Khajrana Ganesh Mandir: मध्य प्रदेश अपनी खूबसूरत प्राकृतिक छटा और ऐतिहासिक मंदिरों के लिए मशहूर है, और इंदौर का खजराना गणेश मंदिर भी इनमें से एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर सिर्फ एक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि भक्तों के लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव भी है, जहां लोग अपनी भावनाएं और विश्वास भगवान गणेश के चरणों में अर्पित करते हैं।
इंदौर का खजराना गणेश मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir Indore) आस्था और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। जब भक्तों की मन्नतें पूरी हो जाती हैं, तो वे भगवान गणेश की प्रतिमा की पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और मोदक व लड्डू का भोग अर्पित करते हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश की अनोखी प्रतिमा स्थापित है, जो हनुमान जी की तरह पूरी तरह लाल रंग की है। मान्यता है कि यह प्रतिमा सिंदूर से निर्मित है।
मंदिर परिसर में जगत जननी मां दुर्गा, भगवान शिव (शिवलिंग), हनुमान जी और मां लक्ष्मी के मंदिर भी स्थित हैं। इसके अलावा, यहां मां गंगा की एक विशिष्ट प्रतिमा भी विराजमान है, जिसमें वे मगरमच्छ पर सवार दिखाई देती हैं।
मान्यताओं के अनुसार, इंदौर के खजराना क्षेत्र में भगवान गणेश ने स्थानीय पंडित मंगल भट्ट को स्वप्न में दर्शन देकर वहां मंदिर निर्माण का निर्देश दिया था। उस समय, होलकर वंश की महारानी अहिल्या बाई होलकर का शासन था। जब पंडित मंगल भट्ट ने अपना स्वप्न महारानी को बताया, तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और बताए गए स्थान पर खुदाई करवाई। आश्चर्यजनक रूप से, ठीक वैसी ही भगवान गणेश की प्रतिमा वहां से प्राप्त हुई, जैसा कि पंडित ने वर्णन किया था। इसके बाद महारानी अहिल्या बाई ने वहां भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।
आज, यह मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir) दुनियाभर के भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है, जहां लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। मान्यता है कि श्रद्धालु इस मंदिर की तीन परिक्रमा करने और दीवार पर धागा बांधने से उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं।
वैसे तो भगवान गणेश की पूजा हर शुभ कार्य से पहले की जाती है, लेकिन खजराना गणेश मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir) में बुधवार के दिन विशेष भीड़ उमड़ती है। इस दिन दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन के लिए आते हैं, और मंदिर में विशेष आरती का आयोजन किया जाता है, जिससे वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
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इंदौर स्थित खजराना गणेश मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir) न सिर्फ भगवान गणेश की महिमा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके विशाल परिसर में 33 छोटे-बड़े मंदिर भी स्थित हैं। यहां भगवान राम, शिव, माता दुर्गा, साईं बाबा, हनुमान जी सहित कई देवी-देवताओं के मंदिर स्थापित हैं, जो श्रद्धालुओं की आस्था को और भी मजबूत बनाते हैं।
मंदिर परिसर में एक प्राचीन पीपल का वृक्ष भी स्थित है, जिसे मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है। श्रद्धालु यहां आकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और विशेष रूप से इस वृक्ष की पूजा करते हैं।
खजराना गणेश मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir) में हर शुभ कार्य का पहला निमंत्रण भगवान गणेश को देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। विवाह, जन्मदिन समारोह या किसी भी शुभ अवसर पर भक्त सबसे पहले भगवान गणेश के दरबार में आकर निमंत्रण पत्र चढ़ाते हैं। इंदौर और आसपास के श्रद्धालु नए वाहन, जमीन या मकान खरीदने के बाद भी यहां आकर भगवान का आशीर्वाद लेना शुभ मानते हैं, ताकि भविष्य में कोई बाधा न आए और हर कार्य सफल हो।
भारत के सबसे समृद्ध गणेश मंदिरों में खजराना गणेश मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir) का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। भक्तों द्वारा चढ़ाए गए अपार चढ़ावे के कारण इसकी चल और अचल संपत्ति का आकलन कर पाना भी मुश्किल है। शिर्डी के साईं बाबा मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर की तरह यहां भी भक्तगण ऑनलाइन दान कर सकते हैं। मंदिर की दान पेटियों में हर साल बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है, जो इसकी लोकप्रियता को और अधिक दर्शाता है।
मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir) में श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क भोजन सेवा भी उपलब्ध है, जहां प्रतिदिन हजारों भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके अलावा, जिन भक्तों की मन्नत पूरी होती है, वे भगवान गणेश को अपने वजन के बराबर लड्डू तुला दान करते हैं।
इंदौर और आसपास के शहरों के लोगों की इस मंदिर में गहरी आस्था है। मराठा शासक रानी अहिल्या बाई होलकर द्वारा निर्मित यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। बुधवार और रविवार को यहाँ भक्तों की विशेष भीड़ उमड़ती है, क्योंकि मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
विनायक चतुर्थी इस मंदिर का सबसे बड़ा पर्व है, जिसे अगस्त और सितंबर में भव्य रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु यहां आकर भगवान गणेश की विशेष आराधना करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
खजराना गणेश मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir) सरकारी नियंत्रण में है, लेकिन इसका प्रबंधन भट्ट परिवार द्वारा किया जाता है। मान्यता है कि मुगल शासक औरंगजेब से भगवान गणेश की मूर्ति को बचाने के लिए इसे एक कुएं में छिपा दिया गया था। बाद में 1735 में इस मूर्ति को पुनः स्थापित कर मंदिर का निर्माण कराया गया।
इस मंदिर की स्थापना मराठा शासक रानी अहिल्या बाई होल्कर ने की थी, जो होल्कर वंश से संबंध रखती थीं। वर्षों में इस मंदिर का अत्यधिक विस्तार हुआ है और भक्तों द्वारा सोने, हीरे और बहुमूल्य रत्नों का नियमित दान किया जाता है।
मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir) की भव्यता इसकी चांदी से बनी बाहरी और ऊपरी दीवारों में झलकती है, जिन पर विभिन्न उत्सवों और भगवान गणेश की मनोदशाओं की चित्रकारी उकेरी गई है। यहां भगवान गणेश की आंखें हीरे की बनी हुई हैं, जिसे इंदौर के एक व्यापारी ने दान में दिया था।
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