September 30, 2024 Blog

Karwa Chauth 2024: किन महिलाओ को करवा चौथ का व्रत नहीं करना चाहिए? पहले करवा चौथ पर मायके से क्या आता है?

BY : STARZSPEAK


Karwa Chauth 2024: करवा चौथ का त्यौहार सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ख़ास होता है। इस दिन स्त्रियाँ सिर्फ अपने पति की लम्बी आयु के लिए ही निर्जला व्रत नहीं रखती है , बल्कि अखंड सौभाग्य, समृद्धि और पारिवारिक सुख के लिए भी इस व्रत को रखा जाता है। करवा चौथ का व्रत काफी कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें सूर्योदय से चंद्रोदय तक निराहार और निर्जल रहना होता है।

इस दिन महिलाएं अपने पति की सलामती के लिए व्रत रखती हैं और बिना अन्न-जल ग्रहण किए दिन भर पूजा करती हैं। रात को चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देकर व्रत को समाप्त करती हैं। इस विशेष दिन का महत्व हर सुहागिन के लिए बहुत खास होता है, और सालभर वे इस दिन का इंतजार करती हैं। लेकिन, करवा चौथ का (karva chauth vrat) व्रत सभी महिलाएं नहीं कर सकतीं। कुछ विशेष परिस्थितियों में इस व्रत को करने से बचने की सलाह दी जाती है।

करवाचौथ 2024 की तारीख एवं महत्त्व (Date & Significance of Karwa Chauth 2024)

इस साल करवाचौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024, दिन रविवार को पड़ रहा है। इस दिन पूजा का समय शाम 5:45 से 7:09 तक है और चंद्रोदय का समय 8:45 का है। 

करवा चौथ का (karva chauth katha) व्रत करवा माता और भगवान गणेश को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा माता ने अपने पति को मृत्यु से बचाया था, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। इसलिए, इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुखी दांपत्य जीवन और परिवार की समृद्धि की कामना करती हैं। यह व्रत संतान सुख, वैवाहिक जीवन में शांति और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। 

विशेषकर इस दिन महिलाएं अपने सौभाग्य और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत का पालन करती हैं। इस व्रत को करने से न सिर्फ पति की आयु बढ़ती है बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि और शांति भी बनी रहती है।

Karwa Chauth Images

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करवा चौथ व्रत किन स्त्रियों को नहीं करना चाहिए (Who Should Not Observe Karwa Chauth Vrat)

हालांकि करवा चौथ का व्रत विशेष महत्व रखता है, लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में इस व्रत को करने से बचने की सलाह दी जाती है:

1. गर्भवती महिलाएं

   गर्भवती महिलाओं को करवा चौथ का व्रत नहीं करने की सलाह दी जाती है। चूंकि इस व्रत में अन्न और जल का त्याग किया जाता है, तो भूखे रहने से गर्भस्थ शिशु को स्वास्थ्य संबंधी नुकसान हो सकता है। इस वजह से, गर्भवती महिलाओं को करवा चौथ व्रत से बचना चाहिए और स्वस्थ रहने के लिए उचित आहार लेना चाहिए।

2. कुंवारी लड़कियां

   करवा चौथ व्रत केवल सुहागिनों के लिए होता है। शास्त्रों में यह व्रत केवल विवाहित महिलाओं के लिए मान्य है, क्योंकि यह पति की लंबी आयु और उनके सुख-समृद्धि की कामना से जुड़ा हुआ है। इसलिए, अविवाहित लड़कियों को करवा चौथ व्रत नहीं करना चाहिए।

3. मासिक धर्म वाली महिलाएं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान किसी भी प्रकार की पूजा-पाठ और व्रत करने की मनाही होती है। लेकिन करवा चौथ व्रत एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसे उद्यापन किए बिना छोड़ा नहीं जाता है। अगर किसी महिला को मासिक धर्म के दौरान करवा चौथ का व्रत रखना है, तो वह बिना पूजा किए व्रत रख सकती हैं। इस स्थिति में पति से पूजा करवाई जा सकती है, ताकि व्रत खंडित न हो।

करवा चौथ व्रत की विधि (Karwa Chauth Vrat Puja Vidhi)

