व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है, हर व्यक्ति विवाह का सपना सजाता है और कामना करता है उसका वैवाहिक जीवन सुखमय हो लेकिन कभी कभी विवाह के उपरांत आपसी रिश्तो में तनाव व मनमुटाव देखा जाता है, यहाँ तक की प्रेम विवाह होने के बाद भी तलाक तक की नौबत आ जाती है । हम कुंडली के माध्यम से काफी हद तक जानकारी प्राप्त कर सकते है की जीवन साथी के साथ सम्बन्ध कैसा होगा । कुंडली में गुरु, शुक्र ग्रह तथा लग्न या सप्तम भाव का विश्लेषण करके इसके बारे में जाना जा सकता है -
१) यदि जातक की कुंडली में द्वितीय भाव या सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तथा शुक्र स्वराशि का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो दांपत्य जीवन खुशहाल होता है ।
२) यदि कुंडली में सप्तमेश केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तथा सप्तम भाव पर दृष्टि हो तो यह विवाह के लिए शुभ माना जाता है।
३) सप्तम भाव पर यदि किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो तो यह वैवाहिक जीवन में अनबन को दर्शाता है ।
४) यदि सप्तम भाव को नीच ग्रह देख रहा हो और शुक्र भी नीच राशि में स्थित हो तथा सप्तमेश भी नीच राशि का हो तो पत्नी का सुख नसीब नहीं होता ।
५) किसी कुंडली में यदि सप्तमेश छटे, आठवे या बारहवे भाव में हो तथा पंचमेश किसी अन्य भाव में हो तो यह विवाह के बाद कष्टपूर्ण जीवन होने का संकेत देता है ।
६) यदि सप्तम भाव में सूर्य स्थित हो तो वह विवाह विच्छेद करवाता है ।
Diksha Kaushal is a marriage astrologer with 10+ years’ expertise in compatibility, birth-chart analysis, and numerology, guiding couples toward stronger, harmonious, and long-lasting relationships.