हर व्यक्ति का एक सपना होता है की वह बड़ा होकर क्या बनेगा और वह उस दिशा में प्रयास भी करता है, कभी - कभी तो परिश्रम करने के बाद भी हम सफलता हासिल कर लेते है लेकिन कभी - कभी हमे अच्छे परिणाम प्राप्त नहीं होते, ऐसे में हमे कुंडली का आकलन कर लेना चाहिए की क्या हमारी कुंडली में वैसे योग है या नहीं ।
यदि कोई व्यक्ति वकील या न्यायधीश बनना चाहता है तो कुंडली में दूसरा, सातवा, नवम या दशम भाव तथा गुरु, शुक्र, मंगल, बुध तथा शनि ग्रह की भूमिका जरुरी है क्योकि बुध वाणी तथा बुद्धि का कारक है तथा जोश, उत्साह, दृढ़ निश्चय और कोर्ट कचेहरी के विवाद को सुलझाने की शक्ति रखता है, शनि परिश्रम तथा धैर्य का प्रतीक है ।
यदि दूसरे भाव या दूसरे भाव के स्वामी पर गुरु, बुध, शुक्र इन तीनों में से दो या तीनों का प्रभाव हो तो व्यक्ति तर्कशाली होता है । ऐसा जातक तर्क तथा युक्तियों से धन कमाने वाला होता है । वह वकील, न्यायधीश या तर्क शास्त्री हो सकता है ।
यदि किसी जातक की कुंडली में लग्न या सप्तम भाव में मंगल, बुध, शनि हो या दूसरे भाव का स्वामी लग्न भाव में बुध या शनि से युति करे तो व्यक्ति अच्छा वकील या न्यायधीश हो सकता है ।
यदि किसी कुंडली में पंचम भाव का स्वामी लग्न में बुध या शनि से युति करे या ये ग्रह दृष्टि सम्बन्ध बनाये तो ऐसा योग बनता है ।
यदि किसी कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी मंगल हो तथा दूसरे भाव का स्वामी बुध के साथ लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति में वकील बनने की योग्यता होती है ।
Ankit Verma, an astrologer with 9+ years’ expertise, explains remedies like Ravivar ka Upay and grah shanti, empowering readers to overcome challenges and attract positivity, success, and balance.