Krishna Ashtakam Lyrics: भगवान कृष्ण, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं, द्वापर युग में प्रकट हुए थे। मान्यता है कि जिन पर भगवान कृष्ण की कृपा होती है, उनके सभी काम सफल हो जाते हैं। भगवान को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए आप श्रीकृष्ण अष्टकम का पाठ (Krishna Ashtakam Lyrics) कर सकते हैं। इसे पढ़ने से न केवल आपके रुके हुए कार्य पूरे होते हैं, बल्कि भगवान कृष्ण की कृपा आप पर बनी रहती है, जिससे हर कार्य में सफलता मिलती है।
इस पाठ (Krishna Ashtakam Lyrics) को नियमित रूप से करना बेहद लाभकारी माना गया है। जन्माष्टमी के शुभ दिन से इसकी शुरुआत करना उत्तम होता है। खासकर, रात 12 बजे, जब भगवान कृष्ण का जन्म माना जाता है, तब इसका पाठ अवश्य करें और फिर इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें। यह आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेगा। श्रीकृष्ण अष्टकम के पाठ से मिलने वाले फायदे आप जल्द ही महसूस करेंगे।
सदैव पादपङ्कजंमदीयमानसेनिजं
दधानमुत्तमालकं नमामि नन्दबालकम्।
समस्तदोषशोषणंसमस्तलोकपोषणं,
समस्तगोपमानसंनमामि नन्दलालसम्॥ ४ ॥
हिंदी अर्थ : मैं नंद बाबा के पुत्र श्रीकृष्ण को प्रणाम करता हूं, जिन्होंने अपने कमल जैसे चरण मेरे मन में स्थापित कर दिए हैं और जिनके बालों की शोभा अद्वितीय है। मैं उन कृष्ण की आराधना करता हूं, जो सभी दोषों को मिटा देते हैं, पूरी सृष्टि का पोषण करते हैं और जो गोपों और नंद बाबा के सबसे प्रिय हैं।(Krishna Ashtakam Lyrics)
भुवोभरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं ,
यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम्।
दृगन्तकान्तभङ्गिनंसदासदालसङ्गिनं,
दिनेदिनेनवंनवंनमामि नन्दसंभवम्॥ ५ ॥
हिंदी अर्थ : मैं उन श्रीकृष्ण को नमन करता हूं, जो धरती का बोझ हल्का करते हैं, असंख्य राक्षसों और बुरी शक्तियों को परास्त कर, हमें दुखों के सागर को पार करने का मार्ग दिखाते हैं। जो यशोदा नंदन हैं और जिनका मधुर व्यक्तित्व सभी के दिलों को मोह लेता है। मैं नंद बाबा के पुत्र को प्रणाम करता हूं, जिनकी आंखें अत्यंत आकर्षक हैं, जो सदा संत भक्तों के साथ रहते हैं और जिनकी लीलाएं और रूप हर दिन नई आनंदमय झलक प्रस्तुत करते हैं।
गुणाकरंसुखाकरंकृपाकरंकृपापरं,
सुरद्विषन्निकन्दनंनमामि गोपनन्दनम्।
नवीनगोपनागरंनवीनकेलिलंपटं,
नमामि मेघसुन्दरंतटित्प्रभालसत्पटम्॥ ६ ॥
हिंदी अर्थ : श्रीकृष्ण सभी सद्गुणों, आनंद और कृपा के भंडार हैं। वे देवताओं के शत्रुओं का विनाश करते हैं और गोपियों को प्रसन्न करते हैं। मैं उस चंचल चरवाहे कृष्ण को प्रणाम करता हूं, जिनकी लीलाएं अद्भुत हैं, जो हर दिन नई छवि में प्रकट होते हैं। उनका रूप काले बादल जैसा सुंदर है, और वे चमकते हुए पीले वस्त्र (पीतांबर) धारण करते हैं, जो बिजली की चमक जैसा आभास देता है।
समस्तगोपनन्दनंहृदंबुजैकमोदनं,
नमामि कुञ्जमध्यगंप्रसन्नभानुशोभनम्।
निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं ,
रसालवेणुगायकं नमामि कुञ्जनायकम्॥ ७ ॥
हिंदी अर्थ : मैं उन श्रीकृष्ण को प्रणाम करता हूं, जो गोपों को आनंदित करते हैं और कुंज के मध्य उनके संग खेलते हैं। उनकी उपस्थिति तेजस्वी सूर्य जैसी है, जो भक्तों के हृदय को खिलने वाला आनंद प्रदान करती है। मैं उन रेंगने वालों के स्वामी (कालिया नाग के विजेता) को नमन करता हूं, जो अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं, जिनकी सुंदर छवि बाण जैसी तीव्र और मोहक है, और जो अपनी बांसुरी पर मधुर स्वर छेड़ते हैं।
विदग्ध गोपिका मनो मनोज्ञा तल्पशायिनम्,
नमामि कुञ्ज कानने प्रवृद्ध वह्नि पायिनम्.
किशोरकान्ति रञ्जितम, द्रुगन्जनम् सुशोभितम,
गजेन्द्र मोक्ष कारिणम, नमामि श्रीविहारिणम ॥ ८ ॥
हिंदी अर्थ : मैं उन श्रीकृष्ण को प्रणाम करता हूं, जो बुद्धिमान गोपियों के मन रूपी शय्या पर विराजमान रहते हैं, क्योंकि वे निरंतर उनके बारे में सोचती हैं। मैं उनकी आराधना करता हूं, जिन्होंने अपने चरवाहा समुदाय की रक्षा के लिए फैली हुई जंगल की आग को निगल लिया। उनकी मोहक आंखें उनके बालसुलभ आकर्षण और काजल की गहराई जैसी अनगढ़ सुंदरता को प्रकट करती हैं। मैं उन कृष्ण को नमन करता हूं, जिन्होंने गजेंद्र को मगरमच्छ के जबड़े से मुक्त किया और जो लक्ष्मी (श्री) के प्रिय स्वामी हैं।
यथा तथा यथा तथा तदैव कृष्ण सत्कथा ,
मया सदैव गीयताम् तथा कृपा विधीयताम.
प्रमानिकाश्टकद्वयम् जपत्यधीत्य यः पुमान ,
भवेत् स नन्द नन्दने भवे भवे सुभक्तिमान ॥ ९ ॥
हिंदी अर्थ : हे भगवान कृष्ण! कृपया मुझे आशीर्वाद दें कि मैं हर स्थिति में आपके महान गुणों और लीलाओं का गायन कर सकूं। जो व्यक्ति इन दो पवित्र आश्रमों का अध्ययन या पाठ करता है, उन्हें हर जन्म में कृष्ण की भक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
ॐ नमो श्रीकृष्णाय नमः॥
ॐ नमो नारायणाय नमः॥
श्री कृष्ण अष्टकम का पाठ हम सभी को करना करना चाहिए। इससे जीवन में बहुत से लाभ प्राप्त होते है :
यह अष्टकम पाठ (Krishna Ashtakam Lyrics) विशेष रूप से जन्माष्टमी के दिन करना चाहिए। रात 12 बजे, जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तब इसका पाठ करें और इसे नियमित रूप से जारी रखें।
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