By: Deepika
जन्म चार्ट यानि कि जन्मपत्रिका जिसे लग्न पत्रिका भी कहा जाता है। ब्राह्मण या जो ज्योतिषि का पूरा ज्ञान रखता हो वह मनुष्य जाति का जन्म के सही समय और तारीख के हिसाब से जन्म के कई वर्षों बाद भी जन्मपत्रिका बना सकता है। जन्मपत्रिका का उपयोग कोई सिर्फ भविष्य देखने का यंत्र नही है बल्कि वह भूतकाल और भविष्यकाल में होने वाली घटनाओं का प्रत्यक्ष प्रमाण देती है। और हमारे साथ होने वाली घटनाओं को होने से पहले या होने के बाद का पूरा हाल बयां करती है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप अपने भूत और भविष्य को बदल सकों। जन्मपत्रिका में ग्रह-गोचर की चाल से आपको यह मालूम हो सकता है कि आपके साथ आगे क्या होने वाला है। आपके साथ जो अच्छा-बुरा होने वाला है वो आपको भुगतना निश्चित है। उसे कोई भी नही बदल सकता है। अर्थात आपकों आपके कर्मों के अनुसार फल की प्राप्ति अवश्य ही होगी, मगर जन्मपत्रिका द्वारा आप उस होने वाली घटनाओं के लिए तैयारी कर सकते है। या फिर उन ग्रह –गोचर को कुछ उपायों द्वारा शान्त करके अपने बुरे वक्त में आने वाले दर्द को कम कर सकते है लेकिन बिल्कुल खत्म नहीं।
जन्म चार्ट में कई प्रकार के दोष पाए जाते है।प्रत्येक मनुष्य की जन्मकुंडली उसके कर्मों के अनुसार दोष होते है। किसी की जन्मपत्रिका में मंगल दोष, शनि दोष , नाड़ी दोष और कई प्रकार के दोष होते है। जो मनुष्य की प्रत्येक बढ़ती अवस्था में प्रवेश लेते है और उसके कर्मों के हिसाब से फल प्रदान करते है।
लेकिन किसी भी मनुष्य की जन्मकुंडली में इन दोषों का होना बुरा माना जाता है। तो चलिए आपकों बताते है वे कौनसे दोष है जो इंसान का जीवन नरक भी बना सकता है। और इन दोषों को अपनी जन्मकुंडली से कैसे हटाया जा सकता है। -
किसी जातक की कुडंली में किसी भी भाल में चन्द्रमा के साथ राहु या केतु बैंठे हो तो ग्रहण योग बनता है। और अगर इस ग्रह स्थिति में आकर सूर्य भी जुड़ जाए तो उस जातक की मानसिक स्थिति भयंकर खराब होती है। ऐसे व्यक्ति को पागलपन के दौरे पड़ते है और पैसो-पैसों के लिए मोहताज होता है।
इस दोष को हटाने के लिए उपाय-
इस ग्रहण योग का प्रभाव कम करने के लिए सूर्य और चन्द्रमा की आराधना करनी चाहिए। इस दोष वाले व्यक्ति को आदित्यह्रदय स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए। सूर्य देवता को जल अर्पित करना चाहिए।
कुडंली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु का उपस्थित होना चांडाल योग का निर्माण होता है। इसे गुरू चांडाल योग भी कहते है। इसका बुरा असर जातक की शिक्षा और धन पर होता है। इस योग वाले जातक के पास सदैव कर्जा रहता है।
इस दोष को हटाने के लिए उपाय-
इस चांडाल योग वाले दोष को हटाने के लिए गुरूवार को पीली दालों का दान किसी जरूरत वाले व्यक्ति को करना चाहिए। और पीली मिठाई का भोग गणेशजी को लगाएं। और इस दोष वाले जातक को प्रत्येक गुरूवार को व्रत करना चाहिए। और व्रत खोलने में पीला भोजन का उपोयग करें।
किसी जातक का लग्न जब चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो मंगल दोष बनता है। इसे मांगलिक दोष भी कहते है। इस दोष वाले जातकों का वैवाहिक जीवन बेहद ही कष्टों से भरा होता है।
इस दोष को हटाने के लिए उपाय-
मंगल दोष वाले स्त्री और पुरूषों को दोनों को मांगलिक होना अनिवार्य है। मंगलदोष की समाप्ति के लिए पीपल और वटवृक्ष में नियमित जल चढ़ाना चाहिए। लाल तिकोना मूंगे को तांबे मे धारण करें। जातक को मंगल के जाप करने चाहिए और घर में मंगलदोष निवारण पूजा करवानी चाहिए।
इसी प्रकार से प्रत्येक जातक की कुंडली में जो दोष होते है उनका ज्योतिषी द्वारा समाधान प्राप्त किया जा सकता है उनसे उपाय पूछकर आप उन दोषों को अपने जन्मचार्ट से हटा सकते है। पूजा-पाठ और ग्रह-गोचर के अनुसार कर्म करके आप अपने जन्मकुंडली में ग्रहों की चाल बदल सकते है जिससे कई बड़े दोषों को हटाया जा सकता है।
वैसे तो प्रत्येक ग्रह- नक्षत्रों की चाल बदलने के लिए उनके प्रिय कार्य होने से होते है लेकिन एक शिव भक्ति ऐसा मार्ग है जिससे सभी ग्रह खुश होकर जातक की कुंडली से दोष अपने आप समाप्त कर देते है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को अपने जन्मुकुंडली के सभी दोषों से मुक्ति पाने के लिए शिवभक्ति और शिवपूजा को चुनना चाहिए। शिव पूजा से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते है।