March 13, 2025 Blog

Maruti Stotra: मारुती स्तोत्र पाठ से मिलता है हर समस्या का चमत्कारिक समाधान

BY : STARZSPEAK

Maruti Stotra: मारुति स्तोत्र भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त, पवनपुत्र हनुमान जी को समर्पित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र के माध्यम से भक्त बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि जिन पर अंजनि पुत्र हनुमान जी की कृपा होती है, उनके जीवन में कोई संकट नहीं टिकता। मारुति स्तोत्र, जिसे हनुमान स्तोत्र (Hanuman Stotra) के नाम से भी जाना जाता है, भगवान हनुमान जी की महिमा का गुणगान करने वाला एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। 

तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में उल्लेख किया है—
"नासै रोग, हरै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बल वीरा।"
अर्थात, जो भी श्रद्धा और भक्ति भाव से हनुमान जी का स्मरण करता है, उसकी समस्त विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं। ऐसा व्यक्ति निरोगी, सुखी और समृद्ध जीवन व्यतीत करता है।

मारुति स्तोत्र की रचना (Composition of Maruti Stotra) 

श्री मारुति स्तोत्र (Maruti Stotra) न तो वैदिक ग्रंथों में मिलता है और न ही इसका उल्लेख प्राचीन काल में मिलता है। इतिहासकारों के अनुसार, इसका रचनाकाल 17वीं शताब्दी माना जाता है। इस स्तोत्र की रचना समर्थ गुरु रामदास जी ने की थी, जो एक महान संत थे और छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु भी थे। उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था, और इसी कारण उन्होंने मारुति स्तोत्र को मराठी भाषा में भी लिखा।

संस्कृत साहित्य में "स्तोत्र" किसी भी देवी-देवता की स्तुति में लिखे गए काव्य को कहा जाता है। मान्यता है कि समर्थ गुरु रामदास जी, भगवान हनुमान के परम भक्त थे और उनकी भक्ति में डूबकर उन्होंने मारुति स्तोत्र की रचना की।

maruti stotra

 

!! मारुति स्तोत्र !!

!! Maruti Stotra !!

भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।
वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।।1।।

महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।
सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।।2।।

दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।
पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।।3।।

लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।।4।।

ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।।5।।

ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।।6।।

पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।
सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।।7।।

ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।
चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।।8।।

कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।।9।।

आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।।10।।

अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।
तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।।11।।

ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।
तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।।12।।

आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।।13।।

धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।।14।।

भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।
नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।।15।।

हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।।16।।

रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।।17।।

।। इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।।


!! मारुति स्तोत्रम् !!


!! Maruti Stotram !!

 
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय।

प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय।

प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय।

भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय।

शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय।

ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।

मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय।

मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय।

व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन

शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन। अमुकं मे वशमानय।

क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय।

श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय

चूर्णय चूर्णय खे खे

श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु

ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा

विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।

हन हन हुं फट् स्वाहा॥

एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति॥

॥ इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ॥


मारुति स्तोत्र के पाठ से मिलने वाले लाभ (Benefits of reciting Maruti Stotra)


श्री मारुति स्तोत्र (Maruti Stotra) के नियमित पाठ से भगवान हनुमान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इसके पाठ से साधक को कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:
  • शांति और समृद्धि – इस स्तोत्र के जाप से जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • भय का नाश – जो व्यक्ति सच्चे मन से इसका पाठ करता है, उसके हृदय से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं।
  • कष्टों से मुक्ति – हनुमान जी अपने भक्तों के सभी दुःख और कठिनाइयों का निवारण कर देते हैं।
  • धन-धान्य में वृद्धि – इस स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और घर में समृद्धि आती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा का नाश – इसके पाठ से आसपास मौजूद सभी नकारात्मक शक्तियाँ नष्ट हो जाती हैं।
  • सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह – व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे जीवन में उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • रोगों से मुक्ति – हनुमान जी की कृपा से शारीरिक और मानसिक कष्टों का अंत होता है।
  • बल और साहस की वृद्धि – यह पाठ व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक शक्ति को बढ़ाकर उसे दृढ़ और साहसी बनाता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से मारुति स्तोत्र का महत्व (Importance of Maruti Stotra from the Astrological point of view) 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभावों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है, जो व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। मंगल, शनि, राहु और केतु को क्रूर ग्रह माना जाता है, और यदि ये ग्रह किसी जातक की कुंडली में अशुभ स्थिति में होते हैं, तो जीवन में अनेक कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे में मारुति स्तोत्र का नियमित रूप से विधिपूर्वक पाठ करने से इन ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है।

मारुति स्तोत्र के जप की विधि (Method of Chanting Maruti Stotra) 

मारुति स्तोत्र का पाठ (Maruti Stotra Lyrics) प्रातःकाल या संध्या वंदन के समय करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे विधिपूर्वक और श्रद्धा भाव से करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। सही विधि से करने के लिए निम्न चरणों का पालन करें:

  1. सबसे पहले स्नान आदि कर स्वयं को शुद्ध करें।
  2. हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष आसन बिछाकर बैठें।
  3. भगवान हनुमान जी की विधिवत पूजा और अर्चना करें।
  4. शुद्ध और एकाग्र मन से पाठ प्रारंभ करें।
  5. यदि विशेष फल की प्राप्ति चाहते हैं, तो 1100 बार पाठ करने का संकल्प लें।
  6. पाठ करते समय हनुमान जी का ध्यान और उनकी कृपा का स्मरण अवश्य करें।
  7. इसे एक समान लय में, शांत और संयमित स्वर में पढ़ें।
  8. अत्यधिक तेज़ आवाज में चिल्लाकर पाठ न करें।
  9. इस दौरान मांसाहार, नशा, सिगरेट, पान-मसाला आदि का सेवन वर्जित होता है।

जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक इस स्तोत्र (Maruti Stotra) का पाठ करता है, उसे मंगल, शनि, राहु और केतु से संबंधित बाधाओं से राहत मिलती है और इन ग्रहों के शुभ प्रभाव प्राप्त होते हैं, जिससे जीवन में सुख-शांति और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।


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