January 27, 2025 Blog

Holi Bhai Dooj 2025: होली के बाद भाई दूज तिलक का शुभ समय और महत्व

BY : STARZSPEAK

Holi Bhai Dooj 2025: मित्रों, हिंदू धर्म में होली भाई दूज का विशेष महत्व है। इसे हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। यह पर्व हर साल दो बार मनाया जाता है—एक बार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को और दूसरी बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को। इसे भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जानते है। 

चैत्र कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj 2025) का पर्व मनाया जाता है, जो भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होली भाई दूज का पर्व होलिका दहन और रंगवाली होली के बाद चैत्र मास की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि होली भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर रोली और चंदन से तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु, सुख-समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना करती हैं। इस दिन भगवान यमराज की पूजा का भी विशेष महत्व है।  यदि किसी की सगी बहन न हो, तो वह अपनी किसी अन्य बहन से भी यह परंपरा निभा सकता है।

होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj 2025) का यह त्यौहार कुछ क्षेत्रों में विशेष रूप से लोकप्रिय है, लेकिन कई जगहों पर इसे बहुत अधिक महत्व नहीं दिया जाता। यह पर्व द्वितीया तिथि के आधार पर मनाया जाता है, जो होलिका दहन के अगले दिन या रंगवाली होली के दूसरे दिन पड़ सकता है। 

आइए जानते हैं, साल 2025 में होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj 2025) कब मनाई जाएगी—15 मार्च या 16 मार्च को? साथ ही जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन किए जाने वाले विशेष कार्यों के बारे में।


होली भाई दूज 2025 शुभ मुहूर्त (Holi Bhai Dooj 2025 Auspicious Time)

होली भाई दूज का पर्व 2025 में 16 मार्च, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह को दर्शाने के लिए विशेष पूजा और तिलक की परंपरा निभाई जाती है।

तिथि का समय:
  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 15 मार्च 2025 को दोपहर 02:33 बजे
  • द्वितीया तिथि समाप्त: 16 मार्च 2025 को सायं 04:58 बजे
तिलक का शुभ मुहूर्त:
  • प्रातः 11:45 बजे से सायं 04:58 बजे तक

इस शुभ मुहूर्त में पूजा और तिलक का कार्य करने से भाई-बहन दोनों के जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।


Holi Bhai Dooj 2025


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भाई दूज तिलक और पूजा विधि (Bhai Dooj Tilak And Puja Vidhi)

होली भाई दूज 2025 (Holi Bhai Dooj 2025) के लिए तिलक और पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. प्रातःकाल तैयारी
    भाई और बहन दोनों सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. पूजा की थाली तैयार करें
    बहनें पूजा की थाली सजाएं, जिसमें कुमकुम, चंदन, फल-फूल, मिठाई, सुपारी और नारियल रखें।

  3. पूजा की दिशा और भगवान की आराधना
    भाई और बहन उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठें।
    सबसे पहले भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा करें।

  4. तिलक विधि
    शुभ मुहूर्त में बहन भाई को चौक पर बिठाएं और रोली व चावल से तिलक करें।

  5. भेंट और प्रार्थना
    तिलक के बाद बहन भाई को पान, सुपारी, बताशे, फूल और नारियल भेंट करती है और उनकी सुख-समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य के लिए देवी-देवताओं से प्रार्थना करती है।

  6. भाई का आभार और उपहार
    भाई, बहन को उपहार या भेंट देता है और उसकी आजीवन रक्षा का वचन देता है।

यह विधि भाई और बहन के स्नेह और संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाती है।



भाई दूज के दिन अवश्य करें ये कार्य (Must Do These Things On Bhai Dooj)

Holi Bhai Dooj 2025: यह पर्व भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है, जिसे होली भाई दूज के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान यमराज की पूजा का विशेष महत्व है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए कुछ विशेष उपाय करती हैं, जैसे:

  1. भगवान यमराज की पूजा
    धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान यमराज अपनी बहन यमुना के घर जाते हैं और उनके हाथों से बना भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए, यमराज के साथ-साथ यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों की पूजा करना शुभ माना जाता है।

