November 25, 2024 Blog

Mauni Amavasya 2025: क्यों रखा जाता है इस दिन मौन व्रत, क्या है इसका महत्व?

BY : STARZSPEAK

मौनी अमावस्या 2025 कब है ?(When Is Mauni Amavasya 2025) 


मौनी अमावस्या 2025 का शुभ अवसर 29 जनवरी को पड़ेगा। इस दिन को गंगा स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बेहद पवित्र माना गया है। अमावस्या तिथि (Mauni Amavasya 2025 date) का शुभारंभ 28 जनवरी 2025 को शाम 7:34 बजे होगा और यह 29 जनवरी 2025 को शाम 6:02 बजे समाप्त होगी।

इस समय के दौरान मौन व्रत रखना, गंगा स्नान करना और दान-पुण्य में भाग लेना विशेष फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। खासकर प्रयागराज के संगम पर स्नान का अद्वितीय महत्व है, जहां हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं और इस शुभ दिन का लाभ उठाते हैं।


मौनी अमावस्या क्या है ? (What is Mauni Amavasya) 


मौनी अमावस्या, दो शब्दों मौनी और अमावस्या से मिलकर बना है। "मौनी" का अर्थ है "मौन" और "अमावस्या" का अर्थ है "अमावस्या का दिन"। इस दिन भक्त मौन व्रत का पालन करते हैं और गंगा नदी में पवित्र स्नान कर लंबी आयु, सुख-समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।

हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) माघ महीने के मध्य में आती है और इसे सभी 13 अमावस्याओं में विशेष स्थान प्राप्त है। इस दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और पूर्वजों की पूजा-अर्चना की जाती है। माघ मेले के दौरान यह दिन विशेष रूप से लोकप्रिय होता है, जब लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेकर पुण्य अर्जित करते हैं।


मौनी अमावस्या का महत्व और इसकी महिमा (Importance Of Mauni Amavasya And Its Glory)


मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह दिन कई आध्यात्मिक और पौराणिक कारणों से विशेष है। आइए जानें कि इस दिन को क्यों इतने महत्व के साथ मनाया जाता है:

  1. ऋषि मनु के जन्म का सम्मान
    मौनी अमावस्या का संबंध ऋषि मनु के जन्म से है, जिन्हें मानव जाति का प्रथम पूर्वज माना जाता है। यह दिन उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए समर्पित है।

  2. पूर्वज, भगवान शिव और विष्णु का आह्वान
    मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करने से भगवान शिव, भगवान विष्णु और हमारे पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है। भक्त इस दिन आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए गंगा में पवित्र स्नान करते हैं।

  3. मोक्ष और पापों से मुक्ति
    ऐसा विश्वास है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है और उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

  4. संगम पर स्नान का विशेष महत्व
    उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में, गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। यहां हजारों श्रद्धालु पवित्र स्नान कर अपनी आत्मा को शुद्ध करने और पुण्य अर्जित करने का प्रयास करते हैं।


Mauni amavasya 2025


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मौनी अमावस्या का उद्देश्य और आध्यात्मिक महत्व (Purpose And Spiritual Significance Of Mauni Amavasya)

  1. आत्मशुद्धि और मौन का पालन
    मौनी अमावस्या का नाम ही मौन से प्रेरित है। इस दिन मौन व्रत धारण करना आत्मसंयम और विचारों की शुद्धि के लिए किया जाता है। मौन के अभ्यास से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।

  2. सूर्य और चंद्रमा का विशेष संयोग
    ज्योतिषीय दृष्टि से, मौनी अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में स्थित होते हैं, जिससे एक शुभ योग बनता है। इस योग में किया गया दान, व्रत और तप कई गुना फलदायक होता है।

  3. पूर्वजों का तर्पण
    इस दिन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन दान करने का विशेष महत्व है।

  4. गंगा स्नान का पुण्य
    मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है। यह दिन आत्मा की शुद्धि और धर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) सिर्फ एक धार्मिक दिन नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण, संयम और दान-पुण्य के माध्यम से जीवन को एक नई दिशा देने का अवसर है।


मौनी अमावस्या से जुडी पुरानी कथा (Old Story Related To Mauni Amavasya)


