Durga Aarti Lyrics: देवी दुर्गा शक्ति, शक्ति और सुंदरता का प्रतीक हैं। उन्हें योद्धा देवी के रूप में भी जाना जाता है और नवरात्रि के दौरान लोग नौ अलग-अलग रूपों में उनकी पूजा करते हैं। आमतौर पर, दुर्गा के भक्त उनकी पूजा करते समय मंत्रों का उच्चारण करते हैं और भजन गाते हैं। इस दौरान माता की पूजा करने वाले लोग उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आरती उतारते हैं और भजन गाते हैं। अगर आप देवी दुर्गा की आरती करना चाहते हैं, तो आप इसके बारे में यहां पढ़ सकते हैं। (Durga Aarti Lyrics)
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा के बाद आरती करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि बिना आरती (Durga Aarti Lyrics) के पूजा अधूरी समझी जाती है। मां दुर्गा की पूजा में आरती का एक खास महत्व है, जो श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है। उत्तर स्कंद पुराण में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति पूजा की विधि और मंत्रों से अनजान हो, लेकिन आरती पूरी श्रद्धा से करता है, तो देवी-देवता उसकी पूजा को सम्पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हैं।
आरती का न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्व है। जब घी और कपूर से सजी रुई की बाती जलती है, तो वातावरण में एक शुद्ध और मधुर सुगंध फैलती है, जो नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
इसके अलावा, आरती के दौरान (Durga Aarti Lyrics) बजने वाली शंख और घंटी की ध्वनियों के साथ जब हम मां भगवती का ध्यान करते हैं, तो हमारे मन में जो द्वंद्व होते हैं, वे समाप्त होने लगते हैं। यह हमें मानसिक शांति और शारीरिक ऊर्जा प्रदान करता है, और हम महसूस करते हैं कि मां की आशीर्वाद और कृपा हमारे साथ है।
चण्ड मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
ब्रम्हाणी रुद्राणी तुम कमलारानी।
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
चौसंठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा अरु डमरु॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता सुख सम्पत्ति कर्ता॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बात्ती।
श्री माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पावे॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