November 26, 2024 Blog

Basant Panchami 2025 : जानें क्या है सरस्वती पूजा का शुभ समय और पूजा विधि ?

BY : STARZSPEAK

Basant Panchami 2025: साल की शुरुआत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है बसंत पंचमी 2025। बसंत पंचमी का पर्व देवी सरस्वती को समर्पित है, जिन्हें ज्ञान, संगीत, कला और शिल्प की देवी माना जाता है। इस दिन विधिपूर्वक उनकी पूजा की जाती है।  यह पर्व पूरे भारत में उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
प्राचीन परंपराओं के अनुसार, वेदों में वर्णित छह ऋतुओं—वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर, और वसंत—में से वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक यह त्योहार है। वसंत का आगमन न केवल प्रकृति के सौंदर्य को बढ़ाता है, बल्कि खेतों में सरसों के सुनहरे फूलों की चमक, गेहूं और जौ की लहराती बालियां, आम के पेड़ों पर बौर, और चारों ओर रंग-बिरंगी तितलियों के नृत्य से वातावरण को भी जीवंत कर देता है।
इस साल, बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) का त्योहार जनवरी महीने के आखिरी सप्ताह में और फरवरी महीने के शुरुआती सफ्ताह में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। आइए इस अद्भुत पर्व से जुड़ी परंपराओं और महत्व को विस्तार से जानते हैं।

बसंत पंचमी 2025 की तिथि और समय (Basant Panchami 2025 Date & Time)  

जैसा कि हम जानते है पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ के महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। 

  • तिथि आरंभ: 02 फरवरी 2025 को सुबह 9:14 बजे।
  • तिथि समाप्त: 03 फरवरी 2025 को सुबह 6:52 बजे।

  • इस बार बसंत पंचमी का पर्व 02 फरवरी, रविवार को मनाया जाएगा।
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त

  • पूजा का समय: सुबह 7:08 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक।
  • मध्याह्न का समय: दोपहर 12:34 बजे।


भद्रा का साया और पूजा पर असर

2025 में बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) पर भद्रा का साया सुबह 7:08 बजे से 9:14 बजे तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा काल शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं होता है। इसलिए पूजा और अन्य शुभ कार्य भद्रा समाप्त होने के बाद करने चाहिए।

विद्या आरंभ के लिए शुभ दिन

बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) शिक्षा आरंभ करने के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन कई परिवार अपने बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत के लिए देवी सरस्वती का आशीर्वाद दिलाते हैं। इसे "अक्षर आरंभ" की परंपरा भी कहा जाता है, जहां बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है।

बसंत पंचमी न केवल एक पर्व है, बल्कि यह जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता भरने का दिन भी है। देवी सरस्वती की कृपा से शिक्षा और ज्ञान की शुरुआत के लिए यह दिन बहुत ख़ास माना जाता है। 

बसंत पंचमी (Vasant Panchami 2025) को किसी भी नई शुरुआत के लिए बेहद शुभ दिन माना जाता है। हिंदू समुदाय के लिए यह त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी गहरा महत्व रखता है। यह दिन ज्ञान और बुद्धि को अपनाने तथा अज्ञानता को दूर करने का प्रतीक है।


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बसंत पंचमी का महत्त्व (Significance Of Basant Panchami)


हिंदू परंपराओं और शास्त्रों में बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) का उल्लेख कई नामों से किया गया है, जैसे ऋषि पंचमी, श्री पंचमी, वागीश्वरी जयंती, मदनोत्सव, और सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) उत्सव। बसंत पंचमी को मां सरस्वती का अवतरण दिवस भी कहा जाता है। इन्हें विद्या और बुद्धि की प्रदाता माना गया है, और इनके हाथों में वीणा धारण होने के कारण इन्हें संगीत की देवी भी कहा जाता है। ऋग्वेद में मां सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है:

"प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।"
इसका अर्थ है कि मां सरस्वती हमारी बुद्धि, प्रज्ञा, और मानसिक प्रवृत्तियों की संरक्षिका हैं और हमारी चेतना को जागृत करती हैं।

