Panchmukhi Hanuman Kavach: हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित है। शनिवार को भी हनुमान जी की आराधना का विशेष महत्व होता है। शनिवार को हनुमान जी की आराधना से भक्त को शनिदेव के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। इस दिन भगवान हनुमान की उपासना करने से जातक को विशेष लाभ मिलता है।
Panchmukhi Hanuman Kavach: पंचमुखी हनुमान की उपासना से व्यक्ति के भय और रोग-दोष का नाश होता है। जो जातक पंचमुखी हनुमान की आराधना करता है, उसके जीवन में सुख और शांति का संचार होता है। श्री हनुमान कवच की महिमा से बुराइयों पर विजय प्राप्त होती है। इस कवच स्तोत्र का पाठ करने से भूत-प्रेत, चांडाल, और नकारात्मक आत्माओं से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
अर्थ:
इस पंचमुख हनुमत कवच स्तोत्र के लिए ऋषि ब्रह्मा माने जाते हैं, जबकि छंद गायत्री है। देवता के रूप में पंचमुख विराट हनुमान जी प्रतिष्ठित हैं। ह्रीं बीज मंत्र है, श्रीं शक्ति का प्रतीक है, क्रौं कीलक के रूप में है, क्रूं कवच के रूप में उपस्थित है, और ‘क्रैं अस्त्राय फट्’ मंत्र दिग्बन्ध का कार्य करता है।
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अर्थ:
गरुड़ जी ने उद्घोष किया, "हे सर्वांगसुंदर! देवाधिदेव द्वारा, जिन्हें हनुमानजी प्रिय हैं, उनका ध्यान लगाते हुए मैं उनके नाम का स्मरण करता हूं। मैं उन माताओं का ध्यान करता हूं, जिनसे आपकी उत्पत्ति हुई है।"
अर्थ:
श्री हनुमान जी पांच मुख वाले, विशालकाय और पंद्रह आंखों वाले हैं, साथ ही उनके दस हाथ भी हैं। वे सभी कार्यों और अर्थ के सिद्धि करने वाले देवता माने जाते हैं। इस भावार्थ के अनुसार, श्री हनुमान जी का स्वरूप ऐसा है कि वे पांच मुखों, पंद्रह आंखों और दस हाथों के साथ सभी कार्यों को सफल बनाते हैं।
अर्थ:
श्री हनुमान जी का मुख सदैव पूर्व दिशा की ओर होता है। उनका वानर स्वरूप है, और उनका तेज करोड़ों सूर्य के समान प्रखर है। श्री हनुमान जी के चेहरे पर एक विशाल दाढ़ी है, और उनकी भ्रकुटी भी टेढ़ी है। इस प्रकार, श्री हनुमान जी के पास ऐसे प्रभावशाली दांत हैं।
अर्थ:
श्री हनुमान जी का शरीर दक्षिण दिशा में दृष्टि रखता है, और उनका मुख सिंह के समान है, जो अत्यंत दिव्य और अद्भुत प्रतीत होता है। यह मुख भय को समाप्त करने में सक्षम है और शत्रुओं के लिए आतंक का कारण बनता है।
अर्थ:
श्री हनुमान जी का जो मुख पश्चिम दिशा की ओर स्थित है, वह गरुड़मुख कहलाता है और यह अत्यंत बलशाली तथा सामर्थ्यशाली है। यह गरुड़ानन विष और भूतों को दूर करने वाला है, जो सभी बाधाओं को समाप्त करता है। यह सर्पों और भूतों को भी नष्ट करने की क्षमता रखता है।
अर्थ:
श्री हनुमान जी का जो मुख उत्तर दिशा की ओर स्थित है, वह वराह मुख कहलाता है, जिसमें आगे की ओर मुख निकला हुआ है। वराह मुख श्री हनुमान जी का रंग कृष्ण वर्ण है, जो आकाश के समान विस्तृत प्रतीत होता है। वे पातालवासियों के प्रमुख बेताल और भूगोल संबंधी कठिनाइयों को समाप्त करने वाले हैं। ऐसे वराह मुख वाले श्री हनुमान जी बीमारियों और ज्वर को समूल नष्ट करने की शक्ति रखते हैं।
