October 25, 2023 Blog

Hanuman Ashtak: मंगलवार के दिन करें हनुमान अष्टक का पाठ, नहीं होंगे कभी दुर्घटना के शिकार

BY : STARZSPEAK

Hanuman Ashtak Path: मंगलवार का दिन पवनपुत्र हनुमान को समर्पित है और इस दिन राम भक्ति की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग बजरंगबली की पूजा करते हैं उन्हें अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है और वे कभी दुर्घटना का शिकार नहीं होते हैं। इसलिए अगर आप समस्याओं से मुक्ति पाना चाहते हैं तो मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक का पाठ कर सकते हैं।

Hanuman Ashtak: भगवान हनुमान को कलियुग का जागृत देवता माना जाता है। इनकी पूजा करने से भगवान श्री राम की कृपा सदैव बनी रहती है। सनातन धर्म में हर देवी-देवता के लिए अलग-अलग दिनों का विभाजन है और इसमें से मंगलवार का दिन पवन पुत्र हनुमान को समर्पित है।

Hanuman Ashtak

इस दिन भगवान राम की उनके भक्तों द्वारा पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग श्रद्धापूर्वक बजरंगबली की पूजा करते हैं, उनकी कभी-कभी अकाल मृत्यु से रक्षा होती है और वे कभी दुर्घटना का शिकार नहीं होते।

ऐसे में आप समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) का पाठ करें। हनुमान अष्टक का पाठ बेहद कल्याणकारी है। तो आइए यहां पढ़ते हैं -

॥ हनुमानाष्टक ॥
॥ Hanuman Ashtak ॥

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,

तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।


ताहि सों त्रास भयो जग को,

यह संकट काहु सों जात न टारो ।


देवन आनि करी बिनती तब,

छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।


को नहीं जानत है जग में कपि,

संकटमोचन नाम तिहारो ॥॥


बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,

जात महाप्रभु पंथ निहारो ।


चौंकि महामुनि साप दियो तब,


चाहिए कौन बिचार बिचारो ।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,


सो तुम दास के सोक निवारो ॥॥

अंगद के संग लेन गए सिय,

खोज कपीस यह बैन उचारो ।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु,

बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।


हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,

लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ॥


रावण त्रास दई सिय को सब,

राक्षसी सों कही सोक निवारो ।


ताहि समय हनुमान महाप्रभु,

जाए महा रजनीचर मारो ।


चाहत सीय असोक सों आगि सु,

दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥॥


बान लग्यो उर लछिमन के तब,

प्राण तजे सुत रावन मारो ।


लै गृह बैद्य सुषेन समेत,

तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।


आनि सजीवन हाथ दई तब,

लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ॥


रावन युद्ध अजान कियो तब,

नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।


श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,

मोह भयो यह संकट भारो I


आनि खगेस तबै हनुमान जु,

बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥॥


बंधु समेत जबै अहिरावन,

लै रघुनाथ पताल सिधारो ।


देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,

देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।


जाय सहाय भयो तब ही,

अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ॥


काज किये बड़ देवन के तुम,

बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।


कौन सो संकट मोर गरीब को,

जो तुमसे नहिं जात है टारो ।


बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

जो कछु संकट होय हमारो ॥ ॥


॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे,

अरु धरि लाल लंगूर ।


वज्र देह दानव दलन,

जय जय जय कपि सूर ॥


॥ हनुमानाष्टक ॥
॥ Hanuman Ashtak ॥


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