एक समय की बात है, कांचीपुरी नामक नगर में देवस्वामी नामक एक ब्राह्मण अपनी पत्नी धनवती और सात पुत्रों के साथ रहता था। उनकी एक पुत्री थी, जिसका नाम गुणवती था। सातों पुत्रों का विवाह हो चुका था, लेकिन देवस्वामी अपनी पुत्री गुणवती के लिए एक योग्य वर की तलाश कर रहे थे।

देवस्वामी ने गुणवती की कुंडली एक ज्योतिषी को दिखवाई। कुंडली देखकर ज्योतिषी ने बताया कि गुणवती का विवाह अशुभ रहेगा, और उसका वैवाहिक जीवन सफल नहीं होगा। यह सुनकर देवस्वामी बहुत परेशान हो गए और उपाय पूछने लगे।

ज्योतिषी ने सलाह दी कि सिंहलद्वीप में रहने वाली ‘सोमा’ नामक धोबिन की पूजा से यह दोष समाप्त हो सकता है। देवस्वामी ने इस उपाय को अपनाने का निश्चय किया। वे अपने छोटे बेटे और गुणवती के साथ सिंहलद्वीप की यात्रा पर निकल पड़े।

समुद्र पार करना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन मार्ग में एक गिद्धनी ने उनकी सहायता की। सिंहलद्वीप पहुंचने के बाद, देवस्वामी और गुणवती ने सोमा की सेवा करना शुरू कर दिया। वे हर सुबह सोमा के घर को साफ-सुथरा करते और उसकी हर संभव मदद करते। उनकी सेवा से प्रसन्न होकर सोमा ने उन्हें आशीर्वाद दिया।

सोमा के आशीर्वाद से गुणवती का वैवाहिक जीवन सुखमय बन गया, और वह आनंदपूर्वक जीवन बिताने लगी।

इस कथा के अनुसार, मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन मौन व्रत रखने, सेवा करने और पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह दिन आत्मशुद्धि और आशीर्वाद पाने के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है।


मौनी अमावस्या के दिन करे इन सरल अनुष्ठानो का पालन 

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) की रस्में मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि से प्रारंभ होती हैं। इस पवित्र दिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 3:30 से 6:00 बजे के बीच) में स्नान करें। स्नान के दौरान पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं, जिससे शुद्धता बनी रहे।

स्नान के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य दें। जल अर्पित करते समय भगवान सूर्य के किसी पवित्र मंत्र का जाप कर सकते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

इसके बाद, मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान आरंभ करें: मौन व्रत धारण करना। व्रत लेने से पहले भगवान विष्णु, जिन्हें भगवान हरि भी कहा जाता है, का ध्यान करें और उनकी आराधना करें।

व्रत के दौरान मौन रहें और भगवान विष्णु एवं भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ध्यान और प्रार्थना में समय बिताएं। यह व्रत मन को स्थिरता और शांति प्रदान करता है।

अंत में, मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के अनुष्ठान को पूर्ण करने के लिए गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य आवश्यक सामग्रियों का दान करें। यह न केवल पुण्य अर्जित करता है, बल्कि दूसरों के जीवन में भी सकारात्मकता लाता है।


Mauni Amavasya 2025 vrat


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मौनी अमावस्या के दिन क्यों करते है मौन व्रत का पालन 


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वाणी पर संयम रखने के लिए मौनी अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि व्यक्ति को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। वाणी को संयमित और नियंत्रित करना ही मौन व्रत का वास्तविक अर्थ है। इस दिन स्नान के बाद मौन व्रत धारण करके एकांत में ध्यान और जाप करना लाभकारी होता है। ऐसा करने से मन की शुद्धि होती है और आत्मा परमात्मा से जुड़ने का अनुभव करती है।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर स्नान और जप के साथ यदि हवन और दान किया जाए, तो देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह कर्म न केवल पापों का नाश करता है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है, और इसे अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्यदायी माना गया है।

मौन व्रत रखने का एक अन्य मान्यता ये भी है कि इस दिन चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देते और न ही उदय होते हैं। चंद्रमा को मन का कारक माना गया है, और उसके न दिखने से मन की स्थिति अस्थिर हो सकती है। इसी कारण, मन को संतुलित और नियंत्रित रखने के लिए मौन व्रत का पालन किया जाता है।


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