June 3, 2025 Blog

Radha Ashtami 2025 : इस साल कब है राधा अष्टमी , जानिए तिथि, व्रत पूजा विधि एवं महत्त्व

BY : STARZSPEAK

Radha Ashtami 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल राधा अष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन राधा रानी का जन्म हुआ था। जैसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व होता है, वैसे ही राधा अष्टमी भी भक्तों के लिए बहुत पूजनीय और खास होती है। यह त्योहार जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद आता है और मथुरा, वृंदावन व बरसाना जैसे स्थानों पर बड़े उत्साह और भक्ति भाव से मनाया जाता है।

इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने घर में सुख-शांति, परिवार की उन्नति और संतान की लंबी उम्र के लिए राधा रानी के साथ भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और विधि-विधान से राधा-कृष्ण की पूजा करने से जीवन में खुशहाली आती है और महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।


राधा अष्टमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Radha Ashtami 2025 Date & Time)

साल 2025 में राधा अष्टमी का पावन पर्व रविवार, 31 अगस्त को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। यह दिन राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य प्रेमिका और उनकी आराध्य शक्ति मानी जाती हैं।

इस दिन अष्टमी तिथि (Radha Ashtami 2025 Date) की शुरुआत होगी — 31 अगस्त 2025 को रात 8 बजकर 40 मिनट पर,
और यह तिथि समाप्त होगी — 1 सितंबर 2025 को रात 12 बजकर 55 मिनट पर

इस विशेष अवसर पर भक्तगण व्रत रखते हैं, राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं और भक्ति भाव से भरे आयोजन में भाग लेते हैं।

राधा अष्टमी 2025: सरल पूजा विधि (Radha Ashtami 2025 Puja Vidhi)

राधा अष्टमी के शुभ दिन को खास बनाने के लिए सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। इसके बाद घर के पूजा स्थान की अच्छी तरह सफाई करें और वहां एक तांबे या पीतल के कलश में स्वच्छ जल भरकर स्थापित करें।

अब एक चौकी लें और उस पर पीले या लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं। इस चौकी पर राधारानी और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर को प्रेमपूर्वक स्थापित करें। इसके बाद राधा जी को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं और सुंदर वस्त्र, फूल-मालाएं व आभूषण अर्पित कर उनका श्रृंगार करें।

फिर दोनों को चंदन, अक्षत (चावल), फूल, मौसमी फल और मिठाइयाँ अर्पित करें। पूजा के दौरान धूप और दीप जलाएं और संपूर्ण श्रद्धा से राधा-कृष्ण की आरती करें। आरती के पश्चात राधा और कृष्ण के नामों का जप करें, और अपनी भक्ति भावना के साथ पूजा का समापन करें।

Radha Ashtami 2025

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राधा अष्टमी पर क्या करें और क्या नहीं करें (What to do and what not to do on Radha Ashtami)

हिंदू धर्म में राधा अष्टमी का दिन बहुत ही शुभ और पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति को वही फल प्राप्त होता है जो जन्माष्टमी व्रत के पूजन से मिलता है। यदि इस दिन कुछ विशेष उपाय श्रद्धा और नियमपूर्वक किए जाएं, तो राधा-कृष्ण की कृपा शीघ्र प्राप्त हो सकती है।

ऐसा कहा जाता है कि राधा अष्टमी (Radha Ashtami) के दिन गुप्त रूप से तिल, उड़द की दाल, काले वस्त्र, लोहा या लोहे की वस्तुएं दान करने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं और अच्छे रिश्तों के योग बनने लगते हैं। यह उपाय विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माने जाते हैं जिनका विवाह किसी न किसी कारण से रुका हुआ है।

हालांकि, एक बात का ध्यान अवश्य रखें—कुवांरी कन्याओं को इस दिन श्रृंगार सामग्री का दान करने से परहेज करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से अनजाने में दोष लग सकता है।

राधा अष्टमी 2025 पर क्या भोग लगाएं? (What to offer on Radha Ashtami 2025?)

राधा अष्टमी के दिन राधा रानी और श्रीकृष्ण को भोग लगाने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन यदि भक्त श्रद्धा से दूध, सफेद मिठाई, सादा चावल या बिना मिश्री की खीर का भोग अर्पित करें, तो राधा-कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

ऐसा करने से न केवल मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि जीवन में सुख, प्रेम और सौभाग्य भी बढ़ता है। भोग अर्पण करते समय शुद्धता और भक्ति का ध्यान अवश्य रखें।

राधा अष्टमी का महत्व (Radha Ashtami Significance)

राधा अष्टमी का पर्व हर साल भक्ति और प्रेम के रंगों से सराबोर होकर मनाया जाता है। जैसे जन्माष्टमी श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाई जाती है, ठीक वैसे ही राधा अष्टमी राधारानी के प्राकट्य को समर्पित होती है। इस दिन राधा और श्रीकृष्ण के दिव्य प्रेम का स्मरण किया जाता है, जो सांसारिक प्रेम से परे और आत्मिक जुड़ाव का प्रतीक है।

राधा और कृष्ण का संबंध महज दो आत्माओं का मिलन नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के एक होने का प्रतीक है। राधा को जीवात्मा माना जाता है और श्रीकृष्ण को परमात्मा — इसलिए जब इन दोनों का नाम लिया जाता है, तो साथ में ‘राधाकृष्ण’ कहा जाता है, क्योंकि वे एक-दूसरे से कभी अलग नहीं होते।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधा अष्टमी का व्रत (Radha Ashtami Vrat) रखने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और भक्ति की वृद्धि होती है। इस दिन श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत करने से व्यक्ति की सभी बाधाएं दूर होती हैं, भौतिक इच्छाएं पूरी होती हैं और अंततः आत्मा को शांति व मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यह भी माना जाता है कि इस दिन राधारानी की पूजा करने और देवी शक्ति के स्वरूपों का स्मरण करने से मन की नकारात्मकता दूर होती है, और व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है।

निष्कर्ष

राधा अष्टमी (Radha Ashtami 2025) हमें प्रेम, भक्ति और निश्छल समर्पण का दिव्य संदेश देती है। राधा-कृष्ण का अद्वैत रूप यह सिखाता है कि जब मनुष्य अपने भीतर के अहंकार और सांसारिक मोह से ऊपर उठ जाता है, तभी वह परमात्मा के सच्चे सान्निध्य को महसूस कर सकता है। इस पावन अवसर पर व्रत, कीर्तन, दान और सेवा के माध्यम से हम न केवल आत्मिक तृप्ति पाते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मकता, सौहार्द और समृद्धि भी आमंत्रित करते हैं। आइए, राधा अष्टमी पर हम सभी अपने भीतर प्रेम और करुणा का दीपक प्रज्वलित करें और राधारानी के मधुर चरणों में अपने जीवन को समर्पित करते हुए सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ाएँ।

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