ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हमारे शरीर के संचालन में ग्रहों का भी हाथ होता है। प्रत्येक ग्रह में अलग-अलग रोगों को पैदा करने का गुण होता है। जिसका प्रभाव हमारे शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ता है। हमारे लिए इस बात का ज्ञान होना अति आवश्यक है कि कौन सा ग्रह किस रोग को जन्म दे रहा है। ताकि समय रहते उस रोग या बीमारी का उपचार किया जा सके। यूँ तो हर ग्रह से कोई न कोई रोग जुड़ा हुआ है पर सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, राहू और शनि को सबसे घातक माना जाता है। आइये जानते हैं किस तरह हम इन ग्रहों से पैदा होने वाले नकारात्मक प्रभावों को दूर करके, उनसे होने वाले रोगों से खुद की रक्षा कर सकते हैं।
उपाय-
यदि सूर्य ग्रह से उत्पन्न होने वाले रोग आपको परेशान कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में भगवान राम की आराधना करें। सूर्य को आर्घ्य दें एवं गायत्री मंत्र का जाप करें। रविवार के दिन उपवास रखें। गेंहू एवं गुड़ का दान करें। प्रत्येक कार्य को करने से पहले मीठा अवश्य खाएं। "ॐ रं रवये नमः " का जाप करें।
उपाय-
उपाय हेतु सोमवार का व्रत करें। पुखराज और मोती को भी धारण कर सकते हैं। शिव की आराधना करें। सफ़ेद खाद्य वस्तुएं जैसे दही, चीनी, चावल आदि का सेवन करें एवं इन्हें दान भी करें। माता की सेवा करें।
रोजाना "ॐ सोम सोमाय नमः" का 108 बार जाप करें।
उपाय-
मूंगा धारण करें। मसूर की दाल दान में दें। हनुमान जी को चोला चढ़ाएं एवं मंगलवार को उनकी आराधना करें। इसके अलावा ताँबा, गुड़, लाल कपड़ा दान में दें। गुरु, धर्म, माता-पिता का अपमान कतई न करें। चावल का दान करना भी लाभकारी सिद्ध होता है। बुरी संगती से बचने का प्रयास करें।
उपाय-
शिव, दुर्गा और हनुमान जी की आराधना करें। सुन्दरकाण्ड का पाठ करें। शराब और मांस का दान करें। अनाज को दूध में धोकर पानी में बहायें। गोमेद धारण करें।
इसके साथ " ॐ राहवे नमः " का 108 बार प्रतिदिन जाप करें।
उपाय-
शनि अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें। नीलम रत्न को धारण करें। इसके शनि से सम्बंधित होने के कारण शनि के बुरे प्रभावों में कमी आती है। हनुमान जी की आराधना करें एवं उन्हें चोला अर्पित करें। आप चाहें तो शनि कवछ भी पहन सकते हैं। नाव की कील या काले घोड़े की नाल धारण करना भी लाभकारी होता है। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं।
एकाक्षरी मंत्र: " ॐ शं शनैश्चराय नम: " का जाप करें।