प्रत्येक ग्रह हमारे शरीर के अलग - अलग भाग को प्रभावित करते है, जब भी हम किसी रोग से ग्रसित होते है तो कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दशा तथा गोचर के अनुसार की निर्णय किया जाता है की कौन सा रोग कितने समय तक तथा कैसे स्थिति में होगा ।
सूर्य से हमारे शरीर में हृदय सम्बन्धी रोग, मस्तिष्क, खून का बहाव, नेत्र, पित्त व पैर दर्द के बारे में जाना जाता है ।
चंद्र से पाचन क्रिया, सर्दी, बुखार, स्त्रियों को होने वाली समस्याएँ, छाती में दर्द तथा मिर्गी की बीमारी का पता चलता है ।
मंगल रक्त का कारक है, मंगल से रक्तदोष, रकतनाश, फोड़े - फुंसी, नाक के रोग इत्यादि के बारे में जाना जाता है ।
बुध से मस्तिष्क में होने वाले रोग, गले व गर्दन में दर्द, वाणी सम्बन्धी दोष, मानसिक समस्या, सर दर्द इत्यादि के बारे में जाना जाता है ।
शुक्र से शुगर की बीमारी, त्वचा सम्बन्धी रोग, अंतड़ियो के रोग, गुर्दे का दर्द, पाव में तकलीफ, मूत्र सम्बन्धी रोग के बारे में पता चलता है ।
गुरु से लीवर की समस्या, ब्लड जमना, दाँतो के रोग तथा शरीर में कही घाव होना, इन सब के बारे में जाना जा सकता है ।
शनि से खांसी, दमा, दाढ़ दर्द, पाचन तंत्र की दुर्बलता या लम्बे समय तक चलने वाले रोगों के बारे में पता चलता है ।
जब भी शरीर में इनमे से कोई रोग होता है तो डॉक्टरी इलाज होने के बाद भी यदि आराम नहीं पड़ता तो कुंडली के माध्यम से विश्लेषण किया जाता है की वह रोग कितने समय तक चलेगा और क्या उस रोग का निदान होगा या नहीं।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.