  2. भगवान विष्णु और गणेश जी की आराधना
    भाई और बहन दोनों को भगवान विष्णु और गणेश जी की पूजा करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।

  3. चंद्र दर्शन और स्नान
    परंपरा के अनुसार, भाई को सुबह चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए और इसके बाद यमुना के जल से स्नान करना शुभ होता है।

  4. भाई को भोग अर्पित करना
    बहनें अपने भाइयों को मोतीचूर के लड्डू, पान आदि खिलाती हैं, जो शुभ और मंगलकारी माना जाता है।

इन परंपराओं और उपायों का पालन करके भाई दूज का त्योहार और अधिक पवित्र और विशेष बनाया जा सकता है।

पौराणिक कथा

एक प्राचीन कथा के अनुसार, होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj 2025) के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से भेंट की। सुभद्रा ने पवित्र दीपक, फूल और मिठाइयों के साथ उनका स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाकर उनकी रक्षा की कामना की।

एक अन्य लोककथा में बताया गया है कि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन देवी यमुना से मिलने गए। यमुना ने उनका स्वागत फूलों और मिठाइयों से किया और उनके माथे पर तिलक लगाया। इसके बदले में यमराज ने अपनी बहन को उपहार दिया, जो उनके प्रति उनके स्नेह का प्रतीक था। यमुना ने यमराज से वरदान मांगा कि जो भी भाई अपनी बहन के घर तिलक करवाने और भोजन ग्रहण करने जाएगा, उसे मृत्यु का भय नहीं होगा। यमराज ने अपनी बहन की प्रार्थना से प्रसन्न होकर यह वरदान दिया। तभी से भाई दूज (Holi Bhai Dooj 2025) मनाने की परंपरा प्रारंभ हुई।

एक अन्य कथा जैन धर्म से जुड़ी है। जब जैन धर्म के संस्थापक महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया, तो उनके भाई राजा नंदीवर्धन अपनी बहन सुदर्शन के स्नेह और सांत्वना से अपने शोक से उबर सके। इसी घटना से प्रेरणा लेकर भाई दूज पर बहनों के सम्मान की परंपरा शुरू हुई।

 

होली भाई दूज अनुष्ठान (Holi Bhai Dooj Rituals)

होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj 2025)  का उत्सव रक्षा बंधन की तरह ही पारंपरिक और भावनात्मक होता है। इस दिन बहनें अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं और अपने भाइयों को उनके पसंदीदा व्यंजन या मिठाई के साथ विशेष भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं। बहनें अपने भाइयों के माथे पर सिंदूर और अक्षत (चावल) से तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।

यह पूरा अनुष्ठान भाई द्वारा अपनी बहन की सुरक्षा और देखभाल के कर्तव्य को दर्शाता है, जबकि बहन अपने भाई के लिए आशीर्वाद और शुभकामनाओं का प्रतीक होती है। यदि कोई भाई दूर रहता है और इस अवसर (Holi Bhai Dooj 2025) पर अपनी बहन से मिलने नहीं आ सकता, तो बहन दिल से उसकी लंबी उम्र और सुखमय जीवन की प्रार्थना करती है। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देकर अपने प्रेम और स्नेह का इज़हार करते हैं।

निष्कर्ष

होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj 2025) का पर्व न सिर्फ भाई-बहन के प्रेम और आपसी स्नेह का प्रतीक है, बल्कि यह रिश्तों की मजबूती और परंपराओं के सम्मान को भी दर्शाता है। यह दिन हमें अपने परिवार और रिश्तों की अहमियत का एहसास कराता है। भाई-बहन के बीच यह खास बंधन, जीवन भर एक-दूसरे की सुरक्षा, देखभाल और साथ निभाने का वादा है। चाहे भाई-बहन दूर हों या पास, इस दिन का महत्व उनकी भावनाओं में झलकता है। यह त्योहार हमारी संस्कृति का एक अनमोल हिस्सा है, जो हमें अपने प्रियजनों के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर देता है।

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