February 25, 2019 Blog

जानिए कौन से ग्रह देते हैं सबसे खतरनाक रोग

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

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ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हमारे शरीर के संचालन में ग्रहों का भी हाथ होता है। प्रत्येक ग्रह में अलग-अलग रोगों को पैदा करने का गुण होता है। जिसका प्रभाव हमारे शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ता है। हमारे लिए इस बात का ज्ञान होना अति आवश्यक है कि कौन सा ग्रह किस रोग को जन्म दे रहा है। ताकि समय रहते उस रोग या बीमारी का उपचार किया जा सके। यूँ तो हर ग्रह से कोई न कोई रोग जुड़ा हुआ है पर सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, राहू और शनि को सबसे घातक माना जाता है। आइये जानते हैं किस तरह हम इन ग्रहों से पैदा होने वाले नकारात्मक प्रभावों को दूर करके, उनसे होने वाले रोगों से खुद की रक्षा कर सकते हैं।


  • सूर्य- सूर्य को यश, मान, कीर्ति, प्रसिद्धि का कारक माना जाता है। सूर्य के कमजोर होने पर पित्त, जलन, उदर, ह्रदय रोग, नेत्र रोग, प्रतिरोधक क्षमता की कमी, पेट सम्बन्धी रोग, सिर में दर्द, टाईफाईड जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

उपाय-

यदि सूर्य ग्रह से उत्पन्न होने वाले रोग आपको परेशान कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में भगवान राम की आराधना करें सूर्य को आर्घ्य दें एवं गायत्री मंत्र का जाप करें। रविवार के दिन उपवास रखें। गेंहू एवं गुड़ का दान करें। प्रत्येक कार्य को करने से पहले मीठा अवश्य खाएं। "ॐ रं रवये नमः " का जाप करें


  • चंद्रमा- यूँ तो इसे एक शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है, लेकिन यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा अशुभ है तो यह आपको मानसिक रोग, छाती का रोग, खांसी, जुकाम, मानसिक तनाव, घबराहट, मुख रोग, पाचनक्रिया सम्बन्धी रोग, त्वचा सम्बन्धी रोग दे सकता है। इसके अलावा आपकी माताजी को भी किसी तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या पैदा हो सकती है। चंद्रमा के ख़राब होने का कारण है माता से विवाद करना, पूर्वजों का अपमान करना, राहू, केतु या शनि की दृष्टी चंद्रमा पर पड़ना।

उपाय-

उपाय हेतु सोमवार का व्रत करें। पुखराज और मोती को भी धारण कर सकते हैं। शिव की आराधना करें। सफ़ेद खाद्य वस्तुएं जैसे दही, चीनी, चावल आदि का सेवन करें एवं इन्हें दान भी करें। माता की सेवा करें।
रोजाना "ॐ सोम सोमाय नमः" का 108 बार जाप करें।


  • मंगल- मंगल ग्रह का ख़राब होना जीवन में कई समस्याएँ लेकर आता है। इसके ख़राब होने के मुख्य कारणों में शामिल है अत्यधिक क्रोध करना एवं भाई-बंधुओं से झगड़ा करना। मंगल के अशुभ होने पर उच्चरक्तचाप, रक्तविकार, खुजली, ट्यूमर, मानसिक रोग, गर्भपात, बवासीर, कर्णरोग, नेत्र रोग आदि आपको घेर लेते हैं। इसके साथ-साथ व्यक्ति क्रोधी स्वाभाव का बन जाता है और हर बात पर कुछ ज्यादा ही उत्तेजित होने लगता है।

उपाय-

मूंगा धारण करें। मसूर की दाल दान में दें। हनुमान जी को चोला चढ़ाएं एवं मंगलवार को उनकी आराधना करें। इसके अलावा ताँबा, गुड़, लाल कपड़ा दान में दें। गुरु, धर्म, माता-पिता का अपमान कतई न करें। चावल का दान करना भी लाभकारी सिद्ध होता है। बुरी संगती से बचने का प्रयास करें।


  • राहू- यदि राहू ख़राब हो जाये तो उदर, मस्तिक में दर्द, ह्रदय रोग, कुष्ट रोग, मानसिक संतुलन में खराबी आदि समस्याओं से गुज़ारना पड़ता है। इसके अलावा आर्थिक नुकसान, बात-बात पर क्रोधित होना, दुर्घटना का डर जैसी चिंताएं भी आपको घेरने लगती हैं। शत्रु भी मौके का फायदा उठाने का पूरा प्रयास करते हैं।

     उपाय-

    शिव, दुर्गा और हनुमान जी की आराधना करें। सुन्दरकाण्ड का पाठ करें। शराब और मांस  का दान करें। अनाज को दूध में धोकर पानी में बहायें। गोमेद धारण करें।
इसके साथ " ॐ राहवे नमः " का 108 बार प्रतिदिन जाप करें।

  • शनि- शनि मनुष्य को उसके कर्मों के हिसाब से फल देता है। जिस पर शनि का विपरीत प्रभाव पड़ता है उसे लकवा, अस्थमा, पागलपन, पैर सम्बन्धी पीड़ा, गाठिया, ह्रदय में जलन आदि पीड़ाओं से गुज़ारना पड़ता है।

उपाय-

शनि अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें। नीलम रत्न को धारण करें। इसके शनि से सम्बंधित होने के कारण शनि के बुरे प्रभावों में कमी आती है। हनुमान जी की आराधना करें एवं उन्हें चोला अर्पित करें। आप चाहें तो शनि कवछ भी पहन सकते हैं। नाव की कील या काले घोड़े की नाल धारण करना भी लाभकारी होता है। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं।

 एकाक्षरी मंत्र: " ॐ शं शनैश्चराय नम: " का जाप करें

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.