February 20, 2024 Blog

Mahashivratri 2024 Date: महाशिवरात्रि कब है, जानें तारीख, महत्व और सरल पूजा विधि

BY : STARZSPEAK

Mahashivratri 2024: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन ही माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है। यहां जानें तिथि, समय और पूजा विधि.

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि का त्योहार (Why Mahashivratri is Celebrated) भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव विवाह के बंधन में बंधे थे। इसलिए इस दिन माता पर्वत और भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कब है महाशिवरात्रि, जानिए इसकी तिथि और महत्व।

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महाशिवरात्रि की तारीख / Mahashivratri 2024 Date

पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 9 मार्च को शाम 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी. हालांकि, प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) का त्योहार 8 मार्च को ही मनाया जाएगा.

ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को माता पार्वती से पाने के लिए उन्हें कठोर तपस्या करनी पड़ी थी और महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती की तपस्या सफल हुई थी। उनका विवाह भगवान शिव के साथ सम्पन्न हुआ। महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखती हैं।

महाशिवरात्रि की पूजा विधि/ Mahashivratri Puja Vidhi 
  • महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम करें और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद गंगाजल मिलाकर जल से स्नान करें।
  • इसके बाद नए कपड़े पहनें और फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें।
  • इसके बाद भगवान शिव का कच्चे दूध या गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद पंचोपचार करके भगवान शिव (Mahashivratri 2024) और माता पार्वती का विधि-विधान से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव को भांग धतूरा, फल, मदार के पत्ते, बेलपत्र आदि चढ़ाएं। साथ ही शिव चालीसा या शिव स्तोत्र का पाठ करें। साथ ही भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें. अगले दिन सामान्य पूजा करके अपना व्रत खोलें।

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