Jagannath Rath Yatra 2024: खरसावां-स्नान: पूर्णिमा पर अत्यधिक स्नान करने के कारण भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा बीमार पड़ गये और एकांतवास में चले गये. इसके बाद उन्हें अंसार होम में रखा गया है. यहीं पर महाप्रभु की गुप्त सेवा होती है। मंदिर के अंसार घर में सेवायत पूजा के साथ-साथ फल और सब्जियां भी चढ़ा रहे हैं। घरेलू नुस्खों से भी महाप्रभु का इलाज शुरू कर दिया गया है. भगवान जगन्नाथ अगले एक पखवाड़े तक भक्तों को दर्शन नहीं देंगे. 7 जुलाई को रथयात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा पूरी तरह स्वस्थ होकर भक्तों को दर्शन देंगे.
खरसावां में प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा की तैयारी जोरों पर है. 13 दिनों बाद सात जुलाई को प्रभु जगन्नाथ (Jagannath Rath Yatra 2024) बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर मौसीबाड़ी गुंडिचा मंदिर जायेंगे. इसे लेकर खरसावां में नये रथ का निर्माण किया जा रहा है. रथयात्रा के दौरान सुरक्षा के विशेष बंदोबस्त रहेंगे. पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती होगी.
बताया गया कि अगले एक सप्ताह के भीतर रथ का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जायेगा. यहां पुरी (ओडिशा) की तर्ज पर प्रभु जगन्नाथ का भव्य व आकर्षक रथ बनाया जा रहा है. रथ की ऊंचाई 25 फीट, चौड़ाई 12 फीट व लंबाई 18 फीट के आस-पास है. ओडिशा के मयूरभंज के कारीगरों द्वारा रथ का निर्माण किया जा रहा है. प्रभु जगन्नाथ के रथ (Jagannath Rath Yatra 2024) को आकर्षक लुक दिया जा रहा है. रथ पर लगी लकड़ियों में पेंटिंग की जा रही है. रथ के सामने पांच घोड़ा के साथ एक सारथी की प्रतिमा भी बनायी गयी है. खरसावां में प्रभु जगन्नाथ के रथ निर्माण के लिए राज्य सरकार के विधि विभाग से पिछले वर्ष 18 लाख रुपये का आवंटन मिला है. खरसावां अंचल कार्यालय के जरिये इस राशि से प्रभु जगन्नाथ का भव्य रथ बनाया जा रहा है.
खरसावां में प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा समेत (Jagannath Rath Yatra 2024) विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिए राज्य सरकार से आवंटन मिला है. राजा गोपाल नारायण सिंहदेव के अनुसार आजादी से पूर्व यहां रथ यात्रा समेत विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिए राजघराने के राजकोष से राशि उपलब्ध कराया जाता था. 1947 में देश की आजादी के बाद सभी धार्मिक अनुष्ठानों के लिए राज्य सरकार आवंटन उपलब्ध कराती है. जानकारी के अनुसार, 1947 में तमाम देशी रियासतों के भारत गणराज्य में विलय के दौरान खरसावां के तत्कालीन राजा श्रीरामचंद्र सिंहदेव व सरकार के बीच इसे लेकर मर्जर एग्रीमेंट किया गया था.