भगवान राम के पुत्र कुश ने करवाया था। एक बार सरयू नदी में स्नान के दौरान कुश का बाजूबंद निकल कर बहता हुआ एक नागकन्या के पास पंहुच गया। उस नागकन्या को कुश से प्रेम हो गया। वह नागकन्या भगवान शिव की उपासक थी, उसके लिए कुश ने यह नागेश्वर मंदिर बनवाया। बाद में यह मंदिर खंडहर हो गया फिर महाराज विक्रमादित्य ने इसका जीर्णोद्धार करवाया।
जहाँ भगवान श्री राम है, वहाँ महाबली हनुमान जी भी है। भगवान राम ने यहाँ हनुमान जी को अयोध्या की रक्षा के लिए नियुक्त किया था। यह मंदिर राम की पैडी से 2 किमी की दूरी पर स्थित है। भगवान राम के दर्शन से पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन करना आवश्यक है। एक ऊँचे टीले पर स्थित होने के कारण 76 सीढियों को चढ़ने के बाद हनुमान जी की 6 इंच की प्रतिमा दर्शन प्राप्त होते है। चारों तरफ से चढ़ी हुई कई फूल माला में मध्य में हनुमान जी बाल रूप में माता अन्जनी की गोद में बैठे हुए अति सुन्दर लगते है। हनुमान जी की इस छबि को अपने मन में उतार लीजिये, उनका यह रूप शायद की किसी और मंदिर में देखने को मिले।
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हनुमान गढ़ी से 200 मीटर की दूरी पर दशरथ महल स्थित है। इस महल में महाराज दशरथ का निवास था। श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन चारों भाइयों का बचपन इसी महल में बीता है। अति प्राचीन नक्काशी से सुशोभित भव्य द्वार से अन्दर प्रवेश करने पर विशाल आँगन मिलेगा। भगवान राम के सुन्दर भजन से आपके मन में भक्ति का रस प्रवाहित होने लगेगा। इस मंदिर में दशरथ नंदन श्री राम, माता सीता, लक्ष्मणजी, भरत और शत्रुघनजी की अद्वितीय प्रतिमाये स्थापित है। यह महल दर्शन के लिए सुबह 8 से लेकर दोपहर 12 बजे तक और शाम 4 से लेकर रात के 10 बजे तक खुला रहता है।
प्राचीन कल में सोने से बना कनक महल रानी कैकेयी ने सीता जी को मुंह दिखाई में दिया था। माता कैकई ने कहने पर राजा दशरथ ने श्रेष्ठ शिल्पकारों से अद्भुद निर्माण शैली में कनक भवन का निर्माण करवाया था। यह भगवान राम और माता सीता का निवास स्थान था। यह अयोध्या का सबसे भव्य और सुंदर महल है। इस रमणीय कनक भवन में भगवान राम और सीता की सोने के मुकुट पहने हुई मूर्तियां सुशोभित हैं। इस मंदिर में आप भगवान राम और माता सीता के होने के सुखद अहसाह प्राप्त कर सकते है।
अब भगवान रामलला - Ayodhya Ram Mandir को टेंट से निकालकर एक नये अस्थाई मंदिर में शिफ्ट कर दिया है। भगवान श्री राम चांदी के सिंघासन पर विराजमान है। फाइबर से बना यह मंदिर पूरी तरह से बुलेट प्रूफ है। जब तक नया मंदिर नहीं बन जाता तब तक भगवान श्री राम इसी मंदिर में विराजमान रहेंगे। राम मंदिर कार्यशाला के पास बने इस मंदिर में सुरक्षा इतनी कड़ी है कि इसमें पक्षी और बंदर तक नहीं घुस सकते। मंदिर पहुंचने के पूरे मार्ग में फाइबर की छत लगाई गई है। मंदिर के परिक्रमा मार्ग में प्रवेश करने के लिए मेटल डिटेक्टर गेट से होकर गुजरना होगा। पहले रामलला के दर्शन के लिए लोहे की जालियो से घिरी बंद गली से होकर जाना होता था, जहाँ भगवान श्री राम टेंट में चारो तरफ से मिलेट्री के जवानों से घिरे रहते है।
सभी को इंतजार है कि राम मंदिर- Ayodhya Ram Mandir कैसा होगा। भगवान राम के नये मंदिर के समीप स्थित है आप अवश्य देखिये। राम मंदिर की कार्यशाला को जहाँ पर मंदिर के भव्य निर्माण की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। गुजरात से कुशल कारीगर बुलाये गये है, जो दिन रात पत्थर पर अद्भुद कारीगरी कर रहे है। 128 फीट ऊँचे राम मंदिर के पांच भाग अग्रभाग, सिंह द्वार, नृत्यमंडपम, रंग मंडपम और गर्भगृह के स्तम्भ, मूर्तियाँ, चबूतरे, छत, शिखर के अविस्मर्णीय द्रश्य की कल्पना करके आप का ह्रदय मंदिर को देखने के लिए लालायित हो उठेगा।
यदि आप राम लीला- Ayodhya Ram Mandir का आनंद लेना चाहते है तो आप हनुमान गढ़ी के निकट स्थित तुलसी स्मारक भवन अवश्य जाइये। यहाँ प्रतिदिन प्रार्थना, भक्ति संगीत और धार्मिक प्रवचन का आयोजन होता हैं और प्रतिदिन सायंकाल 6 से 9 बजे के बीच राम लीला का आयोजन होता है। यहाँ गोस्वामी तुलसीदास जी की कई साहित्यिक रचनाओं का संग्रह है।
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