Sawan Shivratri 2025: सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद पावन और खास होता है, क्योंकि यह माह स्वयं भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना गया है। इस पूरे महीने में भक्तगण श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत रखते हैं, शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा विश्वास है कि सावन में अगर भोलेनाथ की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से की जाए, तो भगवान सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस वर्ष सावन की मासिक शिवरात्रि कब (Sawan ki shivratri kab hai) है और इसकी पूजा विधि क्या है।
हर साल सावन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, यानी यह दिन सावन का 14वां दिन होता है। इस वर्ष सावन का महीना 11 जुलाई से आरंभ हो रहा है और इसका समापन 9 अगस्त को होगा। ऐसे में सावन की शिवरात्रि 23 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी।(Sawan Shivratri 2025)
इस बार चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 23 जुलाई 2025 को सुबह 4 बजकर 39 मिनट पर हो रही है और यह तिथि 24 जुलाई की रात 2 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के नियम के अनुसार, सावन की मासिक शिवरात्रि (Sawan ki shivratri) 23 जुलाई को ही पूरे श्रद्धा-भाव से मनाई जाएगी।
इस दिन श्रद्धालु रात्रि के चारों प्रहर में शिव जी की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। इस दिन की पूजा में कुछ खास सामग्री का उपयोग होता है जैसे—फूल, शहद, दही, धतूरा, बेलपत्र, रोली, घी का दीपक, पूजा के बर्तन, साफ जल और गंगाजल।
इस दिन भक्त सुबह-सवेरे उठकर स्नान करके मंदिर जाते हैं और भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। भगवान शिव का अभिषेक सबसे पहले कच्चे दूध और गंगाजल से किया जाता है। इसके बाद पूजा की सारी सामग्री चरणबद्ध तरीके से शिवलिंग पर अर्पित की जाती है।
पूजा के दौरान घी का दीपक जलाकर भगवान शिव के सामने रखा जाता है। अंत में भगवान को भोग लगाया जाता है और फिर शिव आरती के साथ मंत्रों का जाप किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन की गई सच्चे मन से पूजा से शिव कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
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आषाढ़ पूर्णिमा से सावन माह के पूरे दौरान शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस पावन समय में श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। सावन का महीना शुरू होते ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो जाती है, जिसमें भक्त पवित्र गंगाजल लाकर भोलेनाथ को अर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस जलाभिषेक से जीवन की परेशानियां, रोग और बाधाएं दूर होती हैं।
इस दौरान शिव मंदिरों, ज्योतिर्लिंगों और तमाम शिव धामों में विशेष पूजन और अनुष्ठान किए जाते हैं। श्रद्धालु शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाकर मन की शुद्धि और जीवन में शांति की कामना करते हैं।
जलाभिषेक के लिए सबसे शुभ समय प्रात:काल से दोपहर तक माना जाता है। इसके अलावा प्रदोष काल और रात्रि के निशीथ काल में भी शिवलिंग पर जल चढ़ाना अत्यंत फलदायी होता है।
इन समयों में जलाभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शिव पुराण में वर्णित एक बहुत ही प्रेरणादायक कथा है, जो शिवरात्रि के महत्व को दर्शाती है। प्राचीन समय की बात है, चित्रभानु नाम का एक शिकारी था, जो जंगल में शिकार करके अपने परिवार का पेट पालता था। एक बार वह रोज़ की तरह शिकार की तलाश में जंगल गया, लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी उसे कोई शिकार नहीं मिला। दिन ढलने लगा और अंधेरा गहराता गया।
शिकार ना मिलने और रात होने के कारण वह पास के एक बेलवृक्ष पर चढ़कर बैठ गया, ताकि वह किसी जानवर से सुरक्षित रह सके। उस पेड़ के नीचे संयोगवश एक शिवलिंग स्थापित था। भूख और प्यास से परेशान वह रात भर पेड़ पर ही बैठा रहा, और बेचैनी में बेल के पत्ते तोड़ता रहा। वे पत्ते नीचे शिवलिंग पर गिरते रहे।
उसे यह पता नहीं था कि उस दिन महाशिवरात्रि (Shivratri 2025 sawan) है। लेकिन भूखा-प्यासा रहकर और अनजाने में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से उसकी पूजा पूरी हो गई और उसका व्रत भी हो गया। शिव की कृपा से उस साधारण शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
यह कथा हमें सिखाती है कि सच्चे मन से की गई भक्ति, भले ही अनजाने में ही क्यों न हो, भगवान शिव को जरूर प्रिय होती है और उनका आशीर्वाद अवश्य मिलता है।
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सावन (Shivratri 2025 sawan) में कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व होता है। भक्त पवित्र नदियों जैसे गंगोत्री, हरिद्वार, सुल्तानगंज और काशी विश्वनाथ आदि से गंगाजल भरकर कांवड़ में लाते हैं और शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। खासकर झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथधाम में हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते हैं।
भगवान शिव की पूजा में आमतौर पर शुद्ध जल, दूध, दही, शहद, गुलाब जल, भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि सामग्री का उपयोग किया जाता है। इन सभी चीजों को विधिवत अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
इस तरह, सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2025) न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आत्मिक और मानसिक शुद्धि के लिए भी एक बेहद पावन अवसर होता है।