हिंदू परंपरा के अनुसार, इस पंचमी (Basant Panchami) के दिन किसी भी नए काम को आरम्भ करने के लिए विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इसे अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। इस दिन ग्रहों की स्थिति सभी शुभ कार्यों के लिए पूरी तरह अनुकूल मानी जाती है।

इसी कारण कई लोग इस दिन गृहप्रवेश, नए व्यवसाय का शुभारंभ, यज्ञोपवीत संस्कार, मुंडन, विवाह और सगाई जैसे मांगलिक कार्यों को करना पसंद करते हैं। बसंत पंचमी (Vasant Panchami ) न केवल नई शुरुआत का दिन है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने का भी अवसर प्रदान करता है।

 

बसंत पंचमी के दिन क्यों है पीले रंग के कपड़े पहनने का महत्व 

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवी सरस्वती को पीला रंग अत्यधिक प्रिय है। यही कारण है कि बसंत पंचमी (Basant Panchami)  के पर्व में पीले रंग का विशेष महत्व होता है, जो वसंत ऋतु की ऊर्जा और ताजगी का प्रतीक है।

इस दिन, चारों ओर पीला रंग शुभता का प्रतीक माना जाता है। लोग न केवल पीले वस्त्र धारण करते हैं, बल्कि देवी सरस्वती को अर्पित किए जाने वाले भोग में पीले फूल, मिठाइयाँ और व्यंजन भी शामिल होते हैं।

हिंदू धर्म के इन रीति-रिवाजों और परंपराओं में निहित यह पीला रंग प्रकृति के वसंत ऋतु में खिलने और जीवन में सकारात्मकता का प्रतीक है।

सरस्वती पूजा 2025 की विधि:

  1. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान की तैयारी करें। स्नान से पहले तेल और बेसन का उबटन लगाएं, फिर स्नान करके साफ और पीले वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा के लिए एक साफ स्थान चुनें और वहां पूजा वेदी पर उत्तम वस्त्र बिछाएं। चावल से अष्टदल (चौक) बनाएं।
  3. अष्टदल के आगे भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
  4. जौ और गेहूं की बालियों के गुच्छे (बसंत पूंज) को जल से भरे कलश के साथ अष्टदल के पीछे रखें।
  5. सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, क्योंकि किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश पूजन अनिवार्य माना जाता है।
  6. बसंत पूंज का उपयोग रति और कामदेव की पूजा के लिए करें। पूजा के बाद हवन करें और उसमें केसर या हल्दी मिश्रित आहुतियां दें।
  7. भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करें, क्योंकि इस दिन उनका पूजन विशेष फलदायी माना जाता है।
  8. इन सभी देवताओं की पूजा पूरी करने के बाद देवी सरस्वती का पूजन करें।
    • अष्टदल पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
    • उन्हें पीले वस्त्र, हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, केसर, पीले फूल और पीली मिठाइयों का भोग अर्पित करें।
  9. इस दिन वाद्य यंत्रों, पुस्तकें और लेखन सामग्री की भी पूजा करें, क्योंकि ये ज्ञान और विद्या के प्रतीक हैं।


विशेष लाभ:

पूजन के इस विधि-विधान से देवी सरस्वती प्रसन्न होती हैं और आपको ज्ञान, विवेक, और कला में सफलता का आशीर्वाद देती हैं। साथ ही, यह पूजा आलस्य और अज्ञानता को दूर करके आपको जीवन में नई ऊर्जा प्रदान करती है।

निष्कर्ष 

इस दिन पंचमी तिथि का समय सूर्योदय और दोपहर के बीच होता है, जिसे हिंदू कैलेंडर में पूर्वाह्न के रूप में जाना जाता है। यह समय सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन पूजा का सबसे श्रेष्ठ समय पूर्वाह्न का माना गया है। यही वजह है कि अधिकतर स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) सुबह के समय ही आयोजित की जाती है। बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchami 2025 ) का यह पर्व शुभता और ज्ञान का प्रतीक है, जो जीवन में नई शुरुआत के लिए एक आदर्श दिन माना जाता है।


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