December 18, 2023 Blog

Shiv ji ki Aarti: भगवान शिव की आरती करने से पहले जानें जरूरी बातें, फिर पढ़ें जय शिव ओंकारा स्वामी...

BY : STARZSPEAK

सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हिंदू धर्म में पूजा के बाद आरती करने की परंपरा है इसलिए भगवान शिव की आरती (Shiv Ji Ki Aarti) करने से पहले कुछ जरूरी बातें जानना जरूरी है।

Shiv ji ki Aarti: देवों के देव महादेव की आरती से आपके बिगड़े काम बन जाते हैं। सोमवार के दिन शिव की पूजा करना फलदायी होता है। क्योंकि सोमवार का दिन महादेव को समर्पित है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए भक्त सोमवार का व्रत भी रखते हैं और भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं। इस दिन भोलेनाथ को जल चढ़ाने का बहुत महत्व है। सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हिंदू धर्म में पूजा के बाद आरती करने की परंपरा है। भगवान शिव शंकर की आरती करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

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shiv ji ki aarti
जानें भगवान शिव की  पूजा करने की विधि / Shiv Ji Ki Aarti

सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें, फिर मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करें और दीपक जलाएं। फिर शिवलिंग पर गंगाजल और दूध चढ़ाएं और भगवान शिव को फूल चढ़ाएं। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाएं। भगवान शिव (Shiv Ji Ki Aarti) को अक्षत, गंध, फूल, धूप, दीप, दूध, पंचामृत, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ाएं। इसके बाद पंचामृत से अभिषेक करते हुए 'ओम नम: शिवाय' मंत्र का जाप लगातार करते रहें। भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं.

सोमवार पूजा सामग्री (Somwar Samagri)

सोमवार के दिन शिव पूजा (Shiv Ji Ki Aarti) के लिए कच्चा दूध, गंगाजल, दही, घी, शहद, भांग, धतूरा, शक्कर, केसर, चंदन, बेलपत्र, अक्षत, भस्म, रुद्राक्ष, शमी पत्र, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, गाय का कच्चा दूध, तुलसी दल, मंदार पुष्प, ईख का रस, फल, कपूर, धूप, दीप, शिव के प्रिय फूल (हरसिंगार, आक, कनेर), इत्र, पंचमेवा, काला तिल, सोमवार व्रत कथा पुस्तक और शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.

भगवान शिव की आरती

जय शिव ओंकारा, स्वामी ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
।। शिव जी की आरती।।

    ।। Shiv Ji Ki Aarti।।