कुंडली से माध्यम से व्यक्ति को होने वाले किसी भी रोग के बारे जाना जा सकता है, जानते है कुंडली में बनने वाले ऐसे कुछ योग जिनसे जाना जा सकता है की व्यक्ति को हृदय रोग होगा या नहीं।
- यदि जातक की कुंडली में चतुर्थ अथवा पंचम भाव में पीड़ित सूर्य स्थित हो हो यह हृदय रोग का सूचक हो सकता है ।
- जातक की कुंडली में अगर पंचमेश का स्वामी पाप ग्रह के साथ स्थित हो या उस पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति को हृदय रोग की सम्भावना होती है ।
- यदि चौथे भाव में शनि और मंगल की युति हो या शनि और गुरु की युति हो और उनपर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो यह हृदय रोग दर्शाता है ।
- मेष लग्न में यदि दशम भाव में शनि स्थित हो तथा लग्न या दशम भाव पर शनि की दृष्टि हो तो यह हृदय रोग देती है ।
- कुंडली में यदि सूर्य, मंगल और गुरु तीनों चतुर्थ भाव में बैठे हो तो यह हृदय रोग का सूचक होता है ।
- यदि जातक की कुंडली में तृतीयेश और राहु एक साथ हो या तृतीयेश और केतु एक साथ हो व्यक्ति ह्रदय रोगी होता है।
- यदि कुंडली में बारहवे भाव में या अशुभ भाव में सूर्य और शनि एक साथ बैठे हो तो ह्रदय रोग होता है।
- यदि कुंडली में सूर्य वृश्चिक राशि में स्थित है और पाप ग्रहों की दृष्टि सूर्य पर है तो व्यक्ति को ह्रदय रोग होता है।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.