Laxmi Ji Ki Aarti: शुक्रवार के दिन करें मां लक्ष्मी की आरती, ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
BY : STARZSPEAK
शुक्रवार का दिन धन की देवी देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन मां लक्ष्मी और संतोषी माता (Laxmi Ji Ki Aarti) की पूजा की जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी और संतोषी माता की पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।
Laxmi Ji Ki Aarti: हिंदू धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है। शुक्रवार को धन की देवी लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी और संतोषी माता की पूजा की जाती है जिससे विशेष कृपा प्राप्त होती है। आज मां लक्ष्मी और संतोषी माता की आरती विशेष लाभकारी है। आप यहां मां लक्ष्मी की आरती पढ़ सकते हैं।
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लक्ष्मी जी की आरती
Laxmi Ji Ki Aarti
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
मैया जी को निशदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
उमा रमा ब्रह्माणी तुम ही जगमाता
मैया तुम ही जगमाता
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत
नारद ऋषि गाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी सुख सम्पत्ति दाता
मैया सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल निवासिनि तुम ही शुभदाता
मैया तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभावप्रकाशिनी
भवनिधि की त्राता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहती सब सद्गुण आता
मैया सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता
मन नहीं घबराता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते वस्त्र न कोई पाता
मैया वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव
सब तुमसे आता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
शुभ गुण मन्दिर सुन्दर क्षीरोदधि जाता
मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता
मैया जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
।। मैया जय लक्ष्मी माता।।
आरती से पहले इन मंत्रों से भी मां की पूजा करनी चाहिए इससे इंसान को दोहरे फल की प्राप्ति होती है।
- ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
- लक्ष्मी नारायण नम:
- ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:
- धनाय नमो नम:
- ॐ लक्ष्मी नम:
- ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:
- पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् .
- ऊं ह्रीं त्रिं हुं फट
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