May 3, 2023 Blog

हनुमान अष्टक संकट मोचन नाम तिहारों व अर्थ सहित | Hanuman Ashtak Lyrics

BY : STARZSPEAK

हनुमान जी की कथाएं हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण हैं। उनकी उपासना से अनेक संकटों से मुक्ति मिलती है। उन्हें मान्यता है कि जो भक्त हनुमान जी की उपासना करते हैं, उन्हें बुरे समय में हनुमान जी का साथ मिलता है और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है (Hanuman Ashtak Lyrics)।

हनुमान जी की कथाओं में से एक कथा यह है कि बचपन में हनुमान जी ने सूर्य देवता को फल समझ कर निगल लिया था। फिर अन्य देवताओं ने हनुमान जी से सूर्य को छोड़ने का आग्रह किया था। यह कथा उनकी शक्ति को दर्शाती है और उनकी अद्भुत बल का प्रतीक है।

एक और कथा के अनुसार, हनुमान जी (Hanuman Ashtak Lyrics) को तीनों लोकों के स्वामी देते हुए पवन देवता ने उन्हें उनकी इच्छा का वरदान दिया था। यह कथा भक्तों को उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हनुमान जी की उपासना करने का प्रेरणा देती है।

हनुमान जी की प्रार्थना करते समय, यह सुझाव दिया जाता है कि उन्हें अपनी दिल की बातें बार-बार कहनी चाहिए क्योंकि वे भूल जाते हैं। श्री हनुमान सभी के दुखों को हरते हैं जैसे कि उन्होंने भगवान् के मानव अवतार में उनकी मदद की और उनके कष्टों का निवारण किया। हनुमान भक्ति कई तरह से की जाती है और उनके सामने घी का दीपक जलाकर रोजाना हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak Lyrics) जैसे पाठ किए जाते हैं।

हनुमान अष्टक संकट मोचन नाम तिहारों व अर्थ (Hanuman Ashtak Lyrics Sankatmochan Naam Tiharo Meaning in Hindi)

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों .
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात  न टारो .
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो .
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो .
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो – 1

अर्थात:
बाल्यकाल में जिसने सूर्य को खा लिया था और तीनों लोक में अँधेरा हो गया था . पुरे जग में विपदा का समय था जिसे कोई टाल नहीं पा रहा था . सभी देवताओं ने इनसे प्रार्थना करी कि सूर्य को छोड़ दे और हम सभी के कष्टों को दूर करें . कौन नहीं जानता ऐसे कपि को जिनका नाम ही हैं संकट मोचन अर्थात संकट को हरने वाला .
 
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो .
चौंकि महामुनि साप दियो तब ,
चाहिए कौन बिचार बिचारो .
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो .
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो – 2
Hanuman Ashtak Lyrics

अर्थात:
बाली से डरकर सुग्रीव और उसकी सेना पर्वत पर आकार रहने लगती हैं तब इन्होने ने भगवान राम को इस तरफ बुलाया और स्वयं ब्राह्मण का वेश रख भगवान की भक्ति की इस प्रकार ये भक्तों के संकट दूर करते हैं .
 
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो .
जीवत ना बचिहौ हम सो  जु ,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो .
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब ,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो .
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहार – 3

अर्थात:
अंगद के साथ जाकर आपने माता सीता का पता किया और उन्हें खोजा एवम इस मुश्किल का हल किया . उनसे कहा गया था – अगर आप बिना सीता माता की खबर लिए समुद्र तट पर आओगे तो कोई नहीं बचेगा . उसी तट पर सब थके हारे बैठे थे जब आप सीता माता की खबर लाये तब सबकी जान में जान आई .
 
रावण त्रास दई सिय को सब ,
राक्षसी सों कही सोक निवारो .
ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,
जाए महा रजनीचर मरो .
चाहत सीय असोक सों आगि सु ,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो .
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो – 4

अर्थात:
रावण ने सीता माता को बहुत डराया और अपने दुखो को ख़त्म करने के लिए राक्षसों की शरण में आने कहा . तब मध्य रात्री समय हनुमान जी वहाँ पहुँचे और उन्होंने सभी राक्षसों को मार कर अशोक वाटिका में माता सीता को खोज निकाला और उन्हें भगवान् राम की अंगूठी देकर माता सीता के कष्टों का निवारण किया .
 
