वैशाख मास (Vaishakha Purnima 2024) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा कहा जाता है और इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। वैशाख का पूरा महीना स्नान, दान, जप, तप, पूजा आदि के लिए पवित्र माना जाता है इसलिए वैशाख महीने की पूर्णिमा को बहुत खास माना जाता है। पूर्णिमा के दिन व्रत करने और गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

18 के संवाददाता को बताया कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का व्रत 23 मई को रखा जाएगा. इस साल वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि बेहद खास रहने वाली है, क्योंकि पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग और शिववास एक साथ बन रहा है। इसके साथ ही वैशाख पूर्णिमा (Vaishakha Purnima 2024) का व्रत गुरुवार को रखा जाएगा। गुरुवार का दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है।
अगर आप इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो सभी कष्टों का नाश होता है और आपको देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है। इसके साथ ही जिस भी व्यक्ति पर देवी लक्ष्मी की कृपा होती है उस पर धनवर्षा होती है और उसे कभी कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। हालाँकि, यह वैशाख पूर्णिमा भद्रा के प्रभाव में रहने वाली है। परंतु भद्रा का प्रभाव निष्क्रिय रहेगा।
वैशाख मास की पूर्णिमा (Vaishakha Purnima 2024) तिथि का आरंभ 22 मई को शाम 05:42 बजे हो रहा है. पूर्णिमा तिथि अगले दिन यानी 23 मई को सुबह 06:42 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा तिथि का व्रत 23 मई को ही रखा जाएगा. पूर्णिमा तिथि के दिन मृत्युलोक की भद्रा का साया है लेकिन इस भद्रा का आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि भद्रा 23 मई को सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो रही है. इसके बाद आप पूजा, स्नान और दान शुरू कर सकते हैं।
वैशाख पूर्णिमा (Vaishakha Purnima 2024) के दिन सुबह स्नान करके भगवान शिव के शिवलिंग का अभिषेक करें और किसी को चीनी और तिल का दान करें। इससे परेशानियां दूर होती हैं और दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने की भी परंपरा है।
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Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.