August 20, 2024 Blog

Laddu Gopal: क्या लड्डू गोपाल को लगा सकते हैं बिसकुट, नमकीन जैसी चीजों का भोग

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

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अधिकतर घरों में लड्डू गोपाल जी की सेवा की जाती है और उन्हें घर के सदस्य की तरह माना जाता है। इस दौरान जो लड्डू लोग खुद खाते हैं उसे गोपाल जी को भी अर्पित किया जाता है। आपने देखा होगा कि कई लोग लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) को नमकीन बिस्किट आदि भी चढ़ाते हैं। आइए जानते हैं कि ऐसा करना सही है या नहीं।

Laddu Gopal: हिंदू मान्यताओं के अनुसार घर में नियमित रूप से लड्डू गोपाल जी की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है। लड्डू गोपाल जी को भगवान श्री कृष्ण का बाल रूप माना जाता है। ऐसे में लड्डू गोपाल जी को भोग लगाते समय कुछ नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए, ताकि व्यक्ति को इसका शुभ फल मिल सके। 

laddu gopal
ध्यान रखें ये बातें

लड्डू गोपाल जी को कोई भी खाद्य सामग्री अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह वस्तु बिल्कुल शुद्ध होनी चाहिए। अर्थात इसमें लहसुन, प्याज आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसे में लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) को सात्विक तरीके से बनी नमकीन, बिस्किट जैसी चीजों का भोग लगाया जा सकता है। इसलिए भोग लगाने से पहले पैकेट पर लिखी सभी सामग्रियों को जरूर पढ़ लें।

भोग संबंधी नियम

लड्डू गोपाल को हमेशा स्नान कराकर ही भोग लगाना चाहिए। साथ ही इस दौरान साफ-सफाई और पवित्रता का भी पूरा ध्यान रखें। आप दिन में चार बार लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) को भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा, आप घर पर जो भी खाते हैं, उसे खुद खाने से पहले लड्डू गोपाल को अर्पित कर सकते हैं, जैसे चाय, फल, नाश्ता आदि।

करें इस मंत्र का जाप

मान्यता है कि यदि गोपाल (Laddu Gopal) को लड्डू चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप किया जाए तो वह प्रसाद शीघ्र स्वीकार कर लेते हैं। जिससे साधक पर उनकी कृपा दृष्टि बनी रहती है।

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।'

इस मंत्र का अर्थ यह है कि हे भगवान, मेरे पास जो कुछ भी है, वह सब आपका दिया हुआ है और अब मैं वही आपको भेंट स्वरूप अर्पित करता हूं। इसे स्वीकार करें और मुझ पर अपना आशीर्वाद बरसायें। 

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Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.