Karwa Chauth 2024: करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। अमान्त पंचांग,(जिसका पालन गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में किया जाता है) के अनुसार यह व्रत आश्विन माह में पड़ता है। हालांकि, यह सिर्फ माह का नाम है जो इसे अलग बनाता है, परंतु करवा चौथ पूरे देश में एक ही दिन मनाया जाता है।
यह व्रत संकष्टी चतुर्थी के साथ होता है, जो भगवान गणेश के लिए उपवास का दिन है। विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं। इस दिन महिलाये भगवान शंकर, माँ पार्वती, कार्तिकेय और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। स्त्रियाँ देवी गौरा और चौथ माता, जो देवी पार्वती का ही रूप हैं, की भी पूजा करती हैं। व्रत पूरा करने के लिए चन्द्रमा के दर्शन करके उसे अर्घ्य देने के बाद ही पूर्ण माना जाता है। यह व्रत कठोर होता है और महिलाएँ सूर्योदय से लेकर रात में चंद्र दर्शन तक बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत करती हैं।
करवा चौथ को करक चतुर्थी भी कहा जाता है, जहाँ करवा (मिट्टी का पात्र) से चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है। पूजा में करवा महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान दिया जाता है। उत्तर भारत में यह व्रत दक्षिण भारत की तुलना में अधिक लोकप्रिय है।
करवा चौथ 2024(karwa chauth 2024) में यह व्रत 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं दिन भर निराहार रहकर, चंद्रमा को जल देने के बाद ही अपना व्रत खोलती है।
इस वर्ष चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 19 अक्टूबर 2024 रात 9:30 मिनट पर हो रहा है और इसका समापन 20 अक्टूबर 2024 रात 11:15 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर करवा चौथ 20अक्टूबर 2024, दिन रविवार को मनाया जायेगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 5:45 मिनट से 7:09 मिनट तक रहेगा। चंद्रोदय का शुभ मुहूर्त शाम 7:55 पर है।
करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त चंद्रमा के उदय के समय होता है। 2024 में चंद्रमा के दर्शन का समय रात 8:45 बजे के आस-पास रहेगा। महिलाएं इस समय चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर अपने व्रत को पूर्ण करेंगी।
करवा चौथ व्रत (karwa chauth vrat katha)का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। यह दिन महिलाओं के समर्पण, प्रेम और आस्था का प्रतीक है, जो अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास करती हैं।
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धर्मसिन्धु, निर्णयसिन्धु और व्रतराज जैसे धर्मग्रंथों में करवा चौथ को करक चतुर्थी के रूप में वर्णित किया गया है। करक और करवा दोनों ही छोटे घड़ों को दर्शाते हैं, जो पूजा के दौरान उपयोग किए जाते हैं। परिवार की समृद्धि और सुख-शांति की कामना के लिए करवा का दान भी किया जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, केवल स्त्रियों को ही करवा चौथ व्रत का पालन करने का अधिकार है। यह व्रत न केवल पति की लंबी उम्र के लिए होता है, बल्कि परिवार के पुत्र-पौत्र, धन और स्थायी समृद्धि की भी कामना की जाती है।
करवा चौथ का व्रत (karwa chauth vrat) सूर्योदय के साथ व्रत के संकल्प से शुरू होता है। व्रत के दिन, सुबह स्नान करके स्त्रियाँ अपने पति और परिवार की कुशलता के लिए व्रत का संकल्प लेती हैं।
संकल्प लेने के बाद महिलाएं अपनी क्षमता के अनुसार व्रत के नियम निर्धारित कर सकती हैं। हालांकि करवा चौथ का व्रत निर्जला (बिना अन्न और जल के) रखा जाता है, लेकिन महिलाएं अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार व्रत का स्वरूप तय कर सकती हैं। पूरे दिन व्रत का कठोरता से पालन करें, खुद भी प्रसन्न रहें और दूसरों को भी खुश रखने का प्रयास करें। विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए करवा चौथ की रस्मों को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ निभाएं।
संकल्प के समय नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करना अच्छा माना जाता है :
"मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।"
अनुवाद: "मैं अपने पति, पुत्र और पौत्रों की कुशलता और स्थायी समृद्धि के लिए करक चतुर्थी व्रत का पालन करूंगी।"
सभी महिलाओ को करवा चौथ की बहुत बहुत शुभकामनाएं (Happy Karwa Chauth)।
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