बान लाग्यो उर लछिमन के तब ,
प्राण तजे सूत रावन मारो .
लै गृह बैद्य सुषेन समेत ,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो .
आनि सजीवन हाथ  दिए तब ,
लछिमन के तुम प्रान उबारो .
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो – 5

अर्थात :
रावण के पुत्र इन्द्रजीत के शक्ति के प्रहार से लक्षमण मूर्छित हो जाते हैं उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी वैद्य सुषेन को उनके घर के साथ उठ लाते हैं . और उनके कहे अनुसार बूटियों के पहाड़ को उठाकर ले आते हैं और लक्षमण को संजीवनी देकर उनके प्राणों की रक्षा करते हैं .
 
रावन जुध अजान कियो तब ,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो .
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल ,
मोह भयो यह संकट भारो .
आनि खगेस तबै हनुमान जु ,
बंधन काटि सुत्रास निवारो .
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो – 6

अर्थात:
रावण ने जब राम एवम लक्षमण पर नाग पाश चलाया तब दोनों ही मूर्छित हो जाते हैं और सभी पर संकट छा जाता हैं . नाग पाश के बंधन से केवल गरुड़ राज ही मुक्त करवा सकते थे . तब हनुमान उन्हें लाते हैं और सभी के कष्टों का निवारण करते हैं .
 
बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो .
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि ,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो .
जाये सहाए भयो तब ही ,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो .
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो – 7

अर्थात:
एक समय जब अहिरावण एवम मही रावण दोनों भाई भगवान राम को लेकर पाताल चले जाते हैं तब हनुमान अपने मंत्र और साहस से पाताल जाकर अहिरावन और उसकी सेना का वध कर भगवान् राम को वापस लाते हैं.
 
काज किये बड़ देवन के तुम ,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो .
कौन सो संकट मोर गरीब को ,
जो तुमसे नहिं जात है टारो .
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,
जो कछु संकट होए हमारो .
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो – 8
 
अर्थात:
भगवान् के सभी कार्य किये तुमने और संकट का निवारण किया मुझ गरीब के संकट का भी नाश करो प्रभु . तुम्हे सब पता हैं और तुम्ही इनका निवारण कर सकते हो . मेरे जो भी संकट हैं प्रभु उनका निवारण करों.
 
दोहा
लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर .
वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर ..
 
अर्थात:
लाल रंग का सिंदूर लगाते हैं ,देह हैं जिनकी भी जिनकी लाल हैं और लंबी सी पूंछ हैं वज्र के समान बलवान शरीर हैं जो राक्षसों का संहार करता हैं ऐसे श्री कपि को बार बार प्रणाम .

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संकट मोचन पढ़ने के फायदे (Hanuman Ashtak Lyrics)

संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करने के बहुत से फायदे होते हैं। इस पाठ का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत ऊँचा है। यह पाठ हनुमान जी की भक्ति करने वालों द्वारा रोजाना किया जाता है।

संकटमोचन हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak Lyrics) पाठ करने से मनुष्य के मन में शांति और सुख का अनुभव होता है। इस पाठ के जरिए हम हनुमान जी की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। संकटमोचन हनुमान अष्टक में विस्तृत रूप से हनुमान जी की महिमा का वर्णन किया गया है। इसके अलावा इस पाठ को समझने से मनुष्य के मन में अधिक धैर्य और सब्र का विकास होता है।

संकटमोचन हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak Lyrics) के पाठ से बुरे सपनों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा यह पाठ बुरी नजर और दुर्भावनाओं से रक्षा करता है। इस पाठ का प्रतिदिन नियमित रूप से पाठ करने से शुभता का अनुभव होता है। इस पाठ को करने से हमें सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।