आरती और भजन भगवान शिव के प्रति सम्मान दिखाने का एक तरीका है। जब आप आरती करते हैं, तो आप कह रहे हैं कि आप भगवान शिव के उन सभी अच्छे कामों के लिए बहुत आभारी हैं जो उन्होंने आपके लिए किए हैं। शिवजी की आरती के दौरान आप उनकी शक्ति और अपने प्रति उनके प्रेम को महसूस कर सकते हैं। शिवजी की आरती इतनी महत्वपूर्ण है कि सावन सोमवार और शिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर भी लोग इसमें आस्था रखते हैं। आप चाहें तो प्रतिदिन भगवान शिव की आरती भी कर सकते हैं।

कर मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जय शिव ओंकारा, हर शिव ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
शिव आरती भोलेनाथ को प्रसन्न करने की प्रार्थना है और कहा जाता है कि भगवान शिव की पूजा के बिना पूजा अधूरी है। शिव जी की आरती घी में भीगी रुई की बत्ती और कपूर से करनी चाहिए, क्योंकि पूरी दुनिया में भगवान शिव के अनेक भक्त हैं।
यह भी पढ़ें - माघ पूर्णिमा 2023 की तिथि का समय, पूर्णिमा का महत्व, और व्रत कथा: Magha purnima 2023
Dr. Rahul Nair, with 15+ years in student counseling, integrates psychology and spirituality to guide learners toward aligned educational paths, personal growth, and meaningful success in life.