कृतिका नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक सुंदर और मनमोहक छवि वाला व्यक्ति होता है| वो केवल सुंदर ही नहीं बल्कि गुणी भी होते हैं| आपका व्यक्ति किसी राजा के समान ओजपूर्ण और पराक्रमी होता है| कृतिमा नक्षत्र का स्वामी सूर्य होता है और अत: आप तेजस्वी और तीक्ष्ण बुद्धि के स्वामी होते हैं| बचपन से ही विद्या प्राप्ति में आपकी अधिक रूचि होती है और आगे चलकर कृतिका नक्षत्र का जातक विद्वान हो जाता है| यह सूर्य के विशेष गुण के कारण होता है| हालांकि, शुक्र और सूर्य में शत्रुता भी होती है| इस कारण सुंदर और तेजस्वी होने पर विचार अस्थिर रहेंगे|
सूर्य के इस नक्षत्र में चंद्रमा भी शामिल है जिस कारण सूर्य, चंद्रमा के मेल की वजह से शरीर पर तेज की अनुभूति होती है| चंद्रमा से प्रभावित होने की वजह से आपमें प्रभुत्व आएगा| आप की सोच और कार्य का स्तर बेहतर होगा| आपके व्यक्तित्व में राजकीय गुण आएंगे| चंद्रमा के प्रभाव से ही आपके पास धन भी आएगा|
कृतिका नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति खाने का शौकीन और स्त्रियों में आसक्त होता है| आपका रुझान गायन, नृत्यकला, सिनेमा, और अभिनय और अभिनेत्रियों के प्रति अधिक रहता है|
इस
नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक या जातिकाएं एक दूसरे के प्रति काफी आकर्षित रहते हैं| सौन्दर्य के तेज के कारण प्रसिद्धि भी आपको बहुत अधिक मिलती है और पुरुषों को महिलाएं| वहीं महिलायों को पुरुषों के प्रेम प्रस्ताव मिलते ही रहते हैं| हालांकि किसी भी सम्बन्ध में आप बंध कर रहना पसंद नहीं करते| जहां आपको बंधन महसूस होने लगता है वहां आप बिना किसी की परवाह किए रिश्तों को समाप्त कर आगे बढ़ जाते हैं | बहु भोगी होना और रोगी होना इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का स्वभाव होता है| सेक्स को लेकर उनमें अधिक रुझान और भोजन के प्रति असावधानी रोग की वजह बन सकती है|
आप औरों के लिए एक बहुत अच्छे मार्गदर्शक साबित होते हैं लेकिन अस्थिर सोच की वजह से अपने लिए सही निर्णय लेना आप के बस में नहीं होता| आपको पुराने या नवीन विचारों से कोई परहेज नहीं होता| आप सिर्फ सत्यता और मानवता के पथ पर ही चलना चाहते हैं| कृतिका जातक पिता की उपेक्षा अपनी माता से ज्यादा निकट होता है, और माता से हर तरह का सहयोग लेने में सक्षम रहता है| विवाह उपरांत पारिवारिक जीवन भी सुखमय रहता है| पत्नी के साथ सम्बन्ध प्रेमपूर्वक और मधुर बना रहता है लेकिन घर परिवार से दूरी आपको अक्सर परेशान करती है|
कृतिका नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक का भाग्योदय हमेशा जन्म स्थान से दूर जाकर ही होता है| आप अपने जीवन में कई यात्राएं भी करते हैं| जिनमे से अधिकतर आपके लिए निर्थक ही साबित होती हैं| निरंतर यात्राओं के कारण आपके कर्यक्ष्ट्र में भी बदलाव होता है| आपको सफलता प्राप्त करने के लिए जीवन पर्यंत संघर्षरत रहना पड़ता है| सुदूर देशों में जा कर ही कृतिका नक्षत्र के जातक खूब धन कमाते हैं|
कृतिका नक्षत्र में जन्म लेने वाली महिलाएं पतले दुबले शारीर और कफ प्रकृति की होती हैं| वो सामान्यतः अपने माता पिता की अकेली संतान होती हैं या भाई बहनों के होते हुए भी उनके सुख से वंचित रहती हैं| इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली जातिकाएं झगड़ालू और दूसरों में दोष निकलने वाली होती हैं| गुस्सा हमेशा इनकी नाक पर रहता है| अपने इसी स्वभाव के कारण इनका अपने पति से भी प्रेमपूर्ण व्यवहार नहीं रहता और अक्सर अलगाव की स्तिथि उत्पन्न हो जाती है|
स्वभाव संकेत : अनुशासित एवं ओजपूर्ण
संभावित रोग: सर्दी, जुकाम और नाक से सम्बंधित रोग
विशेषताएं
प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी बृहस्पति है| कृतिका नक्षत्र के पहले चरण में जन्म होने की वजह से जातक जन्मस्थान से दूर जाकर खूब धन कमाता है| जातक की मंगल की दशा, सूर्य और गुरु की दशा –अन्तर्दशा अत्यंत शुभ फलदायी होगी| यह जातक मंगल की रहस्मयी शक्तियों का स्वामी होगा|
द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी शनि है| कृतिका नक्षत्र के द्वितीय चरण में जन्म होने की वजह से जातक विज्ञान का जानकार हो सकता है| सूर्य और शनि की वजह से ज्ञान और अनुभव दोनों का समावेश आपके पास रहेगा| जातक शास्त्रों का ज्ञाता और अपने क्षेत्र का वह तेजस्वी विद्वान् होगा| जातक लग्नबली और चेष्टावान होगा| सूर्य और शनि की दशाएं अशुभ परन्तु लग्नेश शुक्र की दशा शुभ फल देंगी|
तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी शनि है| कृतिका नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्म होने की वजह से जातक शूरवीर और भाग्यशाली होगा| सूर्य और शनि की वजह से ज्ञान और अनुभव दोनों का समावेश रहेगा| जातक शास्त्रों का ज्ञाता और अपने क्षेत्र का तेजस्वी विद्वान् होगा| जातक की सूर्य और शुक्र दोनों की दशाएं संघर्षपूर्ण होंगी|
चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी बृहस्पति हैं| कृतिका नक्षत्र के चौथे चरण में जन्म होने की वजह से जातक दीर्घायु और एक से अधिक पुत्रों वाला होगा| सूर्य और बृहस्पति जातक ज्ञानी और सात्विक विचारों वाला होगा| जातक की सूर्य और बृहस्पति की दशा –अन्तर्दशा में उन्नति होगी| जातक का विशेष भाग्योदय सूर्य, बृहस्पति और लग्न स्वामी शुक्र की दशा में होगा|
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