July 3, 2017 Blog

कैंसर रोग में ग्रहों की भूमिका!

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

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लेखक: सोनू शर्मा

कैंसर एक जानलेवा रोग है, इसका नाम सुनते ही व्यक्ति को लगने लगता है की उसका जीवन समाप्त हो जाएगा, यह लम्बे समय तक रहने वाली बीमारी है, इस रोग में चंद्र तथा मंगल गृह महवत्पूर्ण भूमिका निभाते है। कुंडली में छठा व अष्टम भाव लम्बे समय तक रहने वाले रोगो की सूचना देते हैं, राहु कैंसर का कारक होता है और गुरु वृद्धि का कारक होता है ।

- यदि जातक की कुंडली में सिंह लग्न में षष्टम भाव में शनि, अष्टमेश, गुरु व केतु की युति हो तो व्यक्ति को ब्रैस्ट कैंसर होता है ।

- कन्या लग्न में नीच का शुक्र, राहु व चंद्र की युति हो तथा अष्टमेश शनि की लग्न पर पूर्ण दृष्टि हो तो यह ब्लड कैंसर होने का संकेत है ।

- सिंह लग्न में द्वितीय व एकादश भाव का स्वामी बुध तथा अष्टम भाव में बैठे हो तथा चंद्र और शनि पे दृष्टि हो तो यह थाइरोइड कैंसर होने का योग बनाता है ।

- सिहं लग्न में वृश्चिक राशि में सूर्य व मंगल की युति हो तथा वह राहु से दृष्ट हो तो यह ब्रैस्ट कैंसर के योग का निर्माण करता है ।

- कन्या लग्न में यदि लग्नेश बुध छटे भाव में सूर्य के साथ स्थित हो तो लीवर कैंसर होने की सम्भावना रहती है ।

- यदि जातक की कुंडली में मकर लग्न में पंचम भाव में अष्टमेश सूर्य, छटे भाव के स्वामी बुध और बारहवे भाव के स्वामी गुरु के साथ युति होने से यूरिन कैंसर होने का खतरा होता है ।

- यदि तुला लग्न में चतुर्थ भाव में चन्द्रमा, अष्टम भाव में स्थित राहु से दृष्ट हो तो यह ब्लड कैंसर का योग बनता है ।

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.