October 5, 2020 Blog

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की आराधना से मिलती है सांसारिक दुखो से मुक्ति

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

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लेखिका: रजनीशा शर्मा

नवरात्रि का चौथा दिन माँ कुष्मांडा की पूजा आराधना का दिन होता है | माँ कुष्मांडा को सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है | सनातन धर्म ग्रंथो में देवी के स्वरूप का विस्तृत वर्णन किया गया है | धर्म ग्रंथो के अनुसार जब सृष्टि में अंधकार व्याप्त था तब माँ कुष्मांडा ने अपने हास्य से अंड अर्थात बह्मांड की उत्पत्ति की | इसी कारण माँ का नाम कुष्मांडा पड़ा | माँ कुष्मांडा अष्टभुजी देवी है | वे अपने हाथो में धनुष , कमंडल , बाण , कमल-पुष्प , अमृतपूर्ण कलश , गदा, चक्र और माला  धारण करती है | माँ कुष्मांडा का वाहन सिंह है | देवी ग्रंथ के अनुसार माँ कुष्मांडा को कुम्हड़ा की बलि प्रिय है , कुम्हड़े को संस्कृत में कुष्मांड  कहते है इसी कारण माँ का नाम कुष्मांडा पड़ा | माँ कुष्मांडा की आराधना से अष्ट सिद्धिया और नव निधिया प्राप्त होती है | माँ कुष्मांडा ही संसार में समस्त प्राणियों और समस्त चर अचर को तेज एवं प्राणशक्ति प्रदान करती है | माँ कुष्मांडा का वास स्थान सूर्यमंडल के अन्तःलोक में माना जाता है | सूर्य के असहनीय ताप को सहन करने की क्षमता केवल सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली माँ कुष्मांडा में ही है | माँ की कांति एवं आभा सूर्य से अधिक कांतिवान है | माँ कुष्मांडा की स्थिर चित्त से आराधना करने पर माँ भक्तो के रोग शोक का नाश कर आयु , यश , ऐश्वर्य एवं सुख-समृद्धि प्रदान करती है | माँ कुष्मांडा सृष्टि उतपत्ति करने के कारण सम्पूर्ण संसार की माता है , जिस प्रकार माँ अपने बच्चे से सदा प्रेम करती है और उसकी हर इच्छा पूर्ण करती है उसी प्रकार माँ कुष्मांडा अल्प साधना एवं भक्ति से ही प्रसन्न होकर भक्तो की हर इच्छा पूर्ण कर देती है |

                                                                  

पूजन विधि -

माँ कुष्मांडा का पूजन धुप, दीप ,कपूर , फूल , फल ,लौंग का जोड़ा आदि  सामर्थ्य  अनुसार चीजों  से करना  चाहिए | फिर माँ का ध्यान कर मंत्रोचारण से माँ का आव्हन करना चाहिए | माँ का आवाहन निम्न मंत्र से करे -

            मंत्र                             ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
          प्रार्थना                 सुरा सम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च, दघानां हस्तपद्याभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु में |

 माँ कुष्मांडा को मालपुए का भोग अत्यंत प्रिय है | भोग के पश्चात दान अवश्य करे |

Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.