करवा चौथ व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं, जो उनके व्रत की शुरुआत होती है। सरगी सास द्वारा दी जाती है, जिसमें फल, मिठाई और अन्य खाद्य पदार्थ होते हैं। इसके बाद महिलाएं दिनभर बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं।
व्रत के दौरान शाम को करवा माता और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पूजा के लिए मिट्टी का करवा बनाकर उसमें गेहूं, चावल और मिठाई भरी जाती है। करवा माता की पूजा के बाद चंद्रमा के दर्शन किए जाते हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर महिलाएं अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का समापन करती हैं।

करवा चौथ के व्रत का फल (Benefits of Karwa Chauth Vrat)

करवा चौथ व्रत के पुण्य से पति की आयु लंबी होती है, और जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। यह व्रत वैवाहिक जीवन को मजबूती प्रदान करता है और महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। परिवार की खुशहाली और संतान की मंगलकामना के लिए भी यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। 
इसके अलावा, व्रत से मानसिक और शारीरिक शुद्धि भी होती है, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

पहले करवाचौथ पर मायके से आने वाला स्नेह 

पहले करवा चौथ पर मायके से जो सामान आता है उसे "बायना" कहते है। करवा चौथ पर मायके से आने वाले “बाया” का भी खास स्थान है। यह वो सामान होता है जो लड़की के मायके से उसके ससुराल भिजवाया जाता है। बाया में मिठाई, मेवे, कपड़े, बर्तन, चावल, साड़ी(Karwa Chauth Saree), सुहाग का सामान, चांदी या पीतल का करवा आदि चीजें शामिल होती हैं, जो परिवार की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक हैं। करवा चौथ की कथा होने से पहले यह सामान लड़की के ससुराल पहुंचाया जाता है, जो दोनों परिवारों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाता है।

सरगी: सास का विशेष उपहार

करवा चौथ के व्रत में “सरगी” का खास महत्व होता है, जो सास की ओर से बहू को दिए जाने वाले उपहार के रूप में परंपरा का अहम हिस्सा है। इसे व्रत शुरू करने से पहले, सुबह के समय खाया जाता है ताकि पूरे दिन व्रत रखने में शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिल सके। सरगी में आमतौर पर मठरी, मेवे, फल, मिठाई जैसी पौष्टिक चीजें शामिल होती हैं। पारंपरिक रूप से, इन सभी खाद्य सामग्रियों को मिट्टी के बर्तन में रखकर दिया जाता है, जो परंपरा और रिश्तों की मिठास को बढ़ाता है।

पोइया: सास को बहू का आदर 

करवा चौथ के व्रत पर सास को बहू द्वारा दिए जाने वाले उपहार को “पोइया” कहा जाता है, खासकर पंजाब में। इसमें सुहाग से जुड़ी चीजें जैसे बिंदी, चूड़ियां, सिंदूर के साथ मठरी, मिठाइयां, मेवे और कपड़े (साड़ी या सूट) शामिल होते हैं। यह उपहार बहू अपनी सास को पूजा के बाद देती है, जो इस व्रत की परंपरा और मान्यता को और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।


व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

करवा चौथ के दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सुबह *सरगी* खाते समय, हल्का और पौष्टिक भोजन लें, ताकि पूरे दिन आप ऊर्जावान रहें। पानी ज्यादा मात्रा में पिएं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। व्रत खोलने के बाद धीरे-धीरे खाना खाएं और अधिक भोजन करने से बचें, क्योंकि दिनभर उपवास के बाद ज्यादा खाने से पाचन संबंधी समस्या हो सकती है। अगर आप किसी विशेष उपचार या दवाइयों पर हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें और व्रत करने से बचें। इसके अलावा, व्रत के दौरान कोई भी भारी शारीरिक व्यायाम न करें, क्योंकि इससे शरीर में कमजोरी आ सकती है। 

करवा चौथ का व्रत भारतीय परंपरा में बहुत खास है और इसे पूर्ण श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इसके धार्मिक और सामाजिक महत्व के साथ ही यह महिलाओं के सौंदर्य और उनके पति के प्रति प्रेम का प्रतीक है।


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