अर्थ:
ऊर्ध्व दिशा की ओर मुख किए हुए हनुमान जी दानवों का संहार करने वाले हैं। हे हनुमान जी (वीसपेंद्र), आप गायत्री के उपासक हैं और असुरों का नाश करने वाले हैं। हमें ऐसे पंचमुखी हनुमान जी की शरण में रहना चाहिए। श्री हनुमान जी रुद्र और दयानिधि हैं, और उनकी शरण में हमें सदैव रहना चाहिए। श्री हनुमान जी भक्तों के प्रति दयालु और शत्रुओं का विनाश करने वाले हैं।
अर्थ:
श्री पंचमुख हनुमान जी के हाथों में तलवार, त्रिशूल और खड्ग विद्यमान हैं। इनके पास तलवार, त्रिशूल, खट्वाङ्ग नामक आयुध, पाश, अंकुश, पर्वत और मुष्टि जैसे अस्त्र हैं। इसके अलावा, कौमोदकी गदा, वृक्ष और कमंडलु भी श्री हनुमान जी ने धारण किए हुए हैं। उन्होंने भिन्दिपाल (लोहे से निर्मित अस्त्र) को भी अपने साथ रखा है। श्री हनुमान जी का दसवां शस्त्र ज्ञान मुद्रा है।
अर्थ:
श्री हनुमान जी प्रेतासन पर विराजमान हैं और उन्होंने अनेक आभूषण धारण किए हुए हैं। उनके गले में दिव्य मालाएँ हैं, जो आकाश के समान अनुपम हैं। इन मालाओं में बसी दिव्य गंध सभी बाधाओं को दूर करने का सामर्थ्य रखती है।
अर्थ:
श्री हनुमान जी अद्भुतता से परिपूर्ण हैं और जिन्होंने इस ब्रह्मांड में हर दिशा में मुख किया है, वे ही पंचमुख-हनुमानजी हैं। इनके पांच मुख, अच्युत और विभिन्न रंगों से युक्त हैं। श्री हनुमान जी ने चंद्रमा को अपने शीश पर धारण किया हुआ है और वे सभी वानरों में सर्वोच्च स्थान रखते हैं। पीतांबर और मुकुट से सुसज्जित, श्री हनुमान जी पिङ्गाक्ष, आद्यम् और अनिशं हैं। हम श्रद्धापूर्वक इन पंचमुख-हनुमानजी का स्मरण करते हैं।
अर्थ:
श्री हनुमान जी वानरों में सर्वोच्च हैं, उनकी प्रचंडता और उत्साह अद्वितीय है। वे शत्रुओं का नाश करने वाले हैं। हे वानर श्रेष्ठ, प्रचंड और उत्साही हनुमान जी, आप मुझे रक्षा प्रदान करें और मेरे उद्धार में सहायता करें। हे श्री पंचमुख-हनुमानजी, मेरे दुश्मनों का संहार करें और संकट से मुझे मुक्त करें।
अर्थ:
महाप्राण हनुमान जी के बाएं पैर के तलवे के नीचे ‘ॐ हरि मर्कटाय स्वाहा’ लिखने से न केवल शत्रु का, बल्कि उनके समस्त कुल का नाश हो जाएगा। श्री हनुमान जी वामलता, यानी दुरितता और तिमिर प्रवृत्ति को पूरी तरह नष्ट कर देते हैं। ऐसे अद्भुत शरीर को 'स्वाहा' कहकर नमस्कार किया गया है।
अर्थ:
सभी शत्रुओं का विनाश करने वाले पूर्वमुख, कपिमुख भगवान श्री पंचमुख हनुमान जी को मेरा प्रणाम है।
अर्थ:
दुष्कृतियों के प्रति भयानक मुख वाले, सभी भूतों का नाश करने वाले दक्षिण मुख, नरसिंह मुख भगवान श्री पंचमुख हनुमान जी को मेरा प्रणाम है।
अर्थ:
हर प्रकार के विष का नाश करने वाले पश्चिममुखी, गरुड़मुख भगवान श्री पंचमुख हनुमान जी को मेरा प्रणाम है।
अर्थ:
सभी प्रकार की संपदाएं देने वाले उत्तरमुख, आदिवराहमुख भगवान श्री पंचमुख हनुमान जी को मेरा प्रणाम है।
अर्थ:
सकल जनों को वश में करने वाले, ऊर्ध्वमुख को, अश्वमुख को, भगवान श्री पंचमुख-हनुमानजी को मेरा नमस्कार है।
अर्थ:
अंजनी के पुत्र, श्री पंचमुख हनुमान जी को एक बार फिर मेरा प्रणाम है।
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