उद्योगपति बनना या धनवान बनना बिना मेहनत, परिश्रम व लग्न के संभव नहीं है । पैसा कमाने के लिए व्यक्ति को साहसी, दृढ़ निश्चयी तथा ठीक समय पर उचित निर्णयलेने की क्षमता का होना जितना आवशयक है उतना ही आवशयक है कुंडली में पाए जाने वाले योग व ग्रहो की दशा । मेहनत के साथ भाग्य के होने पर ही व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल हो सकता है ।
जन्मकुंडली में धन स्थान, धनेश की स्थिति, भाग्य स्थान, लामेश की स्थिति तथा इनका परस्पर सम्बन्ध होना बहुत जरुरी है । इसके साथ ही यदि व्यक्ति की धन से सम्बंधित ग्रह की दशा भी चल रही हो तो सफलता आसानी से मिल जाती है ।
यदि मिथुन लग्न की कुंडली में नवम भाव का स्वामी शनि उच्च का होकर पंचम भाव में सूर्य और शुक्र के साथ युति करे तो ऐसा व्यक्ति मेहनती होता है । नवम स्थान भाग्य स्थान होने से शनि त्रिकोण स्थान में बैठने से ऐसा जातक स्वयं अपने भाग्य का निर्माण करता है ।
यदि कर्क लग्न की कुंडली में नवम भाव में मीन राशि में उच्च का शुक्र बैठा हो तथा तृतीय भाव में गुरु बैठा हो तो यह योग सौभाग्य को देने वाला होता है । नवम भाव में शुक्र के साथ राहु होने से व्यक्ति मेहनत करता हुआ आगे बढ़ता है । मकर लग्न में लग्न भाव में सूर्य, शुक्र व बुध की युति हो तथा सप्तम भाव में चन्द्रमा बैठा हो तथा दशम भाव में शनि बैठने से व्यक्ति बहुत धनवान होता है ।