September 15, 2023 Blog

Radha Ashtami 2023: इस साल कब है राधा अष्टमी? जानें राधारानी की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

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Radha Ashtami 2023 Date: हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण की प्रिय राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। यानि कि राधाष्टमी का त्यौहार कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद ही आता है। कृष्ण जन्माष्टमी की तरह राधा अष्टमी का त्यौहार भी मथुरा, वृन्दावन और बरसाने में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं घर में सुख-शांति और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं। राधा रानी भगवान श्री कृष्ण की प्रेमिका थीं और उन दोनों के बीच प्रेमपूर्ण रिश्ता था। इसलिए कहा जाता है कि राधा का नाम जपने से भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं। राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने और राधा रानी और कृष्ण जी की पूजा करने से घर में धन और सुख-समृद्धि बढ़ती है। आइए जानते हैं इस साल की राधा अष्टमी - Radha Ashtami पूजा की विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में...

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 Radha Ashtami

राधा अष्टमी 2023 तिथि

पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 22 सितंबर 2023 को दोपहर 01:35 बजे हो रहा है और यह तिथि अगले दिन 23 सितंबर 2023 को दोपहर 12:17 बजे समाप्त होगी. इस आधार पर 23 सितंबर को राधा अष्टमी - Radha Ashtami का त्योहार मनाया जाएगा और इस दिन दोपहर में राधा रानी की पूजा की जाएगी.

राधा अष्टमी पूजा मुहूर्त 

23 सितंबर को राधा अष्टमी - Radha Ashtami वाले दिन राधा रानी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 01 मिनट से दोपहर 01 बजकर 26 मिनट तक है।

राधा अष्टमी 2023 पूजा विधि 
  • राधा अष्टमी - Radha Ashtami के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। 
  • इसके बाद तांबे या मिट्टी का कलश पूजन स्थल पर रखें और एक तांबे के पात्र में राधा जी की मूर्ति स्थापित करें। 
  • एक साफ चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर राधा रानी की प्रतिमा स्थापित करें। 
  • पंचामृत से स्नान कराकर सुंदर वस्त्र पहनाकर दोनों का श्रृंगार करें। 
  • फल-फूल और मिष्ठान अर्पित करें। इसके बाद राधा कृष्ण के मंत्रों का जाप करें, कथा सुनें। 
  • साथ ही राधा कृष्ण की आरती अवश्य गाएं। 
राधा अष्टमी का महत्व

ऐसा माना जाता है कि राधा के बिना भगवान कृष्ण की पूजा अधूरी रहती है। जो लोग कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं उन्हें राधा रानी के जन्मोत्सव, जिसे राधा अष्टमी कहा जाता है, का भी व्रत रखना चाहिए। इसका कारण यह है कि राधा अष्टमी - Radha Ashtami के व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इस दिन व्रत और पूजा करने वालों को सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

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Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.