July 16, 2025 Blog

Papankusha Ekadashi 2025: कब हैं पापांकुशा एकादशी, जानें इसकी तिथि, व्रत विधि एवं महत्व

BY : STARZSPEAK

Papankusha Ekadashi 2025: पापांकुशा एकादशी, जिसे पुण्य व्रत या शरीर एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में बेहद पवित्र मानी जाती है। यह व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु की भक्ति करते हैं ताकि वे अपने जीवन के पापों से मुक्त हो सकें। पापांकुशा एकादशी का व्रत न केवल आत्मा की शुद्धि में सहायक होता है, बल्कि मोक्ष की ओर भी मार्ग खोलता है।
पापकुंशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन किए गए व्रत और भक्ति से पाप रूपी हाथी को पुण्य रूपी अंकुश से रोका जाता है। इस दिन मौन रहकर भगवान का स्मरण करना, भजन-कीर्तन करना और मन को ईश्वर में लगाना शुभ माना गया है। ऐसा करने से मन की शुद्धि होती है और व्यक्ति के भीतर अच्छे गुणों का विकास होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से उतना पुण्य प्राप्त होता है जितना कठिन तपस्या से मिलता है।

पापांकुशा एकादशी 2025 तिथि और मुहूर्त  (Papankusha Ekadashi 2025 Date & Muhurat)

साल 2025 में पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 अक्टूबर, शुक्रवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि की शुरुआत 2 अक्टूबर, गुरुवार की शाम 7 बजकर 10 मिनट से हो रही है और इसका समापन 3 अक्टूबर, शनिवार की शाम 06 बजकर 32 मिनट पर होगा। व्रत रखने के बाद पारण (उपवास तोड़ने) का शुभ समय 4 अक्टूबर को शुभ 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
इस एकादशी पर व्रत का सही समय और विधि के अनुसार पारण करना बेहद पुण्यदायक माना गया है।

पापांकुशा एकादशी व्रत: पूजा विधि और नियम (Papankusha Ekadashi Puja Vidhi & Rules)

पापांकुशा एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत का फल अनेक अश्वमेध और सूर्य यज्ञों के बराबर होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं इस व्रत की सरल और शास्त्रसम्मत पूजा विधि:

  1. व्रत की तैयारी दशमी से ही: एकादशी व्रत का प्रभावशाली फल पाने के लिए इसकी तैयारी दशमी तिथि से शुरू करनी चाहिए। इस दिन सात प्रकार के अनाज जैसे गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन्हें एकादशी पर पवित्र मानकर पूजा में अर्पित किया जाता है।

  2. सवेरे उठकर व्रत का संकल्प लें: एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

  3. पूजन विधि: संकल्प के बाद एक साफ स्थान पर कलश की स्थापना करें और उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें। फिर श्रद्धा से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और दीप, धूप, पुष्प, तुलसी, और नैवेद्य से पूजा करें।

  4. व्रत का पारण: अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराएं, अन्न एवं दक्षिणा का दान करें, और फिर विधिपूर्वक व्रत का पारण करें।

इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करने से पापों का नाश होता है और आत्मिक शुद्धि के साथ भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

Papankusha Ekadashi 2025

यह भी पढ़ें - Dussehra 2025: इस साल कब मनाया जायेगा दशहरा एवं इस दिन क्या करना होता है शुभ

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha)

पुराने समय की बात है। विंध्याचल पर्वत पर क्रोधन नामक एक अत्यंत क्रूर बहेलिया रहता था। उसका जीवन हिंसा, चोरी-लूट, झूठ और नशे में ही बीत गया। उसे न धर्म की चिंता थी, न ही पुण्य के मार्ग की कोई समझ। जब उसके जीवन का अंतिम समय करीब आया, तब यमराज ने अपने दूतों को उसे लाने का आदेश दिया। यमदूतों ने क्रोधन को साफ-साफ बता दिया कि उसका कल आखिरी दिन है। यह सुनकर क्रोधन भयभीत हो गया और मृत्यु के डर से वह सीधे महर्षि अंगिरा के आश्रम जा पहुंचा।

महर्षि ने उसकी दशा देखी और करुणा दिखाई। उन्होंने उसे समझाया कि यदि वह पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) का विधिपूर्वक व्रत करे, तो उसके पापों से मुक्ति संभव है। क्रोधन ने महर्षि की बात मानी और पूरी श्रद्धा से व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उसके जीवन के सारे पाप कट गए और अंत समय में उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हुई। इस तरह, वह जीवनभर के पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त हुआ।

यह कथा यही संदेश देती है कि सच्चे मन से किया गया एक व्रत भी व्यक्ति के जीवन को नया मार्ग दिखा सकता है – चाहे उसका अतीत कितना भी अंधकारमय क्यों न रहा हो।


पापांकुशा एकादशी का महत्व (Significance Of Papankusha Ekadashi)

पापांकुशा एकादशी व्रत न केवल धर्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी बेहद खास माना जाता है। इस दिन का व्रत करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं। आइए समझते हैं इसके कुछ प्रमुख लाभ:
  • पापों से मुक्ति: इस व्रत के प्रभाव से जीवन में जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट होने लगते हैं।

  • मोक्ष का मार्ग: भगवान विष्णु की कृपा से आत्मा को शुद्धि और मोक्ष का वरदान मिल सकता है।

  • धर्म और पुण्य की प्राप्ति: व्रत करने से पुण्य संचय होता है और व्यक्ति धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ता है।

  • आध्यात्मिक जागृति: यह व्रत आत्मा की गहराई से सफाई करता है, जिससे भीतर से शांति और उन्नति का अनुभव होता है।

  • परिवार में सुख-शांति: व्रतधारी के जीवन में संतुलन आता है, जिससे उसका सकारात्मक प्रभाव पूरे परिवार और समाज पर पड़ता है।

कुल मिलाकर पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi vrat) न केवल आत्मिक शुद्धि का पर्व है, बल्कि यह जीवन को एक नई दिशा देने वाला अवसर भी है।

निष्कर्ष

पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi Vrat) न केवल एक व्रत है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, पुण्य अर्जन और मोक्ष की ओर अग्रसर होने का एक आध्यात्मिक साधन भी है। भगवान विष्णु की आराधना से जुड़ी इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति अपने जीवन में accrued पापों से मुक्त होकर धर्म, अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।

श्रद्धा और भक्ति के साथ विधिपूर्वक इस व्रत को करने पर न केवल सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि यह व्रत हमें भगवान के चरणों की ओर ले जाता है, जहां से शाश्वत शांति और दिव्यता प्राप्त होती है।

इसलिए, पापांकुशा एकादशी का व्रत हर उस व्यक्ति के लिए लाभकारी है, जो जीवन में आध्यात्मिक उन्नति, मन की शुद्धि और प्रभु की कृपा चाहता है।


यह भी पढ़ें - Shree Hari Stotram Lyrics: श्री हरि स्तोत्रम् हिंदी में अर्थ सहित