March 12, 2025 Blog

कैसे हुआ Panchmukhi Hanuman अवतरण जानिए पौराणिक कथा और उनके 5 मुख का रहस्य

BY : STARZSPEAK

Panchmukhi Hanuman: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ था, और इसी दिन उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर हम आपको भगवान हनुमान के पंचमुखी स्वरूप के बारे में बताएंगे। कहा जाता है कि इस रूप की पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों का नाश होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार भी, घर में पंचमुखी हनुमानजी (Panchmukhi Hanuman Ji) की तस्वीर लगाना बेहद शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं, भगवान हनुमान ने यह दिव्य रूप क्यों धारण किया और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है।


कैसे हुआ पंचमुखी हनुमान अवतरण (How Panchmukhi Hanuman Incarnated)

भगवान राम और रावण के बीच भीषण युद्ध चल रहा था। जब रावण ने देखा कि उसकी सेना पराजित हो रही है, तो उसने अपने मायावी भाई अहिरावण से सहायता मांगी। अहिरावण, जो मां भवानी का परम भक्त और तंत्र विद्या में निपुण था, ने अपनी माया से श्रीराम की पूरी सेना को गहरी नींद में सुला दिया। इसके बाद, वह राम और लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया।
जब अहिरावण की चाल विभीषण को समझ में आ गई, तो उन्होंने तुरंत हनुमानजी को संदेश भेजा कि वे पाताल लोक जाकर भगवान राम और लक्ष्मण की रक्षा करें।

जैसे ही हनुमानजी पाताल लोक पहुंचे, उनका सामना सबसे पहले उनके पुत्र मकरध्वज से हुआ। युद्ध में हनुमानजी ने उसे पराजित किया और फिर आगे बढ़े। वहां उन्होंने देखा कि अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को बंधक बना रखा था।

अहिरावण मां भवानी का परम भक्त था और उसने पांच दिशाओं में पांच दीपक जलाकर उनका अनुष्ठान किया था। उसे यह वरदान प्राप्त था कि जब तक ये पांच दीपक एक साथ न बुझाए जाएं, तब तक उसे कोई पराजित नहीं कर सकता।

हनुमानजी ने अहिरावण को हराने के लिए पंचमुखी रूप धारण किया। उन्होंने उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख और पूर्व में हनुमान मुख धारण किया। अपने इस अद्भुत रूप से उन्होंने एक साथ पांचों दीपक बुझाए और अहिरावण का वध कर दिया।

इस प्रकार, हनुमानजी ने अपने पंचमुखी अवतार (Panchmukhi Hanuman) से अहिरावण के घमंड को चूर-चूर कर दिया और श्रीराम व लक्ष्मण को उसके चंगुल से मुक्त करवाया।


Panchmukhi Hanuman


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पंचमुखी हनुमान से जुड़ी एक और कथा

हनुमानजी के पंचमुखी स्वरूप को लेकर एक और कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि मरियल नामक एक असुर ने भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र चुरा लिया था। जब हनुमानजी को इस बात का पता चला, तो उन्होंने संकल्प लिया कि वे इस चक्र को पुनः प्राप्त कर भगवान विष्णु को सौंपेंगे।

मरियल असुर इच्छानुसार रूप बदलने में माहिर था, जिससे उसे हराना आसान नहीं था। तब भगवान विष्णु ने हनुमानजी को आशीर्वाद दिया और उन्हें विशेष शक्तियां प्रदान कीं। हनुमानजी को गरुड़ मुख दिया गया, जिससे वे वायुगति से चल सकें, नरसिंह मुख, जिससे उनके भीतर भय उत्पन्न करने की शक्ति आए, हयग्रीव मुख, जिससे वे ज्ञान प्राप्त कर सकें, और वराह मुख, जो सुख और समृद्धि का प्रतीक था।

इसके अलावा, माता पार्वती ने हनुमानजी को कमल पुष्प प्रदान किया, जबकि यमराज ने उन्हें पाश नामक दिव्य अस्त्र दिया। इन शक्तियों से सुसज्जित होकर हनुमानजी ने मरियल को परास्त किया और सुदर्शन चक्र वापस भगवान विष्णु को सौंप दिया।

इसी कारण, हनुमानजी के पंचमुखी (Panchmukhi Hanuman) रूप को विशेष मान्यता प्राप्त हुई और इसे शक्ति, साहस, ज्ञान, सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

पंचमुखी हनुमानजी के पांच मुखों का महत्व (Significance of the 5 faces of Panchmukhi Hanuman ji)

हनुमानजी के पंचमुखी स्वरूप में प्रत्येक मुख एक अलग दिशा की ओर दर्शाया गया है और उनका अपना विशेष महत्व है:

  1. वानर मुख (पूर्व दिशा) – यह मुख शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करता है।
  2. गरुड़ मुख (पश्चिम दिशा) – जीवन में आने वाली रुकावटों और परेशानियों को दूर करता है।
  3. वराह मुख (उत्तर दिशा) – यह मुख लंबी उम्र, यश और शक्ति प्रदान करता है।
  4. नृसिंह मुख (दक्षिण दिशा) – भय, तनाव और कठिनाइयों को नष्ट करता है।
  5. अश्व मुख (आकाश दिशा) – सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सहायक होता है।

हनुमानजी के इन पांच मुखों को शक्ति, सुरक्षा, समृद्धि और सफलता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।

पंचमुखी हनुमानजी की पूजा विधि (Method of worship of Panchmukhi Hanuman ji)

पंचमुखी हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र को हमेशा दक्षिण दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है। मंगलवार और शनिवार को उनकी पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन पूजा के दौरान निम्न वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए:

  • लाल रंग के फूल, सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है।
  • गुड़ और चने का भोग लगाकर बजरंगबली को प्रसन्न किया जाता है।
  • हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा, यदि घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पंचमुखी हनुमानजी का चित्र (Panchmukhi Hanuman Ji Ka Photo) लगाया जाए, तो सभी वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं। साथ ही, यदि घर के मुख्य द्वार पर उनकी प्रतिमा स्थापित की जाए, तो नकारात्मक शक्तियां और बुरी आत्माएं प्रवेश नहीं कर पातीं।

पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर कहाँ लगाए 

घर के मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान (Panchmukhi Hanuman) जी की तस्वीर लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पातीं।

  • दक्षिण दिशा की ओर मुख वाली पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर (Panchmukhi Hanuman ji ki Photo) लाना सबसे उत्तम होता है, क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा से सबसे अधिक नकारात्मक ऊर्जा निकलती है। इस दिशा में उनका चित्र लगाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  • दक्षिण-पश्चिम कोने में पंचमुखी हनुमान जी का चित्र स्थापित करने से सभी प्रकार के वास्तुदोष समाप्त हो जाते हैं और घर का माहौल सकारात्मक बना रहता है।

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा के लाभ (Benefits of worshiping Panchmukhi Hanuman Ji)

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से अनेक शुभ फल प्राप्त होते हैं। मान्यता है कि घर में पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर नियमित रूप से पूजा करने से मंगल दोष, शनि दोष, पितृ दोष और भूत बाधा से मुक्ति मिलती है।

  • पूजा के लिए सही दिशा: पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति हमेशा दक्षिण दिशा में ही स्थापित करनी चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
  • संकटों से मुक्ति: इनकी श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट और बाधाएं दूर हो जाती हैं, और भक्तों को शक्ति व साहस प्राप्त होता है।

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