April 9, 2024 Blog

Hanuman Ashtak Hindi: मंगलवार को सुबह-शाम करें जप, हर तकलीफ होगी दूर

BY : STARZSPEAK

Benefits Of Hanuman Ashtak: सनातन धर्म में हनुमान जी को कलयुग का देवता कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी आज भी किसी न किसी रूप में पृथ्वी पर विचरण करते हैं। मंगलवार का दिन उनकी पूजा और आराधना के लिए समर्पित किया गया है। जो व्यक्ति मंगलवार के दिन सच्चे मन से बजरंगबली की पूजा करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशियां आने लगती हैं। आपको मंगलवार के दिन सुबह और शाम हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए। इससे आपको कई फायदे मिल सकते हैं.

हनुमान अष्टक पाठ के फायदे / Hanuman Ashtak Benefits 
  • ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति मंगलवार के दिन सुबह और शाम हनुमान अष्टक का पाठ विधिपूर्वक करता है वह सदैव रोगमुक्त रहता है।
  • हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) का पाठ करने से भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
  • अगर आपके जीवन में बिना वजह कोई परेशानी चल रही है तो हनुमान अष्टक का पाठ आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
  • यदि आप दिन में सात बार संकट मोचन का पाठ करते हैं और लगातार 21 दिनों तक ऐसा करते हैं तो आपके जीवन में आने वाला सबसे बड़ा संकट भी टल सकता है।
  • घर की अशांति दूर करने के लिए रोजाना हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) का पाठ करना लाभकारी रहेगा।

यह भी पढ़ें - Hanuman Mantra: मंगलवार के दिन इन मंत्रों का जाप करें, जीवन के दुखों से मिलेगी मुक्ति

hanuman ashtak hindi

॥ हनुमानाष्टक ॥ Hanuman Ashtak ॥

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,

तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।

ताहि सों त्रास भयो जग को,

यह संकट काहु सों जात न टारो ।

देवन आनि करी बिनती तब,

छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।

को नहीं जानत है जग में कपि,

संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥


बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,

जात महाप्रभु पंथ निहारो ।

चौंकि महामुनि साप दियो तब,

चाहिए कौन बिचार बिचारो ।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,

सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥


अंगद के संग लेन गए सिय,

खोज कपीस यह बैन उचारो ।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु,

बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।

हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,

लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥


रावण त्रास दई सिय को सब,

राक्षसी सों कही सोक निवारो ।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु,

जाए महा रजनीचर मारो ।

चाहत सीय असोक सों आगि सु,

दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥


बान लग्यो उर लछिमन के तब,

प्राण तजे सुत रावन मारो ।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत,

तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।

आनि सजीवन हाथ दई तब,

लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥


रावन युद्ध अजान कियो तब,

नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,

मोह भयो यह संकट भारो I

आनि खगेस तबै हनुमान जु,

बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥


बंधु समेत जबै अहिरावन,

लै रघुनाथ पताल सिधारो ।

देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,

देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।

जाय सहाय भयो तब ही,

अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥


काज किये बड़ देवन के तुम,

बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।

कौन सो संकट मोर गरीब को,

जो तुमसे नहिं जात है टारो ।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥


॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे,

अरु धरि लाल लंगूर ।

वज्र देह दानव दलन,

जय जय जय कपि सूर ॥


यह भी पढ़ें - Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर घर लाएं ये चीजें, वास्तु दोष समेत कई मुश्किलों से मिलेगा छुटकारा