भारतीय सभ्यता में विवाह को पवित्र माना गया है, कभी - कभी व्यक्ति की कुंडली में ऐसे योग होते है तथा कुछ परिस्थिति वश व्यक्ति को पुनः विवाह करना पड़ता है । यदि किसी की कुंडली में शुक्र ग्रह मिथुन, कन्या, धनु तथा मीन राशियों में स्थित हो तो व्यक्ति के पुनः विवाह का योग बनता है क्योकि ये सब दिस्वाभाव वाली राशियाँ है तथा इसी प्रकार स्त्रियों की कुंडली में यदि मंगल इन राशियों में हो तो पुनः विवाह का योग बनता है।
गुरु और शुक्र ग्रह का यदि आपस में सम्बन्ध हो तो यह कभी - कभी व्यक्ति के पुनः विवाह का कारण बनता है, यदि किसी जातक की कुंडली में आठवे भाव में मंगल स्थित हो, सप्तम भाव में शुक्र तथा शुक्र से सप्तम भाव में चन्द्रमा स्थित हो तो जातक का विवाह तीन बार तक हो सकता है ।
नवांश कुंडली में यदि शुक्र सप्तम भाव का स्वामी होकर लग्न में स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों का अनेक स्त्रियों से सम्बन्ध हो सकता है । यदि सूर्य और बुध नवांश कुंडली में सप्तम भाव में बैठे हो तो व्यक्ति की दो पत्नियाँ तथा दो स्त्रियों से सम्बन्ध हो सकता है, इसी प्रकार यदि सूर्य, बुध के साथ शुक्र भी सप्तम भाव में हो तो यह अनेक स्त्रियों से सम्बन्ध दर्शाता है ।
यदि कुंडली में मंगल सप्तम भाव में बैठा हो तथा लग्नेश मंगल से बारहवे भाव में बैठा हो तो विवाह में समस्या आती है, यदि कुंडली में बुध बलिष्ठ होकर जहाँ लग्नेश बैठा हो उससे दशम भाव में बैठा हो तथा चंद्र जहाँ सप्तमेश स्थित हो उससे तीसरे भाव में बैठा हो तो ऐसे व्यक्ति के पुनः विवाह का योग बनता है और यदि कुंडली में शनि - मंगल की युति हो तथा चंद्र सप्तम भाव में स्थित हो तो भी पुनः विवाह का योग बनता है ।
Diksha Kaushal is a marriage astrologer with 10+ years’ expertise in compatibility, birth-chart analysis, and numerology, guiding couples toward stronger, harmonious, and long-lasting relationships.